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Abnormal Psychology - असामान्य मनोविज्ञान – Adv

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Unit 1: Hindi Summary – Abnormal Psychology

असामान्य मनोविज्ञान (Abnormal Psychology): अवधारणा और असामान्यता के मानदंड

परिचय

असामान्य मनोविज्ञान (Abnormal Psychology) मनोविज्ञान की वह शाखा है जो व्यवहार की असामान्यताओं, मानसिक विकारों (Mental Disorders) और उनके कारणों, लक्षणों तथा उपचारों का अध्ययन करती है। यह विषय मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार में असामान्यता को समझने, परखने और समाज में मानसिक विकारों को स्वीकारने की क्षमता विकसित करने में सहायता करता है।

मानसिक विकारों को समझने के लिए यह आवश्यक है कि हम यह पहचानें कि सामान्य और असामान्य व्यवहार के बीच की रेखा कहाँ खींची जाती है। इसे परिभाषित करने के लिए कई वैज्ञानिक मानदंड और दृष्टिकोण विकसित किए गए हैं।

असामान्यता के मानदंड (Criteria of Abnormality)

किसी व्यक्ति के व्यवहार को “असामान्य” घोषित करने से पहले, हमें कुछ प्रमुख मानदंडों पर विचार करना चाहिए:

1. सांख्यिकीय दुर्लभता (Statistical Rarity)

·       कोई व्यवहार तब असामान्य माना जाता है जब वह समाज में दुर्लभ रूप से पाया जाता है।

·       उदाहरण: उच्च IQ (जीनियस स्तर) या बहुत निम्न IQ (बुद्धि मंदता)।

·       समस्या: कुछ दुर्लभ व्यवहार (जैसे विलक्षण प्रतिभा) असामान्य होते हुए भी हानिकारक नहीं होते।

2. सामाजिक विचलन (Social Deviance)

·       जब कोई व्यवहार समाज द्वारा स्वीकृत मानकों और मूल्यों से भिन्न होता है, तो उसे असामान्य समझा जाता है।

·       उदाहरण: बिना कपड़ों के सार्वजनिक स्थानों में घूमना।

·       समस्या: कुछ सामाजिक मानक समय के साथ बदलते रहते हैं।

3. संकट या परेशानी (Personal Distress)

·       यदि कोई व्यक्ति अपने व्यवहार के कारण मानसिक तनाव, चिंता या अवसाद अनुभव करता है, तो यह असामान्यता का संकेत हो सकता है।

·       उदाहरण: गंभीर अवसाद या घबराहट के दौरे।

·       समस्या: कुछ मानसिक विकारों में व्यक्ति को स्वयं कोई परेशानी नहीं होती (जैसे सायकोपैथी)।

4. खराब अनुकूलनशीलता (Maladaptive Behavior)

·       यदि किसी व्यक्ति का व्यवहार उसके दैनिक जीवन को प्रभावित करता है और वह सामान्य रूप से कार्य नहीं कर पाता, तो इसे असामान्य माना जाता है।

·       उदाहरण: किसी व्यक्ति की सफाई की आदत इतनी अधिक हो कि वह रोजमर्रा के काम भी न कर सके (जैसे ओसीडी)।

5. अप्रत्याशितता और तर्कहीनता (Unpredictability and Irrationality)

·       यदि किसी व्यक्ति का व्यवहार असंगत और तर्कहीन होता है तथा वह परिस्थिति के अनुसार उपयुक्त प्रतिक्रिया नहीं देता, तो यह असामान्यता का संकेत हो सकता है।

·       उदाहरण: अचानक बिना किसी कारण रोना, चीखना या हिंसक हो जाना।

6. सांस्कृतिक और परिस्थितिजन्य संदर्भ (Cultural and Situational Context)

·       किसी व्यवहार को असामान्य कहने से पहले, संस्कृति और सामाजिक संदर्भ को ध्यान में रखना आवश्यक है।

·       उदाहरण: कुछ संस्कृतियों में आत्मा का वास मानना सामान्य हो सकता है, जबकि अन्य संस्कृतियों में इसे मानसिक विकार समझा जा सकता है।

असामान्यता का वर्गीकरण (Classification of Abnormality)

मानसिक विकारों के अध्ययन और उनके उपचार के लिए वैज्ञानिक वर्गीकरण प्रणाली की आवश्यकता होती है। आधुनिक मनोविज्ञान में अमेरिकन साइकियाट्रिक एसोसिएशन द्वारा प्रकाशित डायग्नोस्टिक एंड स्टैटिस्टिकल मैनुअल ऑफ मेंटल डिसऑर्डर्स (DSM-V) को इस क्षेत्र का सबसे व्यापक रूप से स्वीकृत वर्गीकरण माना जाता है।

