दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1:- अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax) क्या है? इसके प्रमुख लक्षण और प्रत्यक्ष कर (Direct Tax) के साथ अंतर को विस्तार से समझाइए। अप्रत्यक्ष कर के उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर:- अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax): परिभाषा, प्रमुख लक्षण और प्रत्यक्ष कर के साथ अंतर
परिचय
अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax) एक ऐसा कर है जो किसी वस्तु या सेवा के उपभोग या उपयोग के समय उपभोक्ता द्वारा चुकाया जाता है, लेकिन इसे सरकार तक पहुँचाने की जिम्मेदारी विक्रेता या सेवा प्रदाता की होती है। यह उपभोक्ता से सीधे नहीं वसूला जाता, बल्कि वस्त्र या सेवा के मूल्य में सम्मिलित कर के रूप में लिया जाता है। इसमें सरकार को कर का भुगतान करने की जिम्मेदारी उत्पादकों या विक्रेताओं पर होती है, जो इस कर को उपभोक्ताओं से वसूलते हैं।
अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax)
अप्रत्यक्ष कर वह कर है जो वस्त्रों, सेवाओं, या उत्पादों की खरीदारी पर लगाया जाता है और इसे उत्पादक या विक्रेता सरकार तक पहुँचाता है। इसका भुगतान उपभोक्ता करता है, लेकिन कर का भार सीधे उपभोक्ता पर न पड़कर वस्तु की लागत में शामिल होता है।
अप्रत्यक्ष कर के प्रमुख लक्षण
अप्रत्यक्ष करों की कई विशेषताएँ हैं जो इसे प्रत्यक्ष करों से अलग करती हैं। अप्रत्यक्ष कर के कुछ प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं:
1. वस्त्रों और सेवाओं पर कर
अप्रत्यक्ष कर किसी व्यक्ति या संस्था के आय पर नहीं, बल्कि वस्त्रों और सेवाओं पर लगाया जाता है।
2. व्यापक क्षेत्रफल
अप्रत्यक्ष कर हर उस व्यक्ति पर लागू होता है जो किसी वस्त्र या सेवा का उपभोग करता है। इस तरह यह कर सभी उपभोक्ताओं पर समान रूप से लागू होता है।
3. सीधे उपभोक्ता से वसूला नहीं जाता
अप्रत्यक्ष कर का भुगतान उपभोक्ता द्वारा किया जाता है, लेकिन इसे सरकार तक पहुँचाने की जिम्मेदारी विक्रेता की होती है।
4. कर का भार हस्तांतरण
अप्रत्यक्ष कर में कर का वास्तविक भार उत्पादक या विक्रेता से उपभोक्ता तक स्थानांतरित होता है। इस कारण इसे “हस्तांतरणीय कर” भी कहा जाता है।
5. वस्त्र की कीमत में शामिल
अप्रत्यक्ष कर वस्त्र की कीमत में जोड़ दिया जाता है, जिससे उपभोक्ता को इसे अलग से भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होती।
6. उपभोक्ता पर भार
इसका अंतिम भार उपभोक्ता पर पड़ता है क्योंकि वस्त्र या सेवा की कीमत में कर जुड़कर उपभोक्ता को दी जाती है।
प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर में अंतर
अंतर के बिंदु |
प्रत्यक्ष कर (Direct Tax) |
अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax) |
अर्थ |
व्यक्ति या संस्था की आय पर लगाया जाने वाला कर |
वस्त्रों और सेवाओं पर लगाया जाने वाला कर |
भुगतान करने वाला |
करदाता खुद सरकार को भुगतान करता है |
उपभोक्ता के द्वारा विक्रेता के माध्यम से भुगतान |
कर का स्थानांतरण |
कर का स्थानांतरण संभव नहीं है |
कर का स्थानांतरण संभव है |
उदाहरण |
आयकर, संपत्ति कर |
वस्तु एवं सेवा कर (GST), उत्पाद शुल्क |
समाज पर प्रभाव |
उच्च आय वर्ग पर भार अधिक |
समान रूप से सभी उपभोक्ताओं पर भार |
अप्रत्यक्ष कर के उदाहरण
भारत में लागू कुछ मुख्य अप्रत्यक्ष कर निम्नलिखित हैं:
1. वस्तु एवं सेवा कर (GST)
यह वर्तमान में भारत का सबसे व्यापक अप्रत्यक्ष कर है। इसके तहत सभी वस्त्रों और सेवाओं पर एक समान कर लगाया जाता है।
2. सीमा शुल्क (Custom Duty)
आयातित और निर्यातित वस्त्रों पर लगाया जाने वाला कर, जिससे देश की आर्थिक स्थिति को नियंत्रित किया जाता है।
3. उत्पाद शुल्क (Excise Duty)
यह कर घरेलू रूप से उत्पादित वस्त्रों पर लगाया जाता था, लेकिन अब यह जीएसटी में शामिल है।
4. मूल्य संवर्धित कर (VAT)
यह कर राज्यों द्वारा विभिन्न वस्त्रों पर लगाया जाता था, लेकिन जीएसटी के लागू होने के बाद इसे हटा दिया गया है।
अप्रत्यक्ष कर का महत्त्व और लाभ
अप्रत्यक्ष कर सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण राजस्व स्रोत है। इसके माध्यम से कई सरकारी योजनाओं का संचालन होता है। अप्रत्यक्ष कर का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसे वसूलना आसान होता है और यह व्यापक रूप से लागू होता है। इसके अलावा, अप्रत्यक्ष कर वस्त्रों और सेवाओं के माध्यम से आसानी से जुटाया जा सकता है, जिससे यह कर प्रणाली को सरल और प्रभावी बनाता है।
अप्रत्यक्ष कर का समाज पर प्रभाव
अप्रत्यक्ष कर का समाज पर व्यापक प्रभाव होता है। इसके माध्यम से सभी उपभोक्ताओं पर समान कर लगाया जाता है। यह कर प्रणाली उन व्यक्तियों पर भी लागू होती है जो प्रत्यक्ष कर के दायरे में नहीं आते। हालांकि, इसका भार सभी पर समान रूप से पड़ता है, चाहे व्यक्ति की आय कम हो या अधिक।
अप्रत्यक्ष कर प्रणाली की सीमाएँ
अप्रत्यक्ष कर की कुछ सीमाएँ भी हैं, जो इस प्रकार हैं:
1. गरीबों पर अधिक भार
क्योंकि अप्रत्यक्ष कर का भुगतान हर उपभोक्ता को करना पड़ता है, इससे निम्न आय वर्ग पर अधिक भार पड़ता है।
2. मूल्य वृद्धि
अप्रत्यक्ष कर के कारण वस्त्रों और सेवाओं की कीमत बढ़ जाती है, जिससे महँगाई का स्तर बढ़ सकता है।
3. आय असमानता में वृद्धि
यह कर सभी पर समान रूप से लागू होता है, जिससे उच्च और निम्न आय वर्ग में आय का अंतर बढ़ सकता है।
निष्कर्ष
अप्रत्यक्ष कर भारतीय कर प्रणाली में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह कर प्रणाली का ऐसा अंग है जो सरकार को बड़ी मात्रा में राजस्व प्राप्त करने में सहायक होता है। अप्रत्यक्ष कर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह सभी उपभोक्ताओं पर समान रूप से लागू होता है। इसके माध्यम से सरकार विभिन्न विकास योजनाओं के लिए आवश्यक धनराशि जुटाती है और इसका उपयोग समाज की भलाई के लिए किया जाता है।
हालांकि, अप्रत्यक्ष कर की कुछ सीमाएँ भी हैं, जैसे कि गरीबों पर अधिक भार और महँगाई में वृद्धि, लेकिन इसके फायदों के कारण यह भारतीय कर प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अप्रत्यक्ष कर का सही और प्रभावी प्रबंधन एक सशक्त और स्थिर अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत आवश्यक है।
प्रश्न 2:- जीएसटी (GST) से पहले लागू विभिन्न अप्रत्यक्ष करों के प्रकारों की व्याख्या कीजिए। उन सभी करों के नाम और उनके कार्यों को विस्तार से समझाते हुए बताइए कि जीएसटी से पहले का अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में किस प्रकार की कमियाँ थीं?
उत्तर:- जीएसटी (GST) से पहले लागू विभिन्न अप्रत्यक्ष करों के प्रकार, कार्य और उनकी कमियाँ
परिचय
जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) के लागू होने से पहले भारत में कई प्रकार के अप्रत्यक्ष कर लागू थे। ये विभिन्न कर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा वस्त्रों और सेवाओं पर अलग-अलग आधार पर लगाए जाते थे, जिससे देश में एक जटिल कर प्रणाली उत्पन्न हो गई थी। अलग-अलग करों की अलग-अलग प्रक्रियाओं और दरों के कारण व्यापारियों और उपभोक्ताओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता था। जीएसटी से पहले की इस कर प्रणाली में कई कमियाँ थीं, जो कराधान प्रक्रिया को कठिन और अव्यवस्थित बनाती थीं।
इस लेख में हम उन अप्रत्यक्ष करों का विस्तार से अध्ययन करेंगे, जो जीएसटी लागू होने से पहले प्रभावी थे। इसके साथ ही हम यह भी समझेंगे कि जीएसटी से पहले की अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में कौन-कौन सी कमियाँ थीं, जिन्हें दूर करने के लिए जीएसटी को लागू किया गया।
जीएसटी से पहले के विभिन्न अप्रत्यक्ष करों के प्रकार
जीएसटी से पहले भारत में मुख्यतः निम्नलिखित अप्रत्यक्ष कर प्रणाली प्रभावी थी:
1. उत्पाद शुल्क (Excise Duty)
उत्पाद शुल्क एक केंद्रीय कर था, जो केंद्र सरकार द्वारा देश में उत्पादित वस्त्रों पर लगाया जाता था। इसका भुगतान निर्माताओं द्वारा किया जाता था, लेकिन इसका भार अंततः उपभोक्ताओं पर पड़ता था। उत्पाद शुल्क से सरकार को राजस्व प्राप्त होता था, लेकिन इसकी विभिन्न दरों और नियमों के कारण उत्पादकों और उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ पड़ता था।
2. सेवा कर (Service Tax)
सेवा कर उन सेवाओं पर लगाया जाता था जो उपभोक्ताओं को प्रदान की जाती थीं, जैसे होटल सेवाएँ, बैंकिंग सेवाएँ, बीमा सेवाएँ, आदि। यह कर केंद्रीय स्तर पर लगाया जाता था और सेवा प्रदाता इसे उपभोक्ता से वसूलता था। सेवा कर का उद्देश्य सेवा क्षेत्र से राजस्व जुटाना था, लेकिन विभिन्न सेवाओं पर अलग-अलग दरों के कारण यह कर जटिलता का कारण बनता था।
3. मूल्य संवर्धित कर (VAT)
मूल्य संवर्धित कर या वैट एक राज्य स्तर का कर था, जो विभिन्न वस्त्रों की बिक्री पर लगाया जाता था। प्रत्येक राज्य का अपना वैट कानून था, जिससे एक ही वस्त्र पर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग दरें लगाई जाती थीं। इस कारण वस्त्रों की कीमतों में अंतर आ जाता था और उपभोक्ता के लिए कीमत का अनुमान लगाना कठिन हो जाता था।
4. केंद्रीय बिक्री कर (CST)
केंद्रीय बिक्री कर (CST) एक केंद्रीय स्तर का कर था, जो एक राज्य से दूसरे राज्य में की गई बिक्री पर लगाया जाता था। इसका उद्देश्य अंतर्राज्यीय व्यापार से राजस्व एकत्र करना था, लेकिन इसका भार अंततः उपभोक्ताओं पर पड़ता था। यह कर व्यापारियों के लिए जटिलता उत्पन्न करता था क्योंकि अंतर्राज्यीय लेनदेन पर इसे अतिरिक्त कर के रूप में देना पड़ता था।
5. कस्टम शुल्क (Custom Duty)
कस्टम शुल्क का उद्देश्य आयात और निर्यात पर नियंत्रण करना था। यह कर उन वस्त्रों पर लगाया जाता था जो विदेशों से आयातित की जाती थीं या निर्यातित की जाती थीं। इसका उद्देश्य घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना था। हालांकि, कस्टम शुल्क के विभिन्न दरों और नियमों के कारण व्यापारिक प्रक्रिया में जटिलता उत्पन्न होती थी।
6. लग्जरी कर (Luxury Tax)
लग्जरी कर उन वस्त्रों और सेवाओं पर लगाया जाता था जो विलासिता की श्रेणी में आती थीं, जैसे कि पाँच सितारा होटल, महँगी कार, आदि। इसका उद्देश्य धनी वर्ग से अतिरिक्त राजस्व एकत्र करना था। यह राज्य स्तर पर लागू होता था, जिससे इसके नियम और दरें राज्यों के अनुसार बदलती रहती थीं।
7. एंटरटेनमेंट टैक्स (Entertainment Tax)
एंटरटेनमेंट टैक्स का उद्देश्य मनोरंजन सेवाओं जैसे कि सिनेमा हॉल, थिएटर, इवेंट्स आदि से राजस्व एकत्र करना था। यह एक राज्य स्तर का कर था और इसकी दरें राज्य के अनुसार अलग-अलग होती थीं, जिससे इसमें भी विविधता और जटिलता उत्पन्न होती थी।
8. ऑक्ट्रॉय और प्रवेश शुल्क (Octroi and Entry Tax)
ऑक्ट्रॉय और प्रवेश शुल्क राज्य और नगर निकायों द्वारा लगाया जाता था, जो एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में वस्त्रों के प्रवेश पर लागू होता था। इसका उद्देश्य स्थानीय स्तर पर राजस्व एकत्र करना था, लेकिन इसका असर माल की कीमत पर पड़ता था, जिससे उपभोक्ताओं को वस्त्र महँगे पड़ते थे।
जीएसटी से पहले की अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में कमियाँ
जीएसटी लागू करने से पहले अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में कई खामियाँ थीं, जिनकी वजह से कराधान व्यवस्था जटिल और बोझिल बन गई थी। इन कमियों का विवरण निम्नलिखित है:
1. कई प्रकार के करों की जटिलता
जीएसटी से पहले एक ही वस्त्र और सेवा पर कई प्रकार के कर लगते थे। अलग-अलग करों की वजह से कराधान व्यवस्था बेहद जटिल हो गई थी, जिससे व्यापारियों को करों की गणना और अदायगी में कठिनाइयाँ होती थीं।
2. अंतर्राज्यीय व्यापार पर प्रभाव
विभिन्न राज्यों में अलग-अलग करों के कारण व्यापारियों को अंतर्राज्यीय व्यापार में कठिनाइयाँ होती थीं। केंद्रीय बिक्री कर (CST) और राज्य करों के कारण एक ही वस्त्र की कीमतें विभिन्न राज्यों में अलग-अलग होती थीं।
3. दोहरी कराधान की समस्या
अलग-अलग स्तरों पर लगने वाले करों के कारण दोहरी कराधान की समस्या उत्पन्न होती थी। उदाहरण के लिए, उत्पाद शुल्क और वैट का एक ही वस्त्र पर अलग-अलग स्तरों पर भुगतान करना पड़ता था, जिससे उपभोक्ताओं पर कर का अतिरिक्त भार पड़ता था।
4. उत्पादकों और व्यापारियों पर कर का बोझ
जटिल कर संरचना और अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग दरों के कारण उत्पादकों और व्यापारियों पर कर का बोझ अधिक था। उन्हें प्रत्येक राज्य के लिए अलग-अलग करों का प्रबंधन करना पड़ता था, जिससे उनका व्यावसायिक खर्च बढ़ जाता था।
5. कर चोरी की संभावना
करों की जटिल संरचना और विभिन्न करों के कारण कर चोरी की संभावना अधिक रहती थी। व्यापारी अलग-अलग करों के जटिल नियमों का लाभ उठाकर कर चोरी कर सकते थे।
6. निवेश पर नकारात्मक प्रभाव
जटिल और असमान कर प्रणाली के कारण निवेश पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता था। विभिन्न करों की वजह से विदेशी और घरेलू निवेशक भारत में निवेश करने से कतराते थे, जिससे आर्थिक विकास पर विपरीत असर होता था।
7. वस्त्रों की कीमत में अस्थिरता
अलग-अलग करों के कारण एक ही वस्त्र की कीमतें अलग-अलग राज्यों में भिन्न होती थीं। इस वजह से उपभोक्ताओं के लिए वस्त्रों की कीमत का अंदाजा लगाना कठिन हो जाता था और इससे बाजार में अस्थिरता उत्पन्न होती थी।
जीएसटी की आवश्यकता
उपरोक्त कमियों को दूर करने के लिए एक एकीकृत कर प्रणाली की आवश्यकता महसूस की गई। इसके लिए जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) को लागू किया गया, जो एक समान कर प्रणाली है और पूरे देश में एक समान कर दर लागू करता है। इससे व्यापारियों और उपभोक्ताओं को विभिन्न करों की जटिलता से मुक्ति मिली और कर प्रणाली सरल और पारदर्शी हो गई। जीएसटी से विभिन्न करों की जगह एक ही कर प्रणाली लागू की गई, जिससे कराधान की प्रक्रिया सरल हो गई और अंतर्राज्यीय व्यापार में भी सहूलियत हुई।
निष्कर्ष
जीएसटी से पहले की अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में कई प्रकार के कर थे, जैसे उत्पाद शुल्क, सेवा कर, वैट, केंद्रीय बिक्री कर, कस्टम शुल्क, ऑक्ट्रॉय, आदि। इन सभी करों के अलग-अलग नियम और दरें थीं, जिससे व्यापारियों और उपभोक्ताओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता था। इन समस्याओं को दूर करने और कर प्रणाली को सरल, पारदर्शी और एकीकृत बनाने के लिए जीएसटी को लागू किया गया। जीएसटी ने न केवल कराधान प्रक्रिया को सरल बनाया, बल्कि आर्थिक विकास को भी प्रोत्साहित किया। इसके माध्यम से व्यापार में सहूलियत हुई, उपभोक्ताओं को एक समान कीमत पर वस्त्र उपलब्ध हुए, और कर चोरी की संभावना में भी कमी आई। इस प्रकार, जीएसटी के माध्यम से भारत में अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में एक बड़ा सुधार किया गया।
प्रश्न 3:- वस्तु एवं सेवा कर (GST) क्या है? जीएसटी का भारत में लागू होने का उद्देश्य क्या था और इसके मुख्य लाभ और हानियों का विवरण दीजिए। जीएसटी के कार्यान्वयन के कारण देश की कर प्रणाली में कौन-कौन से प्रमुख सुधार हुए?
