हिंदी का राष्ट्रीय काव्य (सेमेस्टर-5)
- Description
- Curriculum
- Reviews
Teach To India प्रकाशन
हिंदी का राष्ट्रीय काव्य
- यह मॉडल पेपर यह सुनिश्चित करता है कि सभी संभावित प्रश्न जो परीक्षा में आ सकते हैं, वे यूनिट में पूरी तरह से शामिल हैं, चाहे वे सीधे हों या अप्रत्यक्ष रूप से।
- इसे अनुभवी प्रोफेसरों द्वारा बहुत सावधानी से तैयार किया गया है, जिन्हें परीक्षा मॉडल पेपर बनाने का व्यापक अनुभव है।
- इस पेपर में विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम के आधार पर सभी मुख्य प्रश्न शामिल हैं।
- 400 से अधिक प्रश्न और उत्तरों के साथ, यह मॉडल पेपर विषय का पूरा पाठ्यक्रम कवर करता है।
- प्रत्येक यूनिट में दीर्घ उत्तरीय ,लघु उत्तरीय और अति लघु उत्तरीय वाले प्रश्न शामिल हैं ताकि छात्रों को गहन समझ प्राप्त हो सके।
- हमारे प्रश्न इस तरह तैयार किए गए हैं कि प्रत्येक यूनिट को कम से कम और अच्छी तरह चुने हुए प्रश्नों से कवर किया जा सके।
- अनिवार्य आंतरिक परीक्षा के लिए हम 200 एक पंक्ति के प्रश्न-उत्तर प्रदान कर रहे हैं, जो प्रत्येक यूनिट को समान रूप से कवर करते हैं।
- इस मॉडल पेपर में मॉक प्रश्नपत्र / पिछले साल के प्रश्नपत्र भी हल के साथ दिए गए हैं, जिससे छात्रों को परीक्षा के प्रश्नों की गहराई और विस्तार को समझने में मदद मिलती है।
Programme /Class: Certificate |
Year: First |
Semester: First |
||
Major Course |
||||
Course Title: हिंदी का राष्ट्रीय काव्य |
||||
Course outcomes: हिंदी की राष्ट्रीय काव्य चेतना से जुड़े कवियों की रचनाओं के माध्यम से विद्यार्थियों में राष्ट्र के प्रति अनुराग जायत करना। |
||||
Credits: 5 |
Compulsory |
|||
Max. Marks: 25+75 |
Min. Passing Marks: 8+25 |
|||
Unit |
Topics |
|||
I |
वीरगाथा काल का राष्ट्रीय काव्यः
चंदबरदाईः पृथ्वीराज रासो के रेवा तट समय के अंश (चढ़त राज पृथिराज) जगनिकः आल्ह खंड नैनागढ़ की लड़ाई अथवा आल्हा का विवाह खंड (प्रथम पांच सुमिरन अंश (गया न कीन्हीं जिन कलजुग मां ……….भयानक मार) अंतिम पाँच अंश (भोर भुरहरे……….. लड़िहैं खूब बीर मलखान) |
|||
II |
भक्ति एवं रीतिकाल का राष्ट्रीय काव्य :
गुरु गोविंद सिंहः देहु शिवा वर मोहि इहे, बाण चले तेई कुंकुम मानो, यों सुनि के बतियान तिह की
भूषणः इंद्र जिमि जंभ पर, बाने फहराने, निज म्यान तें मयूखै, दारुन दहत हरनाकुस बिदारिबे कों |
|||
III |
भारतेंदु एवं द्विवेदीयुगीन राष्ट्रीय काव्य :
भारतेंदु हरिश्वंदः उन्नतचितह्नवैआर्य परस्पर प्रीत बढ़ावें, बल कलाकौशल अमित विद्या वत्स भरे मिल लहै, भीतर भीतर सब रस चूसै. सब गुरुजन को बुरो बतावै अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ः कर्मवीर, जन्मभूमि
मैथिलीशरण गुप्तः आर्य, मातृभूमि. |
|||
IV |
छायावाद युगीन राष्ट्रीय काव्यः
जयंशकर प्रसादः प्रयाण गीत (हिमाद्रि तुंग शृंग), अरूण यह मधुमय देश
हमारा
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’: भारती वंदना (भारति जय विजय करे).
जागो फिर एक बार
माखनलाल चतुर्वेदीः पुष्प की अभिलाषा, जवानी
सुभद्रा कुमारी चौहानः वीरों का कैसा हो बसंत, झाँसी की रानी |
|||
V |
छायावादोत्तर राष्ट्रीय काव्यः
बालकृष्ण शर्मा नवीन : कवि कुछ ऐसी तान सुनाओ, कोटि-कोटि कंठों से निकली आज यही स्वर धारा है।
रामधारी सिंह ‘दिनकरः शहीद स्तवन (कलम आज उनकी जय बोल),
हिमालय श्यामलाल गुप्त ‘पार्षदः झंडा गीत (विजयी विश्व तिरंगा प्यारा) |
|||
VI |
समकालीन राष्ट्रीय काव्य प्रथम चरणः
श्यामनारायण पांडेय चेतक की वीरता, राणा प्रताप की तलवार द्वारिका प्रसाद माहेश्वरीः उठो धरा के अमर सपूतों, वीर तुम बढ़े चलो गोपाल प्रसाद व्यासः खूनी हस्ताक्षर, शहीदों में तू नाम लिखा ले रे |
|||
VII |
समकालीन राष्ट्रीय काव्य द्वितीय चरणः सोहनलाल द्विवेदीः मातृभूमि, तुम्हें नमन (चल पड़े जिधर दो डग मग में) अटल बिहारी वाजपेयीः कदम मिलाकर चलना होगा, उनकी याद करें डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’: मातृ वंदना, हम भारतवासी
|
|||
VIII |
हिंदी फिल्मी गीतों में राष्ट्रीय काव्य :
कवि प्रदीपः ऐ मेरे वतन के लोगों ज़रा आँख में भर लो पानी (गैर फिल्मी)
साहिर लुधियानवीः ये देश है वीर जवानों का (नया दौरः 1957) प्रेम धवनः ऐ मेरे प्यारे वतन (काबुलीवालाः 1961)
कैफी आज़मीः कर चले हम फिदा जान-ओ-तन साथियों (हकीकतः 1964 शकील बदायूंनीः अपनी आज़ादी को हम हरगिज मिटा सकते नहीं (लीडरः 1964)
राजेंद्र कृष्णः जहाँ डाल–डाल पर सोने की चिड़ियाँ करती हैं बसेरा (फिल्मः सिकन्दर–ए–आज़म 1965)
गुलशन बावराः मेरे देश की धरती सोना उगले (उपकारः 1967)
इंदीवरः है प्रीत जहाँ की रीत सदा (पूरब और पश्चिमः 1971)
संतोष आनंदः यह आन तिरंगा है यह शान तिरंगा है (तिरंगाः 1993)
प्रसून जोशीः देस रंगीला रंगीला, देस मेरा रंगीला (फनाः 2006) |