DSM-V: एक परिचय

DSM (Diagnostic and Statistical Manual of Mental Disorders) एक मैनुअल है जो मानसिक विकारों को परिभाषित और वर्गीकृत करता है। इसका पाँचवां संस्करण (DSM-5) 2013 में प्रकाशित हुआ था और इसमें कई महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए थे।

DSM-V में वर्गीकरण की प्रमुख विशेषताएँ

1.     मानसिक विकारों की व्यापक सूची – DSM-5 में 300 से अधिक मानसिक विकार सूचीबद्ध हैं।

2.    मल्टी-एक्सियल प्रणाली का उन्मूलन – पहले DSM-IV में पाँच अक्ष (axes) पर मानसिक विकारों का मूल्यांकन किया जाता था, लेकिन DSM-5 ने इसे अधिक सरलीकृत कर दिया है।

3.    विकारों के नए समूह – इसमें मानसिक विकारों को नए समूहों में पुनः वर्गीकृत किया गया है, जिससे उनके लक्षणों और कारणों को बेहतर समझा जा सकता है।

4.    आयु और विकास संबंधी कारकों का समावेश – अब मानसिक विकारों को विभिन्न जीवन-चरणों के संदर्भ में समझा जाता है।

DSM-V के तहत मानसिक विकारों के प्रमुख वर्ग (Diagnostic Categories of DSM-5)

1. तंत्रिका संबंधी विकासात्मक विकार (Neurodevelopmental Disorders)

·       उदाहरण: आत्मकेंद्रित स्पेक्ट्रम विकार (Autism Spectrum Disorder), एडीएचडी (Attention-Deficit/Hyperactivity Disorder)

·       लक्षण: संचार कौशल में कठिनाई, ध्यान केंद्रित करने में समस्या, सामाजिक व्यवहार में असमानता।

2. सिजोफ्रेनिया स्पेक्ट्रम और अन्य मनोरोग संबंधी विकार (Schizophrenia Spectrum and Other Psychotic Disorders)

·       उदाहरण: सिजोफ्रेनिया, साइकोटिक विकार।

·       लक्षण: मतिभ्रम (Hallucinations), भ्रम (Delusions), असंगत विचार।

3. द्विध्रुवीय विकार और संबंधित विकार (Bipolar and Related Disorders)

·       उदाहरण: द्विध्रुवीय विकार प्रकार I और II।

·       लक्षण: अत्यधिक ऊर्जावान या अवसादग्रस्त अवस्थाएं, मूड में अप्रत्याशित परिवर्तन।

4. अवसाद विकार (Depressive Disorders)

·       उदाहरण: प्रमुख अवसाद विकार (Major Depressive Disorder), दृढ़तावादी अवसाद (Persistent Depressive Disorder)।

·       लक्षण: उदासी, निराशा, आत्महत्या के विचार।

5. चिंता विकार (Anxiety Disorders)

·       उदाहरण: सामान्यीकृत चिंता विकार (Generalized Anxiety Disorder), घबराहट विकार (Panic Disorder)।

·       लक्षण: तीव्र चिंता, डर, घबराहट के दौरे।

6. जुनूनी बाध्यता विकार (Obsessive-Compulsive and Related Disorders)

·       उदाहरण: OCD (Obsessive-Compulsive Disorder)।

·       लक्षण: लगातार विचार आना, बार-बार कोई कार्य करना (जैसे हाथ धोना)।

7. ट्रॉमा और तनाव संबंधी विकार (Trauma and Stressor-Related Disorders)

·       उदाहरण: PTSD (Post-Traumatic Stress Disorder)।

·       लक्षण: अतीत की दर्दनाक घटनाओं से जुड़ी बुरी यादें, डर, घबराहट।

8. खिला और खाने के विकार (Feeding and Eating Disorders)

·       उदाहरण: एनोरेक्सिया नर्वोसा (Anorexia Nervosa), बुलिमिया (Bulimia)।

·       लक्षण: असामान्य खान-पान की आदतें, शरीर की छवि को लेकर चिंताएं।

निष्कर्ष

असामान्य मनोविज्ञान मानसिक विकारों को समझने, पहचानने और इलाज करने में सहायता करता है। DSM-V द्वारा दी गई वर्गीकरण प्रणाली मानसिक विकारों का वैज्ञानिक और व्यवस्थित अध्ययन करने में सहायक है। मानसिक स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशीलता विकसित करना और विविधता को स्वीकारना आवश्यक है ताकि मानसिक विकारों से ग्रस्त व्यक्तियों के प्रति सहानुभूति और समझ बढ़ सके।

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