उत्तर:- वस्तु एवं सेवा कर (GST): परिचय, उद्देश्य, लाभ, हानियाँ और सुधार
परिचय
वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax – GST) भारत में लागू एक एकीकृत अप्रत्यक्ष कर प्रणाली है। इसका उद्देश्य देश में विभिन्न अप्रत्यक्ष करों की जटिलता को समाप्त कर एक सरल, पारदर्शी और एकीकृत कर ढाँचा लागू करना था। इससे पहले भारत में उत्पाद शुल्क, सेवा कर, मूल्य संवर्धित कर (VAT), केंद्रीय बिक्री कर, प्रवेश कर (Entry Tax), और अन्य कई प्रकार के कर लागू थे, जिनकी अलग-अलग दरें और नियम थे। इन करों के चलते व्यापारिक गतिविधियाँ कठिन हो जाती थीं और उपभोक्ताओं पर कर का बोझ बढ़ जाता था। ऐसे में एक व्यापक कर प्रणाली की आवश्यकता थी जो पूरे देश में एक समान दर पर लागू हो सके। इसी उद्देश्य से 1 जुलाई 2017 को जीएसटी को भारत में लागू किया गया।
वस्तु एवं सेवा कर (GST) क्या है
वस्तु एवं सेवा कर (GST) एक व्यापक, बहु-स्तरीय, और गंतव्य आधारित अप्रत्यक्ष कर प्रणाली है जो वस्त्रों और सेवाओं दोनों पर लागू होती है। यह कर निर्माता या विक्रेता से उपभोक्ता तक आपूर्ति के हर स्तर पर लागू होता है, लेकिन अंतिम बोझ उपभोक्ता पर ही पड़ता है। जीएसटी में सभी करों का समावेश होता है, जिससे यह एक एकीकृत कर प्रणाली बन जाती है। इसे केंद्र और राज्य सरकार दोनों मिलकर वसूलते हैं, जिसमें प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश का अपना-अपना जीएसटी खाता होता है।
जीएसटी के मुख्य घटक
जीएसटी के तहत मुख्य रूप से चार घटक होते हैं:
1. सीजीएसटी (CGST): केंद्र सरकार द्वारा वसूला जाने वाला कर।
2. एसजीएसटी (SGST): राज्य सरकार द्वारा वसूला जाने वाला कर।
3. आईजीएसटी (IGST): अंतर्राज्यीय लेनदेन पर केंद्र द्वारा वसूला जाने वाला कर।
4. यूटीजीएसटी (UTGST): केंद्र शासित प्रदेशों में लागू होने वाला कर।
जीएसटी का भारत में लागू होने का उद्देश्य
जीएसटी लागू करने का मुख्य उद्देश्य भारत में कराधान प्रणाली को सरल, पारदर्शी और एकीकृत बनाना था। निम्नलिखित उद्देश्य इसके कार्यान्वयन के प्रमुख कारण बने:
1. एक राष्ट्र, एक कर: जीएसटी का उद्देश्य “एक राष्ट्र, एक कर” की अवधारणा को लागू करना था, ताकि देश भर में एक ही कर दर पर वस्त्रों और सेवाओं का व्यापार हो सके। इससे राज्यीय करों की भिन्नता समाप्त हो जाती है और व्यापारियों को अलग-अलग कर दरों का सामना नहीं करना पड़ता।
2. जटिलता में कमी: जीएसटी से पहले कई प्रकार के अप्रत्यक्ष कर थे, जो कराधान प्रणाली को जटिल बनाते थे। जीएसटी के तहत विभिन्न करों को समाप्त कर एक ही कर प्रणाली लागू की गई, जिससे व्यापारियों और उपभोक्ताओं को आसानी हुई।
3. दोहरी कराधान का उन्मूलन: जीएसटी का उद्देश्य एक ऐसी कर प्रणाली लागू करना था जिसमें दोहरी कराधान (Cascading Effect) को समाप्त किया जा सके। दोहरी कराधान का अर्थ है एक ही वस्त्र पर कई स्तरों पर कर का बोझ।
4. उपभोक्ताओं के लिए कीमतों में स्थिरता: विभिन्न करों की भिन्नता के कारण वस्त्रों की कीमतें राज्यों में अलग-अलग होती थीं। जीएसटी लागू करने का उद्देश्य उपभोक्ताओं को समान दर पर वस्त्रों और सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना था।
5. काले धन पर नियंत्रण: जीएसटी से पहले कई कर नियमों में कर चोरी और भ्रष्टाचार की संभावना रहती थी। जीएसटी का उद्देश्य एक पारदर्शी और ट्रैक योग्य कर प्रणाली लागू करना था जिससे काले धन पर रोक लग सके।
जीएसटी के मुख्य लाभ
जीएसटी लागू होने के कई लाभ हैं, जिन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। इसके कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:
1. करों की एकरूपता: जीएसटी के तहत “एक राष्ट्र, एक कर” की अवधारणा लागू हुई है, जिससे पूरे देश में एक समान कर दर लागू हो गई है। इससे व्यापारियों को आसानी होती है और उपभोक्ताओं के लिए वस्त्रों की कीमतों में स्थिरता बनी रहती है।
2. कराधान की सरलता: जीएसटी के कारण व्यापारियों और उपभोक्ताओं के लिए कर प्रणाली सरल हो गई है। अब उन्हें केवल एक कर प्रणाली का पालन करना होता है, जो कर अदायगी को आसान और व्यवस्थित बनाती है।
3. दोहरी कराधान का समाप्ति: जीएसटी में दोहरी कराधान की समस्या समाप्त हो गई है। इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के माध्यम से व्यापारियों को उनके द्वारा चुकाए गए कर का क्रेडिट मिलता है, जिससे कर का दोहराव नहीं होता।
4. अर्थव्यवस्था का डिजिटलीकरण: जीएसटी लागू होने के बाद से कर प्रणाली में डिजिटलीकरण आया है। जीएसटी फाइलिंग, रिटर्न दाखिल करने और कर अदायगी जैसी प्रक्रियाएँ ऑनलाइन की जाती हैं, जिससे पारदर्शिता और आसान पहुंच संभव हो गई है।
5. कर चोरी में कमी: जीएसटी के कारण पारदर्शी कर प्रणाली लागू हुई है, जिससे कर चोरी पर काफी हद तक रोक लगी है। जीएसटी के तहत प्रत्येक लेनदेन का रिकॉर्ड डिजिटल रूप में होता है, जिससे काले धन और अवैध व्यापार पर प्रभावी नियंत्रण हो गया है।
6. उद्योग और व्यापार को प्रोत्साहन: जीएसटी के कारण व्यापार और उद्योगों को अधिक सरल और प्रोत्साहित कराधान प्रणाली मिली है, जिससे उद्यमियों के लिए व्यवसाय करना आसान हो गया है। विशेष रूप से छोटे और मध्यम उद्योगों को जीएसटी में छूट और लाभ दिए गए हैं।
जीएसटी के कुछ प्रमुख नुकसान
हालांकि जीएसटी के कई लाभ हैं, लेकिन इसके कार्यान्वयन में कुछ कठिनाइयाँ और चुनौतियाँ भी रही हैं। इसके प्रमुख नुकसान निम्नलिखित हैं:
1. छोटे व्यापारियों पर बोझ: जीएसटी के तहत सभी व्यापारियों को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और कर अदायगी करनी होती है, जिससे छोटे व्यापारियों को कठिनाइयाँ होती हैं। डिजिटलीकरण का अनुभव न होने के कारण उन्हें कई बार परेशानी का सामना करना पड़ता है।
2. जीएसटी की विभिन्न दरें: जीएसटी का मुख्य उद्देश्य “एक राष्ट्र, एक कर” था, लेकिन इसमें कई दरें हैं, जैसे 5%, 12%, 18%, और 28%, जिससे कर प्रणाली सरल नहीं रह पाई।
3. वास्तविकता में लाभ का अभाव: जीएसटी का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुँचाने में कठिनाई होती है। कई बार व्यापारी इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ खुद रखते हैं और इसे उपभोक्ताओं को नहीं देते, जिससे उपभोक्ता को वस्त्र की कीमत में कोई विशेष राहत नहीं मिलती।
4. अस्थिरता और जटिलताएँ: जीएसटी की शुरुआत में कई बार नियमों और दरों में बदलाव हुए, जिससे व्यापारियों को अस्थिरता और जटिलताओं का सामना करना पड़ा।
5. केंद्र और राज्यों के बीच राजस्व विभाजन: जीएसटी के कारण राज्यों की राजस्व स्वतंत्रता घट गई है और वे अब केंद्र पर अधिक निर्भर हो गए हैं। राजस्व विभाजन को लेकर राज्यों और केंद्र के बीच विवाद होते रहते हैं।
जीएसटी लागू होने के बाद भारतीय कर प्रणाली में सुधार
जीएसटी लागू होने से भारतीय कर प्रणाली में कई सुधार हुए, जो इस प्रकार हैं:
1. समान कर प्रणाली का निर्माण: जीएसटी के कारण पूरे देश में समान कर प्रणाली का निर्माण हुआ है। इससे राज्यीय करों की भिन्नता समाप्त हुई है और व्यापारियों को एक सरल और पारदर्शी कर प्रणाली का लाभ मिला है।
2. डिजिटलीकरण: जीएसटी लागू होने के बाद कर प्रणाली का डिजिटलीकरण हुआ है। रिटर्न फाइलिंग, कर भुगतान, और अन्य कर संबंधित गतिविधियाँ ऑनलाइन होती हैं, जिससे पारदर्शिता बढ़ी है।
3. पारदर्शिता में वृद्धि: जीएसटी के कारण हर लेनदेन का रिकॉर्ड होता है, जिससे कराधान में पारदर्शिता बढ़ी है और कर चोरी पर अंकुश लगा है।
4. अंतर्राज्यीय व्यापार में सरलता: जीएसटी ने अंतर्राज्यीय व्यापार को सरल बना दिया है, क्योंकि अब अंतर्राज्यीय लेनदेन पर एक समान दर लागू होती है और व्यापारियों को केंद्रीय बिक्री कर (CST) का सामना नहीं करना पड़ता।
5. आर्थिक विकास को प्रोत्साहन: जीएसटी के कारण व्यापारिक प्रक्रियाएँ सरल हुई हैं, जिससे आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिला है। उद्यमियों के लिए व्यवसाय करना आसान हो गया है, जिससे देश में नए उद्योग और व्यवसायों की स्थापना में वृद्धि हुई है।
निष्कर्ष
जीएसटी एक एकीकृत कर प्रणाली है जिसने भारतीय कर प्रणाली को सरल और पारदर्शी बना दिया है। इसके लाभों के कारण यह कर प्रणाली व्यवसायों के लिए लाभकारी साबित हुई है, जबकि इसकी कुछ कमियाँ भी हैं जिन्हें समय के साथ सुधारने की आवश्यकता है। जीएसटी के कार्यान्वयन से भारतीय अर्थव्यवस्था में स्थिरता, पारदर्शिता, और विकास को प्रोत्साहन मिला है, और यह देश की कर प्रणाली में एक प्रमुख सुधार साबित हुआ है।
प्रश्न 4:- जीएसटी का ढाँचा (Structure) क्या है? इसके अंतर्गत आने वाले विभिन्न घटकों जैसे कि CGST, SGST, IGST और UTGST की व्याख्या कीजिए। प्रत्येक घटक की भूमिका और महत्व को समझाइए।
उत्तर:- जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) का ढाँचा: संरचना, घटक, भूमिका और महत्व
परिचय
वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax – GST) भारत की अप्रत्यक्ष कर प्रणाली का एक प्रमुख सुधार है, जिसे देश में एक समान कर ढाँचा स्थापित करने के उद्देश्य से लागू किया गया। इसके माध्यम से कई स्तरों पर लागू होने वाले करों को एकीकृत कर दिया गया है, जिससे कराधान प्रणाली सरल, पारदर्शी और कार्यक्षम बन गई है। जीएसटी का ढाँचा विभिन्न घटकों के आधार पर विभाजित किया गया है, जिनमें सीजीएसटी (CGST), एसजीएसटी (SGST), आईजीएसटी (IGST) और यूटीजीएसटी (UTGST) शामिल हैं। इन घटकों के माध्यम से केंद्र और राज्य सरकारें कर वसूलती हैं और राष्ट्रीय और अंतर्राज्यीय व्यापार का संचालन करती हैं।
इस लेख में हम जीएसटी के ढाँचे को विस्तार से समझेंगे और इसके अंतर्गत आने वाले विभिन्न घटकों – सीजीएसटी, एसजीएसटी, आईजीएसटी और यूटीजीएसटी की भूमिका, कार्य और महत्त्व को जानेंगे।
जीएसटी का ढाँचा (Structure of GST)
जीएसटी का ढाँचा बहु-स्तरीय है, जिसमें करों को अलग-अलग स्तरों पर वसूला जाता है। चूँकि भारत एक संघीय संरचना वाला देश है, इसलिए यहाँ पर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच कर वसूली का बंटवारा किया गया है। जीएसटी की संरचना में दो मुख्य स्तंभ हैं:
1. राज्य स्तर पर कर (State Level Tax) – इसके अंतर्गत प्रत्येक राज्य द्वारा अपने क्षेत्र में वस्त्रों और सेवाओं पर कर लगाया जाता है, जिसे एसजीएसटी (SGST) के रूप में जाना जाता है।
2. केंद्रीय स्तर पर कर (Central Level Tax) – इसके अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा वसूला जाने वाला कर आता है, जिसे सीजीएसटी (CGST) के रूप में जाना जाता है।
जीएसटी की संरचना में प्रमुख चार घटक होते हैं:
1. सीजीएसटी (CGST): केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर
2. एसजीएसटी (SGST): राज्य वस्तु एवं सेवा कर
3. आईजीएसटी (IGST): एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर
4. यूटीजीएसटी (UTGST): केंद्र शासित प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर
आइए इन घटकों का विस्तार से अध्ययन करें।
1. सीजीएसटी (CGST) – केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर
परिभाषा और उद्देश्य
सीजीएसटी केंद्र सरकार द्वारा वसूला जाने वाला कर है। जब कोई वस्तु या सेवा एक राज्य के भीतर बेची जाती है, तब इस पर सीजीएसटी लागू होता है। इसका उद्देश्य केंद्र सरकार को राजस्व प्राप्ति में सहायता करना है और यह राज्यों के भीतर होने वाले व्यापार पर लगाया जाता है।
महत्त्व
सीजीएसटी का मुख्य महत्त्व यह है कि यह केंद्र सरकार को आय प्राप्ति का एक साधन प्रदान करता है। इसके माध्यम से केंद्र सरकार विभिन्न विकास योजनाओं, राष्ट्रीय परियोजनाओं और अन्य आवश्यकताओं को पूरा करती है। चूँकि यह कर वस्त्रों और सेवाओं की बिक्री पर आधारित है, इसलिए इसका संग्रह सरल है और इसे राज्यों के साथ मिलकर लागू किया जा सकता है।
उदाहरण
यदि महाराष्ट्र में एक व्यापारी ने 10,000 रुपये का माल बेचा है और इस पर 18% की दर से जीएसटी लागू है, तो इस 18% में से 9% सीजीएसटी के रूप में केंद्र सरकार को जाएगा।
2. एसजीएसटी (SGST) – राज्य वस्तु एवं सेवा कर
परिभाषा और उद्देश्य
एसजीएसटी राज्य सरकारों द्वारा वसूला जाने वाला कर है। जब किसी राज्य के भीतर वस्त्रों और सेवाओं की बिक्री होती है, तो उस पर एसजीएसटी लागू होता है। इसका उद्देश्य राज्य सरकार को राजस्व प्रदान करना और राज्य के भीतर की आर्थिक गतिविधियों को सरल बनाना है।
महत्त्व
एसजीएसटी का मुख्य महत्त्व यह है कि यह राज्य सरकारों को अपने आवश्यक वित्तीय संसाधन प्राप्त करने में मदद करता है। इसके माध्यम से राज्य सरकारें अपने राज्य में सामाजिक कल्याण, बुनियादी ढाँचा और अन्य विकास योजनाओं को संचालित कर सकती हैं। एसजीएसटी से राज्यों को अधिक वित्तीय स्वायत्तता मिलती है और उन्हें अपने विकास के लिए आवश्यक धन जुटाने में सहूलियत होती है।
उदाहरण
महाराष्ट्र में 10,000 रुपये का माल बेचे जाने पर यदि 18% जीएसटी लागू है, तो इस 18% में से 9% एसजीएसटी के रूप में महाराष्ट्र सरकार को जाएगा।
3. आईजीएसटी (IGST) – एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर
परिभाषा और उद्देश्य
आईजीएसटी केंद्र सरकार द्वारा अंतर्राज्यीय व्यापार और सेवाओं पर वसूला जाने वाला कर है। जब एक राज्य से दूसरे राज्य में वस्त्रों या सेवाओं की आपूर्ति होती है, तब इस पर आईजीएसटी लागू होता है। इसका उद्देश्य अंतर्राज्यीय व्यापार में कर की एकरूपता बनाए रखना और दो राज्यों के बीच राजस्व के वितरण को सरल बनाना है।
महत्त्व
आईजीएसटी का मुख्य महत्त्व यह है कि यह अंतर्राज्यीय व्यापार को सरल और पारदर्शी बनाता है। इसके माध्यम से अंतर्राज्यीय व्यापार में दोहरे कराधान की समस्या समाप्त हो जाती है। आईजीएसटी का संग्रह केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है और इसे जरूरत के हिसाब से राज्यों के बीच बाँट दिया जाता है, जिससे दोनों राज्यों को राजस्व का हिस्सा मिल सके।
उदाहरण
यदि दिल्ली से उत्तर प्रदेश में 50,000 रुपये का माल भेजा जाता है और इस पर 18% की दर से जीएसटी लागू है, तो इस 18% कर को आईजीएसटी के रूप में केंद्र सरकार को भुगतान किया जाएगा। बाद में इसे राज्यों के बीच बाँट दिया जाएगा।
4. यूटीजीएसटी (UTGST) – केंद्र शासित प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर
परिभाषा और उद्देश्य
यूटीजीएसटी उन वस्त्रों और सेवाओं पर लागू होता है जो केंद्र शासित प्रदेशों में बेची जाती हैं। यह केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एसजीएसटी का विकल्प है और इसके माध्यम से केंद्र शासित प्रदेशों में कर का संग्रह किया जाता है।
महत्त्व
यूटीजीएसटी का मुख्य महत्त्व यह है कि यह केंद्र शासित प्रदेशों को एक निश्चित आय का स्रोत प्रदान करता है। चूँकि केंद्र शासित प्रदेश राज्य सरकारों के अधीन नहीं आते, इसलिए यह कर केंद्र सरकार द्वारा लागू किया जाता है और इसे केंद्र शासित प्रदेशों में वस्त्रों और सेवाओं की बिक्री पर लागू किया जाता है।
उदाहरण
यदि चंडीगढ़ में 20,000 रुपये का माल बेचा जाता है और इस पर 18% जीएसटी लागू है, तो 9% यूटीजीएसटी के रूप में केंद्र शासित प्रदेश को जाएगा और शेष 9% सीजीएसटी के रूप में केंद्र सरकार को प्राप्त होगा।
जीएसटी के घटकों का महत्व और भूमिका
1. कर का सरल विभाजन
जीएसटी के चार घटक केंद्र और राज्य सरकारों को एक समान राजस्व बाँटने का साधन प्रदान करते हैं। इससे दोनों सरकारों के बीच वित्तीय संतुलन बना रहता है और कराधान प्रणाली को बेहतर ढंग से लागू किया जा सकता है।
2. दोहरे कराधान का उन्मूलन
आईजीएसटी के कारण अंतर्राज्यीय व्यापार में दोहरे कराधान की समस्या समाप्त हो गई है, जिससे व्यापारियों को आसानी हुई है। इससे कर प्रणाली में सुधार हुआ है और व्यापारी निर्बाध रूप से व्यापार कर सकते हैं।
3. राजस्व में पारदर्शिता
सीजीएसटी और एसजीएसटी के माध्यम से कर का पारदर्शी और समान वितरण होता है, जिससे प्रत्येक सरकार अपने संसाधनों का उपयोग सही ढंग से कर पाती है।
4. राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहन
जीएसटी के माध्यम से “एक राष्ट्र, एक कर” की अवधारणा को लागू किया गया है। इससे राज्यों के बीच कर की भिन्नता समाप्त हो गई है और व्यापारिक गतिविधियाँ एकीकृत हो गई हैं।
निष्कर्ष
जीएसटी का ढाँचा चार मुख्य घटकों पर आधारित है – सीजीएसटी, एसजीएसटी, आईजीएसटी, और यूटीजीएसटी। इन घटकों के माध्यम से केंद्र और राज्य सरकारों को समान राजस्व प्राप्त होता है, और कराधान प्रणाली में सरलता और पारदर्शिता आती है। जीएसटी ने भारतीय कर प्रणाली को सरल और संगठित बना दिया है, जिससे व्यापारियों, उपभोक्ताओं और सरकारों को लाभ हुआ है।
प्रश्न 5:- केंद्र सरकार, राज्य सरकार और केंद्र-शासित प्रदेशों द्वारा वसूले जाने वाले जीएसटी (GST) में CGST, SGST, IGST और UTGST के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए। इन सभी करों का कार्य और उपभोक्ता पर उनके प्रभाव को समझाइए।
उत्तर:- जीएसटी (GST) के अंतर्गत CGST, SGST, IGST और UTGST: अंतर, कार्य और उपभोक्ताओं पर प्रभाव
परिचय
वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax – GST) भारत में लागू एक एकीकृत अप्रत्यक्ष कर प्रणाली है, जो केंद्र और राज्य सरकार दोनों द्वारा वसूला जाता है। इससे पहले भारत में अलग-अलग प्रकार के अप्रत्यक्ष करों का जाल था, जो केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा अलग-अलग वसूले जाते थे, जैसे कि उत्पाद शुल्क, सेवा कर, मूल्य संवर्धित कर (VAT), केंद्रीय बिक्री कर, आदि। इन सभी करों को जीएसटी के अंतर्गत एकीकृत किया गया और इसे “एक राष्ट्र, एक कर” की अवधारणा के तहत लागू किया गया।
जीएसटी के चार प्रमुख घटक हैं: केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (CGST), राज्य वस्तु एवं सेवा कर (SGST), एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (IGST), और केंद्र-शासित प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर (UTGST)। इन सभी करों की अलग-अलग भूमिकाएँ हैं, और इनके माध्यम से केंद्र और राज्य सरकारों को राजस्व का बंटवारा सुनिश्चित होता है।
CGST, SGST, IGST, और UTGST के बीच अंतर
1. CGST (Central Goods and Services Tax) – केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर
CGST केंद्र सरकार द्वारा एक राज्य के भीतर वस्त्रों और सेवाओं की आपूर्ति पर वसूला जाने वाला कर है। जब एक ही राज्य के भीतर वस्त्रों और सेवाओं की बिक्री होती है, तो केंद्र सरकार द्वारा इस पर सीजीएसटी लागू किया जाता है।
• वसूली का अधिकार: CGST केंद्र सरकार द्वारा वसूला जाता है।
• लागू होने का क्षेत्र: यह कर केवल राज्य के भीतर की गई आपूर्ति पर लागू होता है।
• उद्देश्य: CGST से केंद्र सरकार को राजस्व प्राप्त होता है, जिससे केंद्र की योजनाएँ और विकास कार्य संचालित किए जाते हैं।
उदाहरण:
यदि महाराष्ट्र में एक व्यापारी ने 10,000 रुपये का माल बेचा है और इस पर 18% जीएसटी लागू है, तो इस 18% में से 9% CGST के रूप में केंद्र सरकार को जाएगा।
2. SGST (State Goods and Services Tax) – राज्य वस्तु एवं सेवा कर
SGST राज्य सरकार द्वारा वसूला जाने वाला कर है, जो राज्य के भीतर वस्त्रों और सेवाओं की आपूर्ति पर लागू होता है। जब एक राज्य के भीतर वस्त्रों और सेवाओं का लेन-देन होता है, तो राज्य सरकार द्वारा इस पर SGST लागू किया जाता है।
• वसूली का अधिकार: SGST राज्य सरकार द्वारा वसूला जाता है।
• लागू होने का क्षेत्र: यह कर राज्य के भीतर होने वाले व्यापार पर लागू होता है।
• उद्देश्य: SGST का उद्देश्य राज्य सरकार को राजस्व प्राप्त करना है, जिससे राज्य में विकास कार्य किए जा सकें और सामाजिक कल्याण योजनाएँ संचालित हो सकें।
उदाहरण:
महाराष्ट्र में 10,000 रुपये का माल बेचे जाने पर यदि 18% जीएसटी लागू है, तो इस 18% में से 9% SGST के रूप में महाराष्ट्र सरकार को जाएगा।
3. IGST (Integrated Goods and Services Tax) – एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर
IGST केंद्र सरकार द्वारा एक राज्य से दूसरे राज्य में वस्त्रों और सेवाओं की आपूर्ति पर वसूला जाने वाला कर है। जब किसी राज्य से दूसरे राज्य में वस्त्रों या सेवाओं का व्यापार होता है, तो IGST लागू होता है।
• वसूली का अधिकार: IGST केंद्र सरकार द्वारा वसूला जाता है।
• लागू होने का क्षेत्र: यह कर अंतर्राज्यीय व्यापार पर लागू होता है।
• उद्देश्य: IGST का उद्देश्य अंतर्राज्यीय व्यापार को सरल बनाना और केंद्र व राज्य सरकारों के बीच राजस्व का उचित बंटवारा करना है।
उदाहरण:
यदि दिल्ली से उत्तर प्रदेश में 50,000 रुपये का माल भेजा जाता है और इस पर 18% जीएसटी लागू है, तो इस 18% कर को IGST के रूप में केंद्र सरकार को भुगतान किया जाएगा। इसके बाद केंद्र सरकार इसका हिस्सा दोनों राज्यों में वितरित कर सकती है।
4. UTGST (Union Territory Goods and Services Tax) – केंद्र-शासित प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर
UTGST केंद्र सरकार द्वारा केंद्र-शासित प्रदेशों में वस्त्रों और सेवाओं की आपूर्ति पर वसूला जाने वाला कर है। चूँकि केंद्र-शासित प्रदेशों में राज्य सरकार नहीं होती, इसलिए राज्य कर (SGST) के बजाय UTGST लागू होता है।
• वसूली का अधिकार: UTGST केंद्र सरकार द्वारा वसूला जाता है।
• लागू होने का क्षेत्र: यह कर केंद्र-शासित प्रदेशों में लागू होता है।
• उद्देश्य: UTGST का उद्देश्य केंद्र-शासित प्रदेशों में कर का संग्रहण करना है, जिससे वहाँ की आवश्यकताओं और विकास कार्यों को पूरा किया जा सके।
उदाहरण:
यदि चंडीगढ़ में 20,000 रुपये का माल बेचा जाता है और इस पर 18% जीएसटी लागू है, तो 9% UTGST के रूप में केंद्र-शासित प्रदेश को जाएगा और शेष 9% CGST के रूप में केंद्र सरकार को प्राप्त होगा।
इन सभी करों का कार्य
1. CGST का कार्य: केंद्र सरकार को वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराना। इससे केंद्र सरकार को राष्ट्रीय स्तर की योजनाओं और परियोजनाओं को संचालित करने में सहूलियत मिलती है।
2. SGST का कार्य: राज्य सरकार को राजस्व प्रदान करना, जिससे राज्य स्तर पर विकास कार्य और सामाजिक कल्याण योजनाएँ चल सके।
3. IGST का कार्य: अंतर्राज्यीय व्यापार को सरल और पारदर्शी बनाना। IGST का संग्रह केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है और इसे जरूरत के अनुसार राज्यों के बीच बाँट दिया जाता है।
4. UTGST का कार्य: केंद्र-शासित प्रदेशों को कर का साधन प्रदान करना। यह SGST के स्थान पर केंद्र-शासित प्रदेशों में लागू होता है और वहाँ के विकास कार्यों के लिए आवश्यक धनराशि जुटाने में मदद करता है।
उपभोक्ताओं पर प्रभाव
जीएसटी के इन चार घटकों का उपभोक्ताओं पर विभिन्न प्रभाव होता है।
1. कीमत में स्थिरता
जीएसटी के इन घटकों के कारण अब उपभोक्ताओं को विभिन्न राज्यों में अलग-अलग करों का सामना नहीं करना पड़ता। इसका मुख्य लाभ यह है कि वस्त्रों और सेवाओं की कीमतों में स्थिरता बनी रहती है।
2. दोहरी कराधान का उन्मूलन
जीएसटी के माध्यम से दोहरे कराधान की समस्या समाप्त हो गई है। अब उपभोक्ताओं को केवल एक बार कर का भुगतान करना पड़ता है, जिससे वस्त्र और सेवाएँ सस्ती हो गई हैं।
3. व्यापार में सहूलियत
अंतर्राज्यीय व्यापार में IGST की भूमिका के कारण व्यापारियों को कर के बँटवारे में सहूलियत होती है, और इससे उपभोक्ताओं को भी सस्ती वस्त्रों और सेवाओं का लाभ मिलता है।
4. कर का भार उपभोक्ता पर
हालाँकि जीएसटी का अंतिम बोझ उपभोक्ता पर पड़ता है, लेकिन इन घटकों के सही कार्यान्वयन के कारण उपभोक्ताओं के लिए वस्त्र और सेवाएँ पहले की अपेक्षा सस्ती और पारदर्शी हो गई हैं।
5. पारदर्शिता में वृद्धि
जीएसटी के कारण कराधान प्रणाली में पारदर्शिता आई है, जिससे उपभोक्ताओं को कर भुगतान की जानकारी स्पष्ट रूप से मिलती है। अब उपभोक्ता वस्त्र की खरीद के समय ही जान सकते हैं कि उनके द्वारा चुकाए गए कर का कितना हिस्सा किस घटक में गया है।
निष्कर्ष
CGST, SGST, IGST, और UTGST जीएसटी के चार प्रमुख घटक हैं, जिनका उद्देश्य कराधान प्रणाली को सरल, पारदर्शी और समेकित बनाना है। इन घटकों के माध्यम से केंद्र और राज्य सरकारों के बीच कर संग्रहण और राजस्व वितरण का कार्य सुचारू रूप से होता है। जीएसटी के लागू होने से उपभोक्ताओं को सस्ती और पारदर्शी कर प्रणाली का लाभ मिला है, जिससे अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिला है। जीएसटी का यह ढाँचा “एक राष्ट्र, एक कर” की अवधारणा को साकार करता है और भारत की कर प्रणाली को अधिक सरल और व्यावहारिक बनाता है।
प्रश्न 6:- जीएसटी लागू होने से पूर्व अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में कौन-कौन सी कमियाँ थीं? उन कमियों को उदाहरण सहित विस्तार से बताइए और यह भी बताइए कि जीएसटी के आने से इन कमियों को कैसे दूर किया गया।
उत्तर:- जीएसटी लागू होने से पूर्व अप्रत्यक्ष कर प्रणाली की कमियाँ और जीएसटी से उनका समाधान
परिचय
जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) को 1 जुलाई 2017 को “एक राष्ट्र, एक कर” की अवधारणा के तहत भारत में लागू किया गया। इसके पहले, भारत में अप्रत्यक्ष कर प्रणाली अत्यंत जटिल और बहु-स्तरीय थी, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा कई प्रकार के कर लगाए जाते थे। इन करों के कारण व्यापारियों और उपभोक्ताओं को समस्याओं का सामना करना पड़ता था, और कर चोरी जैसी समस्याएँ भी उत्पन्न होती थीं। जीएसटी लागू करने का मुख्य उद्देश्य एक एकीकृत कर प्रणाली के माध्यम से कराधान प्रक्रिया को सरल बनाना और पिछली अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में मौजूद कमियों को दूर करना था।
इस लेख में हम जीएसटी लागू होने से पूर्व अप्रत्यक्ष कर प्रणाली की प्रमुख कमियों को विस्तार से समझेंगे और साथ ही यह भी जानेंगे कि जीएसटी के आने से कैसे इन कमियों को दूर किया गया।
जीएसटी लागू होने से पहले की अप्रत्यक्ष कर प्रणाली की प्रमुख कमियाँ
1. बहु-स्तरीय कर प्रणाली
जीएसटी से पहले भारत में विभिन्न प्रकार के अप्रत्यक्ष कर थे, जैसे कि उत्पाद शुल्क (Excise Duty), सेवा कर (Service Tax), मूल्य संवर्धित कर (VAT), केंद्रीय बिक्री कर (CST), प्रवेश शुल्क (Entry Tax), लग्जरी टैक्स (Luxury Tax), और ऑक्ट्रॉय (Octroi)। ये सभी कर केंद्र और राज्य स्तर पर अलग-अलग लगाए जाते थे, जिससे कर प्रणाली अत्यधिक जटिल हो गई थी। इन करों की विभिन्न दरों और नियमों के कारण व्यापारियों और उपभोक्ताओं को कठिनाइयाँ होती थीं और कर की गणना और भुगतान में समस्याएँ आती थीं।
2. दोहरा कराधान (Cascading Effect)
पुराने अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में “कर पर कर” की समस्या थी, जिसे दोहरे कराधान के नाम से जाना जाता है। उदाहरण के लिए, यदि एक उत्पादक ने कच्चे माल पर उत्पाद शुल्क चुकाया और फिर उस कच्चे माल से तैयार वस्तु पर वैट लगाया गया, तो वैट की गणना उत्पाद शुल्क सहित कच्चे माल के मूल्य पर की जाती थी। इसका अर्थ है कि उपभोक्ता को पहले ही करों का भुगतान करना पड़ता था, और फिर उसके ऊपर एक और कर लगाया जाता था। इस प्रकार, उपभोक्ताओं पर कर का बोझ अधिक पड़ता था।
3. अंतर्राज्यीय कराधान की जटिलता
जीएसटी से पहले, अंतर्राज्यीय व्यापार पर केंद्रीय बिक्री कर (CST) और अन्य राज्य-स्तरीय कर लगते थे। प्रत्येक राज्य की अपनी कर दरें और नियम थे, जिससे व्यापारियों को अन्य राज्यों में व्यापार करते समय करों की भिन्नता का सामना करना पड़ता था। अंतर्राज्यीय कर प्रणाली में जटिलताओं के कारण व्यापार करना कठिन था और व्यापारिक लागत भी बढ़ जाती थी।
4. कर चोरी की संभावना
अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में विभिन्न करों के जटिल नियमों के कारण कर चोरी और अपवंचन की संभावना अधिक रहती थी। कई व्यापारियों ने अलग-अलग करों का गलत लाभ उठाया, जिससे सरकार को राजस्व का नुकसान होता था। कर चोरी के मामले विशेष रूप से वैट, सेवा कर और उत्पाद शुल्क में अधिक देखे जाते थे, जहाँ व्यापारियों ने अलग-अलग राज्यों के बीच कर दरों की भिन्नता का फायदा उठाया।
5. राज्यों के बीच मूल्य असमानता
राज्यों के पास अपने-अपने वैट नियम और दरें थीं, जिससे एक ही वस्तु पर अलग-अलग राज्यों में भिन्न कर दरें लगती थीं। इसके कारण एक ही वस्त्र की कीमत अलग-अलग राज्यों में भिन्न होती थी। उपभोक्ता के लिए वस्त्रों की कीमतों का अनुमान लगाना कठिन होता था और इससे वस्त्रों की कीमतों में असमानता उत्पन्न होती थी।
6. व्यापारियों के लिए जटिल अनुपालन प्रक्रिया
विभिन्न प्रकार के अप्रत्यक्ष करों के कारण व्यापारियों को अलग-अलग करों का पालन करना पड़ता था और अलग-अलग रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता होती थी। प्रत्येक राज्य में व्यापार करने के लिए व्यापारियों को उस राज्य के अनुसार रजिस्ट्रेशन और कर अदायगी करनी होती थी। इस प्रकार की जटिलताओं के कारण व्यापारिक लागत बढ़ जाती थी और व्यापारियों के लिए अनुपालन करना कठिन हो जाता था।
7. केंद्रीय और राज्य करों के बीच पारदर्शिता का अभाव
पूर्व अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में केंद्रीय और राज्य करों के बीच कोई स्पष्ट विभाजन नहीं था। केंद्र सरकार के पास उत्पाद शुल्क, सेवा कर जैसे करों का अधिकार था, जबकि राज्य सरकारों ने वैट, ऑक्ट्रॉय, और प्रवेश शुल्क वसूले। इस व्यवस्था में कर का वितरण और पारदर्शिता का अभाव था, जिससे कराधान प्रक्रिया में असंतुलन उत्पन्न होता था।
जीएसटी के माध्यम से इन कमियों का समाधान
जीएसटी के आने से उपरोक्त सभी कमियों को दूर करने का प्रयास किया गया और कर प्रणाली में कई सुधार किए गए। जीएसटी ने भारतीय कर प्रणाली में प्रमुख बदलाव लाए, जिनका विवरण निम्नलिखित है:
1. एकीकृत कर प्रणाली
जीएसटी ने “एक राष्ट्र, एक कर” की अवधारणा को लागू किया, जिससे कई करों को एक ही कर में समेकित कर दिया गया। उत्पाद शुल्क, सेवा कर, वैट, सीएसटी, और अन्य करों को समाप्त कर दिया गया और इनके स्थान पर केवल एक जीएसटी लगाया गया। इस एकीकृत कर प्रणाली के कारण कर प्रणाली सरल हो गई है और व्यापारियों को केवल एक कर प्रणाली का पालन करना होता है।
2. दोहरे कराधान का उन्मूलन
जीएसटी ने इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) की सुविधा प्रदान की, जिससे दोहरे कराधान की समस्या समाप्त हो गई है। अब व्यापारियों को उनके द्वारा पहले से चुकाए गए कर का क्रेडिट मिलता है, जिससे कर का दोहराव नहीं होता और उपभोक्ताओं पर कर का बोझ कम हो गया है।
3. अंतर्राज्यीय व्यापार में सरलता
जीएसटी ने अंतर्राज्यीय व्यापार को सरल बना दिया है। अब अंतर्राज्यीय व्यापार पर एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (IGST) लागू होता है, जिससे कर की गणना और भुगतान में सुविधा हुई है। इससे व्यापारियों को राज्यों में व्यापार करना आसान हो गया है और उनकी व्यापारिक लागत भी कम हुई है।
4. कर चोरी में कमी
जीएसटी के तहत प्रत्येक लेनदेन का डिजिटल रिकॉर्ड रखा जाता है, जिससे कर चोरी और अपवंचन की संभावना कम हो गई है। जीएसटी ने पारदर्शी कर प्रणाली लागू की है, जिससे सरकार को राजस्व में वृद्धि हुई है और कर चोरी पर भी नियंत्रण लगा है।
5. राज्यों के बीच कीमतों में स्थिरता
जीएसटी के तहत सभी राज्यों में एक समान कर दर लागू है, जिससे राज्यों के बीच मूल्य असमानता समाप्त हो गई है। अब एक ही वस्त्र की कीमत पूरे देश में समान होती है, जिससे उपभोक्ताओं को कीमतों का अनुमान लगाना आसान हो गया है और वस्त्रों की कीमतों में स्थिरता आई है।
6. सरल अनुपालन प्रक्रिया
जीएसटी ने व्यापारियों के लिए अनुपालन प्रक्रिया को सरल बना दिया है। अब व्यापारियों को एक ही कर प्रणाली का पालन करना होता है और एक ही रिटर्न दाखिल करना होता है। जीएसटी के डिजिटलीकरण के कारण रिटर्न दाखिल करना और कर अदायगी ऑनलाइन की जा सकती है, जिससे व्यापारियों के लिए प्रक्रिया सरल हो गई है।
7. केंद्रीय और राज्य करों के बीच पारदर्शिता
जीएसटी ने केंद्रीय और राज्य सरकारों के बीच करों का पारदर्शी विभाजन किया है। इसके तहत केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (CGST) केंद्र सरकार द्वारा वसूला जाता है, राज्य वस्तु एवं सेवा कर (SGST) राज्य सरकार द्वारा वसूला जाता है, और एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (IGST) अंतर्राज्यीय व्यापार पर लगाया जाता है। इस विभाजन के कारण कराधान प्रणाली में पारदर्शिता आई है।
उदाहरणों के माध्यम से समझना
1. उदाहरण:
पहले, अगर एक व्यापारी महाराष्ट्र में उत्पादित कच्चे माल पर उत्पाद शुल्क चुकाता था और फिर उस कच्चे माल का उपयोग कर तैयार माल पर वैट लगता था, तो उपभोक्ता को दोहरी कराधान का सामना करना पड़ता था। लेकिन जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ मिलने के कारण कर का दोहराव नहीं होता है।
2. अंतर्राज्यीय व्यापार में सुधार:
पहले, अगर दिल्ली से उत्तर प्रदेश में माल भेजा जाता था तो व्यापारी को केंद्रीय बिक्री कर (CST) और राज्य वैट चुकाना पड़ता था। अब जीएसटी के तहत अंतर्राज्यीय व्यापार में केवल IGST का भुगतान करना होता है, जिससे व्यापारी को कर अदायगी में सुविधा मिलती है।
निष्कर्ष
जीएसटी लागू होने से पहले की अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में कई जटिलताएँ और कमियाँ थीं, जिनके कारण कराधान प्रणाली कठिन और व्यापारिक प्रक्रिया महँगी हो गई थी। जीएसटी ने इन सभी समस्याओं को दूर किया और एक एकीकृत, पारदर्शी और सरल कर प्रणाली लागू की। इससे व्यापारियों और उपभोक्ताओं दोनों को लाभ हुआ है, और भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है। जीएसटी के कारण “एक राष्ट्र, एक कर” की अवधारणा को साकार किया जा सका है और यह भारत की कर प्रणाली में एक महत्वपूर्ण सुधार साबित हुआ है।
प्रश्न 7:- जीएसटी अधिनियम के अंतर्गत आने वाले कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाओं की व्याख्या कीजिए, जैसे – कर योग्य व्यक्ति (Taxable Person), आपूर्ति (Supply), कर योग्य घटना (Taxable Event), स्थान (Place of Supply) और समय (Time of Supply)। इन परिभाषाओं का जीएसटी प्रणाली में क्या महत्व है?
उत्तर:- जीएसटी अधिनियम के अंतर्गत महत्वपूर्ण परिभाषाएँ और उनका महत्त्व
वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax – GST) अधिनियम एक एकीकृत कर प्रणाली है, जिसे भारत में 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया। जीएसटी के तहत कई महत्वपूर्ण परिभाषाएँ दी गई हैं, जो इसके कार्यान्वयन और प्रबंधन में सहायक हैं। इन परिभाषाओं का उपयोग कराधान की प्रक्रिया को सरल, स्पष्ट और पारदर्शी बनाने में किया गया है। कर योग्य व्यक्ति (Taxable Person), आपूर्ति (Supply), कर योग्य घटना (Taxable Event), स्थान (Place of Supply) और समय (Time of Supply) जैसी परिभाषाएँ जीएसटी प्रणाली में विशेष महत्व रखती हैं, क्योंकि इनके आधार पर कराधान से जुड़े नियम और दरें निर्धारित होती हैं।
इस लेख में हम इन महत्वपूर्ण परिभाषाओं का अध्ययन करेंगे और यह समझेंगे कि इनका जीएसटी प्रणाली में क्या महत्त्व है।
1. कर योग्य व्यक्ति (Taxable Person)
परिभाषा:
जीएसटी अधिनियम के अनुसार, कर योग्य व्यक्ति वह व्यक्ति है जो भारत में किसी भी व्यवसाय के माध्यम से वस्त्रों या सेवाओं की आपूर्ति करता है और जिसका वार्षिक कारोबार जीएसटी की निर्धारित सीमा से अधिक होता है। यह व्यक्ति, संस्था, फर्म, कंपनी, हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) या सरकार भी हो सकती है।
महत्त्व:
कर योग्य व्यक्ति की पहचान करना इसलिए महत्वपूर्ण है ताकि कर का सही-सही संग्रहण किया जा सके। जीएसटी के अंतर्गत कर योग्य व्यक्ति की परिभाषा से यह स्पष्ट होता है कि कौन-कौन कर अदायगी के दायरे में आएगा। उदाहरण के लिए, एक व्यापारी जिसका वार्षिक कारोबार 40 लाख रुपये से अधिक है, उसे जीएसटी के तहत पंजीकृत होना आवश्यक है। इससे छोटे व्यापारियों को कर की अनुपालना में राहत मिलती है और केवल बड़े व्यवसायों पर कर का दायित्व आता है।
उदाहरण:
एक व्यक्ति जिसका कारोबार 50 लाख रुपये का है और वह नियमित रूप से वस्त्रों की आपूर्ति करता है, उसे जीएसटी के तहत पंजीकृत होना आवश्यक है और उसे कर का भुगतान करना होगा।
2. आपूर्ति (Supply)
परिभाषा:
जीएसटी अधिनियम के तहत आपूर्ति का अर्थ वस्त्रों और सेवाओं की बिक्री, स्थानांतरण, विनिमय, लाइसेंस, किराये पर देना, पट्टा देना, और निपटान जैसी क्रियाओं से है। आपूर्ति का तात्पर्य किसी भी प्रकार के लेन-देन से है जिसके परिणामस्वरूप वस्त्रों और सेवाओं का मूल्यांकन होता है।
महत्त्व:
जीएसटी प्रणाली में आपूर्ति एक मुख्य घटक है क्योंकि कर का आधार आपूर्ति पर ही निर्धारित होता है। किसी भी वस्त्र या सेवा की आपूर्ति के समय ही कर योग्य घटना घटित होती है और उस पर जीएसटी लागू होता है। इसके कारण कराधान प्रक्रिया सरल होती है और कराधान के उद्देश्य से लेन-देन की स्पष्टता बनी रहती है।
उदाहरण:
यदि एक व्यापारी किसी वस्त्र की बिक्री करता है या किसी संपत्ति को किराये पर देता है, तो यह आपूर्ति की श्रेणी में आएगा और उस पर जीएसटी लगाया जाएगा।
3. कर योग्य घटना (Taxable Event)
परिभाषा:
जीएसटी अधिनियम में कर योग्य घटना वह घटना है जिसके घटित होने पर कर लगाया जाता है। जीएसटी में कर योग्य घटना का तात्पर्य आपूर्ति से है, यानी वस्त्रों और सेवाओं की आपूर्ति के समय कर का दायित्व उत्पन्न होता है।
महत्त्व:
कर योग्य घटना का निर्धारण इसलिए महत्वपूर्ण है ताकि कराधान के समय का निर्धारण किया जा सके। जब आपूर्ति की जाती है, तब उस पर जीएसटी लागू होता है। कर योग्य घटना की परिभाषा से यह स्पष्ट होता है कि कर का संग्रहण किस बिंदु पर किया जाएगा। इससे कर प्रणाली में पारदर्शिता और स्पष्टता बनी रहती है।
उदाहरण:
यदि किसी व्यक्ति ने किसी सेवा को प्रदान किया है, तो यह कर योग्य घटना मानी जाएगी और उस पर जीएसटी लगाया जाएगा। इसी प्रकार, किसी वस्त्र की बिक्री कर योग्य घटना होगी और उस पर कर लागू होगा।
4. स्थान (Place of Supply)
परिभाषा:
जीएसटी अधिनियम में स्थान का अर्थ वह स्थान है जहाँ वस्त्र या सेवाओं की आपूर्ति की जाती है। स्थान के आधार पर ही यह निर्धारित किया जाता है कि कर केंद्रीय या राज्य स्तरीय होगा। यदि आपूर्ति राज्य के भीतर है, तो SGST और CGST लागू होगा; और यदि आपूर्ति अंतर्राज्यीय है, तो IGST लागू होगा।
महत्त्व:
स्थान का निर्धारण करना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे यह स्पष्ट होता है कि कर का संग्रह किस सरकार को करना है – राज्य सरकार या केंद्र सरकार। स्थान के आधार पर ही कर की दरें और प्रकार तय होते हैं। यह कर प्रणाली में एकीकृत और व्यवस्थित दृष्टिकोण प्रदान करता है और अंतर्राज्यीय और राज्य स्तरीय व्यापार में सहूलियत देता है।
उदाहरण:
यदि एक वस्त्र की आपूर्ति दिल्ली से हरियाणा में की जाती है, तो यह अंतर्राज्यीय आपूर्ति मानी जाएगी और उस पर IGST लागू होगा। वहीं, अगर एक व्यापारी दिल्ली में ही वस्त्र की बिक्री करता है, तो यह राज्य के भीतर की आपूर्ति होगी और उस पर SGST और CGST लगाया जाएगा।
5. समय (Time of Supply)
परिभाषा:
जीएसटी अधिनियम में समय का अर्थ उस समय से है जब कर योग्य घटना घटित होती है और उस पर कर का दायित्व उत्पन्न होता है। समय के आधार पर यह निर्धारित होता है कि कर का भुगतान कब किया जाएगा। वस्त्रों और सेवाओं के लिए समय का निर्धारण अलग-अलग नियमों के अनुसार होता है।
महत्त्व:
कराधान प्रक्रिया में समय का निर्धारण इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे कर अदायगी का समय तय होता है। इससे कर प्रशासन को कर संग्रहण की समयसीमा मिलती है और व्यापारी को पता होता है कि उसे किस समय पर कर का भुगतान करना है। समय के आधार पर कर का भुगतान करने से कर प्रक्रिया में स्पष्टता और अनुशासन बना रहता है।
उदाहरण:
यदि किसी व्यापारी ने एक वस्त्र की आपूर्ति की है, तो उसकी चालान की तारीख को जीएसटी का भुगतान करने की समयसीमा निर्धारित होगी। इसी प्रकार, सेवाओं के मामले में भी कर का भुगतान समय के आधार पर तय होता है।
जीएसटी प्रणाली में इन परिभाषाओं का महत्त्व
इन परिभाषाओं का जीएसटी प्रणाली में अत्यधिक महत्त्व है, क्योंकि इनके आधार पर ही कर की गणना, संग्रहण और अदायगी होती है। ये परिभाषाएँ जीएसटी प्रणाली को स्पष्टता, सरलता और पारदर्शिता प्रदान करती हैं और कराधान प्रक्रिया को अनुशासित बनाती हैं।
1. कर का संग्रहण और भुगतान प्रणाली में स्पष्टता
कर योग्य व्यक्ति, आपूर्ति, कर योग्य घटना, स्थान, और समय की परिभाषाएँ जीएसटी प्रणाली को स्पष्टता प्रदान करती हैं। इनके आधार पर कर अदायगी का सही समय, स्थान, और व्यक्ति का निर्धारण होता है।
2. दोहरे कराधान से बचाव
जीएसटी अधिनियम में स्थान और समय की परिभाषाओं के कारण दोहरे कराधान से बचा जा सकता है। इन परिभाषाओं के आधार पर अंतर्राज्यीय और राज्य-स्तरीय करों का विभाजन होता है और कर का दायित्व सही-सही सरकार को जाता है।
3. कर चोरी और अपवंचन की रोकथाम
कर योग्य व्यक्ति और कर योग्य घटना की परिभाषाओं के आधार पर यह तय होता है कि कौन-सा व्यक्ति कर अदायगी के दायरे में आएगा। इससे कर चोरी और अपवंचन पर नियंत्रण पाया जा सकता है और कर प्रणाली को पारदर्शी बनाया जा सकता है।
4. व्यापारियों के लिए सुविधा और अनुपालन में सरलता
इन परिभाषाओं के कारण व्यापारियों के लिए कर अनुपालन आसान हो गया है। कर अदायगी का सही समय और स्थान तय होने से व्यापारियों को कर का भुगतान समय पर और सटीक रूप से करने में सुविधा होती है।
निष्कर्ष
जीएसटी अधिनियम के अंतर्गत कर योग्य व्यक्ति, आपूर्ति, कर योग्य घटना, स्थान, और समय जैसी परिभाषाएँ जीएसटी प्रणाली के महत्वपूर्ण घटक हैं। इनके माध्यम से कर प्रणाली को सरल, पारदर्शी और अनुशासित बनाया गया है। इन परिभाषाओं के कारण कर प्रणाली में स्पष्टता बनी रहती है और व्यापारियों के लिए कर अनुपालन आसान हो जाता है। जीएसटी का यह ढाँचा भारत में कराधान की पारदर्शी और प्रभावी प्रणाली स्थापित करने में सहायक है, जिससे उपभोक्ताओं और व्यापारियों दोनों को लाभ मिलता है।
प्रश्न 8:- जीएसटी (GST) की संरचना और कार्यप्रणाली का विवरण दीजिए। इसमें CGST, SGST, IGST और UTGST का वितरण कैसे होता है, इसका उदाहरण सहित विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:- वस्तु एवं सेवा कर (GST) की संरचना और कार्यप्रणाली: CGST, SGST, IGST और UTGST का वितरण
परिचय
वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax – GST) भारत में लागू एक एकीकृत कर प्रणाली है, जिसे 1 जुलाई 2017 को “एक राष्ट्र, एक कर” की अवधारणा के तहत शुरू किया गया। इसके माध्यम से केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाए जाने वाले विभिन्न अप्रत्यक्ष करों को समाप्त कर एकीकृत किया गया, जिससे कर प्रणाली सरल, पारदर्शी और कारगर हो गई। जीएसटी की संरचना को इस तरह तैयार किया गया है कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों को कर से राजस्व प्राप्त हो सके और यह कर प्रणाली संघीय ढाँचे का पालन करे।
जीएसटी में चार प्रमुख घटक हैं: केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (CGST), राज्य वस्तु एवं सेवा कर (SGST), एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (IGST), और केंद्र शासित प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर (UTGST)। इनके माध्यम से केंद्र और राज्य सरकारों के बीच कर का उचित बँटवारा सुनिश्चित किया गया है।
जीएसटी की संरचना (Structure of GST)
जीएसटी एक बहु-स्तरीय और गंतव्य-आधारित कर प्रणाली है, जिसमें वस्त्रों और सेवाओं की आपूर्ति के हर स्तर पर कर लागू होता है। यह कर एक गंतव्य-आधारित कर प्रणाली है, यानी कर का संग्रहण उस स्थान पर होता है जहाँ वस्त्रों और सेवाओं का उपभोग किया जाता है। जीएसटी की संरचना निम्नलिखित चार घटकों में विभाजित है:
1. केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (CGST) – केंद्र सरकार द्वारा वसूला जाने वाला कर।
2. राज्य वस्तु एवं सेवा कर (SGST) – राज्य सरकार द्वारा वसूला जाने वाला कर।
3. एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (IGST) – अंतर्राज्यीय व्यापार और सेवाओं पर वसूला जाने वाला कर।
4. केंद्र शासित प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर (UTGST) – केंद्र शासित प्रदेशों में वस्त्रों और सेवाओं पर वसूला जाने वाला कर।
जीएसटी की कार्यप्रणाली (Functioning of GST)
जीएसटी की कार्यप्रणाली में कर का भुगतान वस्त्रों और सेवाओं की आपूर्ति के समय होता है। जीएसटी को लागू करने का उद्देश्य कर प्रणाली को एकीकृत करना और केंद्र तथा राज्य सरकार के बीच राजस्व का सही वितरण सुनिश्चित करना है। इस प्रणाली में प्रत्येक लेन-देन का डिजिटल रिकॉर्ड रखा जाता है, जिससे कर का सही संग्रहण और पारदर्शिता बनी रहती है।
जीएसटी के घटक: CGST, SGST, IGST, और UTGST का विवरण
1. केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (CGST)
परिभाषा और उद्देश्य
CGST वह कर है जिसे केंद्र सरकार द्वारा वसूला जाता है और यह कर उस स्थिति में लगाया जाता है जब वस्त्रों और सेवाओं की आपूर्ति एक ही राज्य के भीतर होती है। इसका उद्देश्य केंद्र सरकार के राजस्व को बढ़ावा देना और विभिन्न योजनाओं के लिए धनराशि जुटाना है।
वितरण
CGST का भुगतान केंद्र सरकार को किया जाता है। यह राज्य के भीतर की गई आपूर्ति पर लागू होता है, और इसके माध्यम से केंद्र सरकार के हिस्से का कर प्राप्त होता है।
उदाहरण
यदि एक व्यापारी दिल्ली में वस्त्रों की आपूर्ति करता है और इस पर 18% GST लागू होता है, तो 18% में से 9% CGST के रूप में केंद्र सरकार को प्राप्त होगा।
2. राज्य वस्तु एवं सेवा कर (SGST)
परिभाषा और उद्देश्य
SGST वह कर है जिसे राज्य सरकार द्वारा वसूला जाता है और यह राज्य के भीतर वस्त्रों और सेवाओं की आपूर्ति पर लागू होता है। इसका उद्देश्य राज्य सरकारों को राजस्व प्रदान करना है, जिससे वे अपने विकास कार्य और जन कल्याण की योजनाओं को पूरा कर सकें।
वितरण
SGST का भुगतान राज्य सरकार को किया जाता है। जब एक ही राज्य के भीतर वस्त्रों और सेवाओं की आपूर्ति होती है, तो राज्य सरकार SGST का संग्रहण करती है।
उदाहरण
यदि कर्नाटक राज्य में 20,000 रुपये की वस्त्रों की आपूर्ति होती है और उस पर 18% GST लागू होता है, तो इसमें से 9% SGST के रूप में कर्नाटक सरकार को प्राप्त होगा।
3. एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (IGST)
परिभाषा और उद्देश्य
IGST वह कर है जो एक राज्य से दूसरे राज्य में वस्त्रों और सेवाओं की आपूर्ति पर लागू होता है। इसे केंद्र सरकार द्वारा वसूला जाता है और अंतर्राज्यीय व्यापार में लागू होता है। इसके माध्यम से दोनों राज्यों के बीच राजस्व का उचित बँटवारा सुनिश्चित किया जाता है।
वितरण
IGST का संग्रहण केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है और बाद में इसे दोनों राज्यों के बीच बाँट दिया जाता है। यह अंतर्राज्यीय व्यापार के लिए लागू होता है, जैसे दिल्ली से उत्तर प्रदेश में वस्त्रों की आपूर्ति।
उदाहरण
यदि महाराष्ट्र से गुजरात में 50,000 रुपये की वस्त्रों की आपूर्ति होती है और उस पर 18% GST लागू होता है, तो 18% कर को IGST के रूप में केंद्र सरकार को दिया जाएगा। बाद में इस कर का हिस्सा दोनों राज्यों में बाँटा जाएगा।
4. केंद्र शासित प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर (UTGST)
परिभाषा और उद्देश्य
UTGST वह कर है जो केंद्र शासित प्रदेशों में वस्त्रों और सेवाओं की आपूर्ति पर लागू होता है। यह SGST के समान ही होता है, लेकिन यह केंद्र शासित प्रदेशों में लागू होता है और केंद्र सरकार द्वारा वसूला जाता है।
वितरण
UTGST का संग्रहण केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है और यह केंद्र शासित प्रदेशों में आपूर्ति पर लागू होता है।
उदाहरण
यदि चंडीगढ़ में 10,000 रुपये की वस्त्रों की आपूर्ति होती है और उस पर 18% GST लागू होता है, तो इस 18% में से 9% UTGST और 9% CGST के रूप में संग्रहित किया जाएगा।
जीएसटी में कर का वितरण
जीएसटी में कर का वितरण मुख्यतः आपूर्ति के स्थान के आधार पर होता है। इसके तहत निम्नलिखित प्रकार का वितरण होता है:
• राज्य के भीतर की आपूर्ति: जब वस्त्रों और सेवाओं की आपूर्ति एक ही राज्य के भीतर होती है, तो कर का वितरण CGST और SGST के रूप में होता है। इसका आधा हिस्सा केंद्र सरकार को और आधा हिस्सा राज्य सरकार को मिलता है।
• अंतर्राज्यीय आपूर्ति: जब वस्त्रों और सेवाओं की आपूर्ति एक राज्य से दूसरे राज्य में होती है, तो IGST लागू होता है। यह कर केंद्र सरकार द्वारा संग्रहित किया जाता है और बाद में इसे दोनों राज्यों में बाँटा जाता है।
• केंद्र शासित प्रदेशों में आपूर्ति: जब वस्त्रों और सेवाओं की आपूर्ति केंद्र शासित प्रदेशों में होती है, तो UTGST और CGST के रूप में कर का वितरण होता है।
जीएसटी के घटकों का महत्त्व
1. केंद्र और राज्य सरकार के बीच संतुलन
जीएसटी की संरचना में CGST, SGST, IGST, और UTGST के घटक केंद्र और राज्य सरकारों के बीच संतुलित कर प्रणाली स्थापित करते हैं। इससे कर का समुचित बँटवारा होता है और दोनों स्तरों पर सरकारों को राजस्व प्राप्त होता है।
2. दोहरा कराधान समाप्त करना
जीएसटी प्रणाली में दोहरे कराधान की समस्या समाप्त हो जाती है, क्योंकि इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के माध्यम से व्यापारियों को पहले से चुकाए गए कर का क्रेडिट मिलता है।
3. अंतर्राज्यीय व्यापार में सरलता
IGST के माध्यम से अंतर्राज्यीय व्यापार में सरलता आती है, क्योंकि केंद्र सरकार इसका संग्रहण करती है और इसे राज्यों में बाँटती है। इससे व्यापारियों के लिए कर अदायगी आसान हो जाती है और व्यापारिक लागत कम होती है।
4. केंद्र शासित प्रदेशों के लिए विशेष व्यवस्था
UTGST के माध्यम से केंद्र शासित प्रदेशों में कर संग्रहण की विशेष व्यवस्था है, जिससे वे भी समान रूप से कर का लाभ प्राप्त कर सकते हैं और उनके विकास कार्यों में योगदान होता है।
निष्कर्ष
जीएसटी की संरचना और कार्यप्रणाली केंद्र और राज्य सरकार के बीच कर का समुचित वितरण सुनिश्चित करती है। CGST, SGST, IGST, और UTGST के माध्यम से कर का संग्रहण और वितरण प्रभावी ढंग से होता है, जिससे व्यापारियों और उपभोक्ताओं दोनों को लाभ होता है। जीएसटी ने कर प्रणाली को सरल, पारदर्शी और एकीकृत बना दिया है, जिससे भारत की कराधान व्यवस्था में एक नया अध्याय जुड़ा है।
प्रश्न 9:- वस्तु एवं सेवा कर (GST) के कार्यान्वयन के लाभ और हानियों का विस्तृत विश्लेषण कीजिए। इस कर प्रणाली ने व्यापारियों, उपभोक्ताओं और सरकार पर किस प्रकार का प्रभाव डाला है?
उत्तर:- वस्तु एवं सेवा कर (GST): कार्यान्वयन के लाभ, हानियाँ और इसके प्रभावों का विश्लेषण
परिचय
वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax – GST) को भारत में 1 जुलाई 2017 को “एक राष्ट्र, एक कर” की अवधारणा के तहत लागू किया गया। इसका उद्देश्य भारतीय कर प्रणाली को सरल, पारदर्शी और एकीकृत बनाना था। जीएसटी ने केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए विभिन्न अप्रत्यक्ष करों जैसे कि वैट, सेवा कर, उत्पाद शुल्क, केंद्रीय बिक्री कर, आदि को समाप्त कर दिया और उनके स्थान पर एक एकीकृत कर प्रणाली स्थापित की।
जीएसटी के कार्यान्वयन से व्यापारियों, उपभोक्ताओं, और सरकार पर कई सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़े हैं। इस लेख में हम जीएसटी के कार्यान्वयन के लाभ, हानियों और इससे उत्पन्न प्रभावों का विस्तार से अध्ययन करेंगे।
जीएसटी के कार्यान्वयन के लाभ
1. एकीकृत कर प्रणाली
जीएसटी ने भारत में “एक राष्ट्र, एक कर” की अवधारणा को साकार किया। इसके माध्यम से सभी प्रकार के अप्रत्यक्ष कर समाप्त हो गए और एक ही कर प्रणाली स्थापित हुई। इससे कराधान प्रणाली सरल और पारदर्शी बन गई है और व्यापारियों को अलग-अलग करों के जाल से मुक्ति मिली।
2. दोहरे कराधान की समाप्ति
जीएसटी के आने से दोहरे कराधान (Cascading Effect) की समस्या समाप्त हो गई है। इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) की सुविधा के कारण अब व्यापारियों को केवल अंतिम मूल्य पर कर का भुगतान करना पड़ता है और करों का दोहराव नहीं होता है। इससे वस्त्रों और सेवाओं की लागत कम हो गई है और उपभोक्ताओं पर कर का बोझ घटा है।
3. अंतर्राज्यीय व्यापार में सरलता
जीएसटी ने अंतर्राज्यीय व्यापार को सरल बना दिया है। पहले अंतर्राज्यीय व्यापार पर विभिन्न राज्य करों के कारण कठिनाई होती थी। जीएसटी के तहत आईजीएसटी (IGST) लागू होता है, जिससे अंतर्राज्यीय व्यापार में आसानी होती है और व्यापारिक लागत कम होती है।
4. डिजिटलीकरण और पारदर्शिता
जीएसटी के तहत कर अदायगी, रिटर्न दाखिल करने और अन्य प्रक्रियाएँ डिजिटल माध्यम से की जाती हैं। इससे कर प्रणाली में पारदर्शिता आई है और कर चोरी जैसी समस्याओं पर अंकुश लगा है। अब प्रत्येक लेनदेन का डिजिटल रिकॉर्ड होता है, जिससे कर प्रणाली अधिक पारदर्शी हो गई है।
5. सरल अनुपालन प्रक्रिया
जीएसटी के तहत व्यापारियों को केवल एक कर प्रणाली का पालन करना होता है। अब उन्हें केवल एक जीएसटी नंबर की आवश्यकता होती है और सभी लेन-देन उसी के तहत दर्ज किए जाते हैं। इससे व्यापारियों के लिए अनुपालन प्रक्रिया आसान हो गई है और उनका समय और संसाधन बचता है।
6. कर चोरी में कमी
जीएसटी के कारण प्रत्येक लेन-देन का डिजिटल रिकॉर्ड रखने की अनिवार्यता होती है, जिससे कर चोरी और अपवंचन की संभावना कम हो गई है। यह कर प्रणाली में पारदर्शिता और विश्वसनीयता को बढ़ाती है और सरकार को अधिक राजस्व प्राप्त होता है।
7. व्यापार और उद्योगों को प्रोत्साहन
जीएसटी के कारण व्यापार और उद्योगों को एक सरल कर प्रणाली मिली है, जिससे उन्हें व्यापार करने में आसानी होती है। विशेष रूप से छोटे और मध्यम उद्यमों (SMEs) को विभिन्न योजनाओं और दरों में छूट मिलती है, जिससे वे आसानी से व्यापार कर सकते हैं और बढ़ सकते हैं।
8. राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा में कमी
पहले हर राज्य का अपना वैट (VAT) होता था, जिससे राज्यों के बीच कर दरों में भिन्नता होती थी। जीएसटी के आने से पूरे देश में एक समान कर दर लागू हो गई है, जिससे राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा में कमी आई है और व्यापारिक गतिविधियाँ समान दरों पर संचालित हो रही हैं।
9. उपभोक्ताओं के लिए लाभ
दोहरे कराधान की समाप्ति और इनपुट टैक्स क्रेडिट जैसी सुविधाओं के कारण वस्त्रों और सेवाओं की लागत कम हो गई है। उपभोक्ताओं के लिए यह एक बड़ा लाभ है, क्योंकि अब उन्हें वस्त्र और सेवाएँ सस्ती मिलती हैं और कर प्रणाली में पारदर्शिता बनी रहती है।
जीएसटी के कार्यान्वयन की हानियाँ
1. छोटे व्यापारियों पर बोझ
जीएसटी के तहत छोटे व्यापारियों को रजिस्ट्रेशन, रिटर्न फाइलिंग और कर अदायगी जैसी डिजिटल प्रक्रियाओं का पालन करना होता है। जिन व्यापारियों का डिजिटलीकरण का अनुभव नहीं है, उन्हें इसमें कठिनाई होती है। छोटे व्यापारियों पर अनुपालन का बोझ बढ़ गया है और कई बार यह उनके लिए चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
2. जीएसटी की विभिन्न दरें
जीएसटी का उद्देश्य “एक राष्ट्र, एक कर” था, लेकिन इसमें कई दरें (0%, 5%, 12%, 18%, और 28%) हैं। विभिन्न दरों के कारण कर प्रणाली की जटिलता बनी रहती है और कई व्यापारियों को दरों की समझ में कठिनाई होती है। इससे कर प्रणाली का उद्देश्य आंशिक रूप से सफल नहीं हो पाया है।
3. मूल्य अस्थिरता
जीएसटी लागू होने के बाद प्रारंभिक चरण में कई वस्त्रों और सेवाओं की कीमतों में अस्थिरता आई थी। इसके कारण उपभोक्ताओं के लिए वस्त्रों की कीमतों का अनुमान लगाना कठिन हो गया था। हालाँकि, बाद में धीरे-धीरे यह समस्या कम हुई है, लेकिन इसकी शुरुआती अस्थिरता ने उपभोक्ताओं पर नकारात्मक प्रभाव डाला।
4. रिटर्न फाइलिंग की जटिल प्रक्रिया
जीएसटी के तहत प्रत्येक व्यापारी को नियमित रूप से रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता होती है। इसमें त्रैमासिक, मासिक और वार्षिक रिटर्न फाइलिंग की आवश्यकता होती है, जो छोटे व्यापारियों के लिए एक बोझिल प्रक्रिया साबित होती है। इससे व्यापारियों के लिए अनुपालन कठिन हो गया है।
5. सरकार के राजस्व में अस्थिरता
जीएसटी लागू होने के बाद सरकार के राजस्व में कुछ समय तक अस्थिरता देखी गई थी, क्योंकि कई व्यापारी जीएसटी प्रणाली में पूरी तरह से अनुकूल नहीं हो पाए थे। राजस्व में यह अस्थिरता राज्यों के लिए विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण थी, जो जीएसटी के कारण केंद्र पर अधिक निर्भर हो गए।
6. लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति शृंखला में व्यवधान
जीएसटी लागू होने के बाद लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति शृंखला में शुरुआती व्यवधान उत्पन्न हुए थे। नए नियमों और दरों के कारण परिवहन और वितरण व्यवस्था पर प्रभाव पड़ा था, जिससे व्यापारियों को कठिनाई का सामना करना पड़ा।
जीएसटी का व्यापारियों, उपभोक्ताओं और सरकार पर प्रभाव
व्यापारियों पर प्रभाव
• सरल कर प्रणाली: व्यापारियों को अब केवल एक ही कर प्रणाली का पालन करना होता है, जिससे उनके लिए अनुपालन सरल हो गया है।
• अनुपालन की जटिलता: छोटे व्यापारियों के लिए डिजिटल रिटर्न फाइलिंग और नियमित रजिस्ट्रेशन कठिन साबित हुआ है। इसके कारण कई छोटे व्यापारी प्रणाली में समायोजित नहीं हो पाए।
• कारोबारी लागत में कमी: इनपुट टैक्स क्रेडिट के माध्यम से व्यापारियों को कर का दोहराव नहीं झेलना पड़ता, जिससे उनकी व्यापारिक लागत कम हो गई है।
उपभोक्ताओं पर प्रभाव
• वस्त्रों और सेवाओं की कीमत में कमी: जीएसटी के कारण दोहरे कराधान की समाप्ति से वस्त्रों और सेवाओं की कीमत में कमी आई है, जिससे उपभोक्ताओं को वस्त्रें और सेवाएँ सस्ती मिलती हैं।
• पारदर्शिता: जीएसटी में कर प्रणाली पारदर्शी है, जिससे उपभोक्ताओं को अपने द्वारा चुकाए गए कर की स्पष्ट जानकारी मिलती है।
• मूल्य अस्थिरता: जीएसटी लागू होने के शुरुआती दिनों में मूल्य अस्थिरता देखी गई थी, लेकिन धीरे-धीरे स्थिरता आई है।
सरकार पर प्रभाव
• राजस्व में वृद्धि: जीएसटी के कारण कर प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ी है और कर चोरी पर नियंत्रण पाया गया है, जिससे सरकार को अधिक राजस्व प्राप्त होता है।
• राज्यों पर केंद्र की निर्भरता: जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों को राजस्व के लिए केंद्र पर निर्भर रहना पड़ता है, जिससे उनकी स्वतंत्रता में कमी आई है।
• विकास योजनाओं में सहूलियत: सरकार के लिए जीएसटी के माध्यम से राजस्व का उचित वितरण करना आसान हो गया है, जिससे विकास योजनाओं में सहूलियत होती है।
निष्कर्ष
जीएसटी का कार्यान्वयन भारतीय कर प्रणाली में एक ऐतिहासिक बदलाव साबित हुआ है। इसके कई लाभ हैं, जैसे कर प्रणाली की सरलता, पारदर्शिता, दोहरे कराधान की समाप्ति, और व्यापारियों के लिए अनुपालन की सरलता। हालांकि, इसके कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियाँ भी हैं, जैसे छोटे व्यापारियों के लिए कठिनाई, रिटर्न फाइलिंग की जटिलता और प्रारंभिक मूल्य अस्थिरता। जीएसटी ने व्यापारियों, उपभोक्ताओं और सरकार पर व्यापक प्रभाव डाला है और इसके माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था को गति मिली है।
जीएसटी ने व्यापारियों के लिए व्यापारिक प्रक्रिया को सरल बना दिया है और उपभोक्ताओं को वस्त्र और सेवाएँ सस्ती उपलब्ध करवाई हैं। साथ ही, सरकार को कर चोरी और अपवंचन से निपटने में मदद मिली है। जीएसटी का सफल कार्यान्वयन भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और इसके माध्यम से भारत में “एक राष्ट्र, एक कर” का सपना साकार हो रहा है।
प्रश्न 10:- जीएसटी अधिनियम के विभिन्न घटकों (CGST, SGST, IGST, UTGST) का विस्तार से वर्णन कीजिए और बताइए कि इनका एकीकृत संरचना में योगदान क्या है। इन सभी करों का संतुलन कैसे किया जाता है और किस प्रकार से इनका उपयोग किया जाता है?
उत्तर:- जीएसटी अधिनियम के विभिन्न घटक: CGST, SGST, IGST, UTGST और उनका एकीकृत संरचना में योगदान
परिचय
वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax – GST) एक एकीकृत कर प्रणाली है, जो भारत में अप्रत्यक्ष करों को सरल और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से 1 जुलाई 2017 को लागू की गई। इससे पहले, भारत में अप्रत्यक्ष कर प्रणाली जटिल थी, जिसमें केंद्र और राज्य सरकार द्वारा कई प्रकार के कर वसूले जाते थे, जैसे कि वैट, सेवा कर, उत्पाद शुल्क, केंद्रीय बिक्री कर, आदि। इन करों की अलग-अलग दरें और नियम होते थे, जिससे व्यापारियों और उपभोक्ताओं को कठिनाई होती थी।
जीएसटी अधिनियम के अंतर्गत चार मुख्य घटक शामिल किए गए हैं, जो इस प्रकार हैं:
1. केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (CGST)
2. राज्य वस्तु एवं सेवा कर (SGST)
3. एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (IGST)
4. केंद्र-शासित प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर (UTGST)
इन घटकों का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि केंद्र और राज्य सरकारों को एक निश्चित रूप से कर का हिस्सा प्राप्त हो और कर प्रणाली संतुलित हो। इन सभी घटकों का एकीकृत संरचना में क्या योगदान है, इस पर हम विस्तार से चर्चा करेंगे।
1. केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (CGST)
परिभाषा और उद्देश्य
CGST (Central Goods and Services Tax) केंद्र सरकार द्वारा राज्य के भीतर वस्त्रों और सेवाओं की आपूर्ति पर वसूला जाने वाला कर है। इसका उद्देश्य केंद्र सरकार को राजस्व का हिस्सा देना है, जिससे वह अपनी राष्ट्रीय योजनाओं और विकास कार्यों को पूरा कर सके।
संरचना में योगदान
CGST जीएसटी संरचना का एक महत्वपूर्ण घटक है, जो राज्य के भीतर की गई आपूर्ति पर केंद्र सरकार को राजस्व प्रदान करता है। इसके माध्यम से केंद्र सरकार को राज्यों में व्यापार से उत्पन्न राजस्व का हिस्सा मिलता है, जो संघीय ढाँचे को मजबूत बनाता है।
उदाहरण
महाराष्ट्र में अगर किसी वस्तु की बिक्री 20,000 रुपये की होती है और जीएसटी दर 18% है, तो इस 18% में से 9% CGST के रूप में केंद्र सरकार को जाएगा।
संतुलन कैसे किया जाता है
CGST को SGST के साथ संतुलित किया जाता है। जब कोई आपूर्ति राज्य के भीतर होती है, तो CGST और SGST दोनों लगाए जाते हैं, जिसमें केंद्र और राज्य सरकार को समान रूप से कर का हिस्सा मिलता है।
2. राज्य वस्तु एवं सेवा कर (SGST)
परिभाषा और उद्देश्य
SGST (State Goods and Services Tax) राज्य सरकार द्वारा राज्य के भीतर की गई वस्त्रों और सेवाओं की आपूर्ति पर वसूला जाने वाला कर है। इसका उद्देश्य राज्य सरकारों को उनके आर्थिक और विकासात्मक कार्यों के लिए राजस्व प्रदान करना है।
संरचना में योगदान
SGST का उद्देश्य राज्य को राजस्व प्रदान करना है, जिससे वह अपने क्षेत्रों में विकास और समाज कल्याण की योजनाएँ चला सके। SGST, CGST के साथ मिलकर एक संतुलित कर प्रणाली बनाता है, जिससे केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को लाभ मिलता है।
उदाहरण
उसी उदाहरण में यदि महाराष्ट्र में 18% GST लागू होता है, तो 9% SGST के रूप में महाराष्ट्र सरकार को प्राप्त होगा।
संतुलन कैसे किया जाता है
SGST को CGST के साथ संतुलित किया जाता है। यह संतुलन सुनिश्चित करता है कि राज्य सरकार को राज्य के भीतर की गई आपूर्ति का एक निश्चित हिस्सा मिले, जिससे राज्यों की वित्तीय स्वतंत्रता बरकरार रहे।
3. एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (IGST)
परिभाषा और उद्देश्य
IGST (Integrated Goods and Services Tax) एक ऐसा कर है, जो केंद्र सरकार द्वारा अंतर्राज्यीय व्यापार और सेवाओं की आपूर्ति पर वसूला जाता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्यों के बीच होने वाले व्यापार में कर का सही और समान बँटवारा हो।
संरचना में योगदान
IGST का मुख्य उद्देश्य अंतर्राज्यीय व्यापार में संतुलन बनाना और केंद्र तथा राज्यों के बीच राजस्व का सही वितरण सुनिश्चित करना है। IGST के माध्यम से केंद्र सरकार को कर का हिस्सा मिलता है और बाद में इसका उचित बँटवारा उन राज्यों में होता है जहाँ आपूर्ति की गई होती है।
उदाहरण
यदि दिल्ली से उत्तर प्रदेश में 50,000 रुपये की वस्त्रों की आपूर्ति होती है और उस पर 18% जीएसटी लागू है, तो इस 18% कर को IGST के रूप में केंद्र सरकार को प्राप्त होगा। इसके बाद केंद्र सरकार इस राशि का हिस्सा संबंधित राज्यों को देती है।
संतुलन कैसे किया जाता है
IGST को राज्य और केंद्र सरकार के बीच संतुलित किया जाता है। इसे अंतर्राज्यीय व्यापार में उत्पन्न कर का सही वितरण सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन किया गया है।
4. केंद्र-शासित प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर (UTGST)
परिभाषा और उद्देश्य
UTGST (Union Territory Goods and Services Tax) केंद्र शासित प्रदेशों में वस्त्रों और सेवाओं की आपूर्ति पर वसूला जाने वाला कर है। यह SGST का स्थान लेता है और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू होता है, क्योंकि वहाँ राज्य सरकार नहीं होती।
संरचना में योगदान
UTGST का उद्देश्य केंद्र शासित प्रदेशों में राजस्व का संग्रहण करना है, जिससे केंद्र शासित प्रदेशों की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।
उदाहरण
अगर चंडीगढ़ में 10,000 रुपये की वस्त्रों की आपूर्ति होती है और इस पर 18% GST लागू होता है, तो इस 18% में से 9% UTGST और 9% CGST के रूप में केंद्र सरकार को प्राप्त होगा।
संतुलन कैसे किया जाता है
UTGST को CGST के साथ संतुलित किया जाता है। केंद्र शासित प्रदेशों में SGST का विकल्प नहीं होता, इसलिए UTGST और CGST के माध्यम से केंद्र सरकार को राजस्व मिलता है और केंद्र शासित प्रदेशों की जरूरतें पूरी होती हैं।
जीएसटी के घटकों का एकीकृत संरचना में योगदान
जीएसटी के ये चार घटक भारत की कर प्रणाली को संघीय ढाँचे में संतुलन बनाए रखते हैं। इनमें प्रत्येक घटक का अपना महत्त्व है, जिससे केंद्र और राज्य सरकारों को राजस्व का उचित बँटवारा सुनिश्चित होता है।
1. CGST और SGST का संतुलन
CGST और SGST का संतुलन राज्य के भीतर की गई आपूर्ति पर सुनिश्चित होता है। इसके माध्यम से केंद्र और राज्य सरकारों को समान कर का हिस्सा मिलता है, जिससे राज्यों को वित्तीय सहायता मिलती है और उनकी आर्थिक स्वतंत्रता बनी रहती है।
2. IGST का संतुलन
IGST का संतुलन अंतर्राज्यीय व्यापार में होता है। इसके माध्यम से केंद्र सरकार को कर का संग्रहण मिलता है और बाद में इसे उन राज्यों में बाँटा जाता है जहाँ व्यापार किया गया है।
3. UTGST का संतुलन
UTGST केंद्र शासित प्रदेशों में SGST का स्थान लेता है और CGST के साथ संतुलित होता है। इसके माध्यम से केंद्र शासित प्रदेशों में भी कर का संग्रहण सुनिश्चित किया जाता है, जिससे उनकी आर्थिक जरूरतें पूरी की जा सकें।
इन घटकों का उपयोग और प्रभाव
1. व्यापार में सरलता
जीएसटी की एकीकृत संरचना के कारण व्यापारियों के लिए कर अनुपालन में सरलता आई है। उन्हें अब केवल एक कर प्रणाली का पालन करना होता है और उनके लेन-देन का रिकॉर्ड डिजिटल माध्यम से रखा जाता है।
2. राजस्व में वृद्धि
जीएसटी के कारण कर प्रणाली में पारदर्शिता आई है और कर चोरी की संभावना कम हो गई है। इससे सरकार को अधिक राजस्व प्राप्त होता है, जो विकास कार्यों में लगाया जा सकता है।
3. उपभोक्ताओं को लाभ
जीएसटी के कारण वस्त्रों और सेवाओं की लागत में कमी आई है, जिससे उपभोक्ताओं को सस्ती वस्त्रें और सेवाएँ मिलती हैं। दोहरे कराधान की समाप्ति ने उपभोक्ताओं पर कर का बोझ घटा दिया है।
निष्कर्ष
जीएसटी के घटक – CGST, SGST, IGST और UTGST ने भारतीय कर प्रणाली में संघीय संतुलन स्थापित किया है। इन घटकों के माध्यम से केंद्र और राज्य सरकारों के बीच कर का उचित बँटवारा होता है और कर प्रणाली सरल और पारदर्शी बनती है। जीएसटी का यह एकीकृत ढाँचा भारत में “एक राष्ट्र, एक कर” की अवधारणा को साकार करता है और व्यापार, उपभोक्ताओं और सरकार के लिए लाभकारी साबित हुआ है।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1:- अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax) क्या होता है? संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:- अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax) एक ऐसा कर है जो वस्त्रों और सेवाओं के उपभोग या उपयोग पर लगाया जाता है। इसे उपभोक्ता द्वारा सीधे सरकार को नहीं चुकाया जाता, बल्कि वस्त्र या सेवा की कीमत में जोड़कर वसूला जाता है। इस कर को पहले विक्रेता या सेवा प्रदाता चुकाता है, जो बाद में उपभोक्ता से कीमत के रूप में वसूलता है। उदाहरण के लिए, जब हम कोई वस्त्र खरीदते हैं, तो उसकी कीमत में अप्रत्यक्ष कर शामिल होता है, जैसे वस्तु एवं सेवा कर (GST)। यह कर स्थानांतरणीय होता है, जिसका अर्थ है कि इसका वास्तविक भार अंततः उपभोक्ता पर पड़ता है। अप्रत्यक्ष करों में मुख्यतः GST, सीमा शुल्क (Custom Duty), और उत्पाद शुल्क (Excise Duty) शामिल होते हैं। इन करों का उद्देश्य सरकार के लिए राजस्व उत्पन्न करना है, जिसे सार्वजनिक सेवाओं और विकास कार्यों में निवेश किया जाता है। अप्रत्यक्ष कर का लाभ यह है कि यह व्यापक रूप से लागू होता है और सरकार को बड़ी संख्या में छोटे-छोटे योगदानों से अधिक राजस्व प्राप्त करने में सहायता मिलती है।
प्रश्न 2:- अप्रत्यक्ष कर के मुख्य लक्षण (Features) क्या हैं?
उत्तर:- अप्रत्यक्ष करों के कई महत्वपूर्ण लक्षण होते हैं, जो इसे प्रत्यक्ष करों से अलग करते हैं। सबसे पहला लक्षण यह है कि अप्रत्यक्ष कर वस्त्रों और सेवाओं पर लगाए जाते हैं, न कि किसी व्यक्ति की आय पर। इसका अर्थ है कि सभी उपभोक्ता जो वस्त्रों और सेवाओं का उपभोग करते हैं, अप्रत्यक्ष कर का भार वहन करते हैं। दूसरा लक्षण यह है कि अप्रत्यक्ष कर स्थानांतरणीय होते हैं, यानी इनका वास्तविक भार उपभोक्ता पर पड़ता है, भले ही इसे विक्रेता द्वारा सरकार को जमा किया जाए। तीसरा लक्षण यह है कि अप्रत्यक्ष करों में करों की गणना वस्त्रों या सेवाओं के मूल्य के आधार पर की जाती है, जिससे उच्च मूल्य के वस्त्रों पर अधिक कर लागू होता है। चौथा लक्षण यह है कि ये कर सभी उपभोक्ताओं पर समान रूप से लागू होते हैं, चाहे उनकी आय कुछ भी हो, जिससे आय के आधार पर भेदभाव नहीं होता। इसके अलावा, अप्रत्यक्ष कर प्रणाली सरकार को आसान और नियमित राजस्व प्राप्त करने का साधन प्रदान करती है।
प्रश्न 3:- प्रत्यक्ष कर (Direct Tax) और अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax) में क्या अंतर है?
उत्तर:- प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर में कई महत्वपूर्ण अंतर होते हैं। प्रत्यक्ष कर वह कर होता है, जो किसी व्यक्ति या संस्था की आय, संपत्ति या लाभ पर लगाया जाता है, जैसे आयकर (Income Tax) और संपत्ति कर (Property Tax)। यह कर व्यक्ति द्वारा सीधे सरकार को चुकाया जाता है और इसका स्थानांतरण नहीं होता है, यानी कर का भार उसी व्यक्ति पर रहता है। दूसरी ओर, अप्रत्यक्ष कर वस्त्रों और सेवाओं पर लगाया जाता है और यह उपभोक्ता द्वारा वस्त्र या सेवा की कीमत के रूप में चुकाया जाता है। इसका भार स्थानांतरित हो जाता है, क्योंकि इसे पहले विक्रेता द्वारा सरकार को जमा किया जाता है, जो बाद में उपभोक्ता से वसूलता है। प्रत्यक्ष कर में कर दर आय के अनुसार बढ़ती है, जबकि अप्रत्यक्ष कर में कर दर सभी उपभोक्ताओं के लिए समान होती है। उदाहरण के लिए, GST एक अप्रत्यक्ष कर है, जबकि आयकर एक प्रत्यक्ष कर है। इस प्रकार, प्रत्यक्ष कर व्यक्ति की आर्थिक क्षमता के अनुसार लागू होते हैं, जबकि अप्रत्यक्ष कर समान रूप से सभी उपभोक्ताओं पर लागू होते हैं।
प्रश्न 4:- जीएसटी लागू होने से पहले भारत में किन-किन प्रकार के अप्रत्यक्ष कर लगाए जाते थे?
उत्तर:- जीएसटी लागू होने से पहले भारत में कई प्रकार के अप्रत्यक्ष कर थे, जिन्हें केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा अलग-अलग स्तर पर लगाया जाता था। इनमें प्रमुख करों में उत्पाद शुल्क (Excise Duty), सेवा कर (Service Tax), मूल्य संवर्धित कर (VAT), और केंद्रीय बिक्री कर (CST) शामिल थे। उत्पाद शुल्क देश में निर्मित वस्त्रों पर लागू होता था और इसे केंद्र सरकार वसूलती थी। सेवा कर सेवाओं पर लागू होता था, जैसे बैंकिंग सेवाएँ, बीमा सेवाएँ, आदि, और इसे भी केंद्र सरकार द्वारा ही वसूला जाता था। राज्यों द्वारा वस्त्रों की बिक्री पर वैट लगाया जाता था, जो प्रत्येक राज्य में भिन्न दरों पर लागू होता था। इसके अलावा, राज्यों में अंतर्राज्यीय व्यापार पर CST लगाया जाता था। इन करों के अतिरिक्त, राज्य सरकारों द्वारा ऑक्ट्रॉय (Octroi) और प्रवेश शुल्क (Entry Tax) जैसे कर भी वसूले जाते थे। जीएसटी के लागू होने से इन सभी करों को समाप्त कर दिया गया और एक एकीकृत कर प्रणाली स्थापित की गई, जिससे कराधान प्रक्रिया सरल, पारदर्शी और एकीकृत हो गई।
प्रश्न 5:- जीएसटी (GST) लागू होने से पहले के अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में कौन-कौन सी कमियाँ थीं?
उत्तर:- जीएसटी लागू होने से पहले की अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में कई कमियाँ थीं, जो व्यापारियों, उपभोक्ताओं और सरकार के लिए चुनौतियाँ उत्पन्न करती थीं। सबसे पहले, यह प्रणाली अत्यधिक जटिल थी, क्योंकि केंद्र और राज्य सरकारें अलग-अलग प्रकार के कर वसूलती थीं, जैसे कि उत्पाद शुल्क, सेवा कर, मूल्य संवर्धित कर (VAT), केंद्रीय बिक्री कर (CST) आदि। प्रत्येक राज्य की अपनी कर दरें और नियम थे, जिससे एक ही वस्त्र पर विभिन्न राज्यों में अलग-अलग कर लागू होते थे। इस जटिलता के कारण व्यापारियों के लिए अनुपालन कठिन था और अंतर्राज्यीय व्यापार में बाधाएँ उत्पन्न होती थीं। इसके अलावा, दोहरे कराधान (Cascading Effect) की समस्या थी, जहाँ एक वस्त्र पर कई स्तरों पर कर लगता था, जिससे उपभोक्ता पर कर का बोझ बढ़ता था। कर प्रणाली में पारदर्शिता का अभाव था और कर चोरी की संभावना अधिक थी। ये सभी कमियाँ जीएसटी के लागू होने के बाद दूर हुईं, जिससे भारतीय कर प्रणाली अधिक सरल और पारदर्शी बनी।
प्रश्न 6:- वस्तु एवं सेवा कर (GST) का अर्थ क्या है और यह क्यों लागू किया गया?
उत्तर:- वस्तु एवं सेवा कर (GST) एक एकीकृत अप्रत्यक्ष कर प्रणाली है, जिसे भारत में 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया। इसका उद्देश्य “एक राष्ट्र, एक कर” की अवधारणा को साकार करना था, जिसमें पूरे देश में एक समान कर प्रणाली लागू हो सके। जीएसटी के लागू होने से पहले, भारत में अप्रत्यक्ष कर प्रणाली जटिल और बहु-स्तरीय थी, जहाँ केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न प्रकार के कर लगाए जाते थे। इन करों में उत्पाद शुल्क, सेवा कर, वैट, केंद्रीय बिक्री कर (CST) और अन्य राज्य स्तरीय कर शामिल थे। जीएसटी ने इन सभी करों को समाप्त कर एक एकीकृत प्रणाली लागू की, जिससे कर प्रणाली सरल और पारदर्शी हो गई। जीएसटी का उद्देश्य व्यापार में सरलता, दोहरे कराधान की समाप्ति, राजस्व में पारदर्शिता, और कर चोरी पर नियंत्रण प्राप्त करना था। यह कर प्रणाली सभी राज्यों में समान दर पर लागू होती है, जिससे व्यापारियों और उपभोक्ताओं को लाभ मिलता है और सरकार को अधिक राजस्व प्राप्त होता है।
प्रश्न 7:- जीएसटी के कुछ प्रमुख लाभ (Advantages) क्या हैं?
उत्तर:- जीएसटी के लागू होने से भारतीय अर्थव्यवस्था में कई सकारात्मक प्रभाव पड़े हैं। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह “एक राष्ट्र, एक कर” की अवधारणा को साकार करता है, जिससे पूरे देश में एक समान कर प्रणाली लागू होती है और व्यापारियों को अलग-अलग करों का पालन नहीं करना पड़ता। जीएसटी ने दोहरे कराधान की समस्या को समाप्त कर दिया है, जिससे वस्त्रों और सेवाओं की कीमतों में कमी आई है और उपभोक्ताओं को सस्ती वस्त्रें मिलती हैं। इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) की सुविधा के कारण व्यापारियों की व्यापारिक लागत भी कम हुई है। जीएसटी के कारण कर प्रणाली में डिजिटलीकरण आया है, जिससे कर अदायगी, रिटर्न फाइलिंग, और कर संग्रहण की प्रक्रिया पारदर्शी और सरल हुई है। इससे कर चोरी पर भी अंकुश लगा है। अंतर्राज्यीय व्यापार में IGST के माध्यम से सरलता आई है, और केंद्र तथा राज्य सरकारों के बीच राजस्व का संतुलन भी बना रहता है। जीएसटी के कारण भारत की कर प्रणाली अधिक पारदर्शी और व्यापार के अनुकूल हो गई है।
प्रश्न 8:- जीएसटी के लागू होने से क्या हानियाँ (Disadvantages) सामने आई हैं?
उत्तर:- जीएसटी के लागू होने से कई फायदे हुए हैं, लेकिन इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हैं। सबसे पहले, जीएसटी के तहत कई दरें हैं जैसे 0%, 5%, 12%, 18%, और 28%, जिससे “एक राष्ट्र, एक कर” की अवधारणा को पूरी तरह से साकार नहीं किया जा सका है और कर प्रणाली में कुछ जटिलता बनी हुई है। छोटे व्यापारियों के लिए डिजिटलीकरण और ऑनलाइन रिटर्न फाइलिंग की प्रक्रिया एक चुनौती साबित हो रही है, क्योंकि उन्हें तकनीकी ज्ञान की कमी हो सकती है। जीएसटी के कारण प्रारंभिक चरण में मूल्य अस्थिरता देखी गई, जिससे उपभोक्ताओं पर असर पड़ा। इसके अलावा, जीएसटी के कारण राज्यों को कर संग्रहण के लिए केंद्र पर अधिक निर्भर रहना पड़ता है, जिससे उनकी वित्तीय स्वतंत्रता में कमी आई है। अंत में, रिटर्न फाइलिंग की प्रक्रिया में समय-समय पर बदलाव और नई व्यवस्थाएँ व्यापारियों के लिए जटिलता उत्पन्न करती हैं।
प्रश्न 9:- जीएसटी की संरचना (Structure) में कौन-कौन से घटक शामिल हैं?
उत्तर:- जीएसटी की संरचना को भारत में एकीकृत कर प्रणाली बनाने के उद्देश्य से चार मुख्य घटकों में विभाजित किया गया है। ये चार घटक हैं: केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (CGST), राज्य वस्तु एवं सेवा कर (SGST), एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (IGST) और केंद्र शासित प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर (UTGST)। CGST केंद्र सरकार द्वारा राज्य के भीतर की गई आपूर्ति पर वसूला जाता है, जबकि SGST राज्य सरकार द्वारा वसूला जाता है। जब आपूर्ति एक राज्य से दूसरे राज्य में की जाती है, तो उस पर IGST लागू होता है और इसे केंद्र सरकार द्वारा संग्रहित किया जाता है। केंद्र शासित प्रदेशों में, SGST के स्थान पर UTGST लागू होता है और यह केंद्र सरकार के अंतर्गत आता है। इन घटकों का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों को कर का उचित हिस्सा प्राप्त हो, जिससे संघीय ढाँचे को मजबूती मिले और कर प्रणाली सरल और पारदर्शी बनी रहे।
प्रश्न 10:- सीजीएसटी (CGST) क्या होता है और इसे कौन वसूलता है?
उत्तर:- सीजीएसटी (Central Goods and Services Tax) वह कर है जिसे केंद्र सरकार राज्य के भीतर वस्त्रों और सेवाओं की आपूर्ति पर वसूलती है। जब कोई वस्त्र या सेवा एक ही राज्य के भीतर बेची जाती है, तो उस पर CGST और SGST दोनों लागू होते हैं। CGST का उद्देश्य केंद्र सरकार के लिए राजस्व उत्पन्न करना है, जो कि राष्ट्रीय स्तर पर विकास योजनाओं और अन्य परियोजनाओं में इस्तेमाल किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, यदि दिल्ली में कोई व्यापारी वस्त्र की आपूर्ति करता है और उस पर 18% जीएसटी लागू होता है, तो इसमें से 9% CGST के रूप में केंद्र सरकार को जाएगा। इस प्रकार, CGST जीएसटी की संरचना का एक महत्वपूर्ण घटक है, जो कर प्रणाली में संतुलन बनाए रखने में मदद करता है और केंद्र सरकार की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करता है।
प्रश्न 11:- एसजीएसटी (SGST) का क्या अर्थ है और इसे कौन वसूलता है?
उत्तर:- एसजीएसटी (State Goods and Services Tax) वह कर है जो राज्य सरकार द्वारा राज्य के भीतर वस्त्रों और सेवाओं की आपूर्ति पर वसूला जाता है। जब कोई वस्त्र या सेवा एक ही राज्य में बेची जाती है, तो उस पर CGST के साथ-साथ SGST भी लागू होता है। SGST का उद्देश्य राज्य सरकार को राजस्व का हिस्सा प्रदान करना है, जिससे वह अपने राज्य में विकास कार्य और समाज कल्याण योजनाएँ संचालित कर सके। उदाहरण के लिए, यदि महाराष्ट्र में कोई व्यापारी वस्त्र की बिक्री करता है और उस पर 18% जीएसटी दर लागू होती है, तो 9% SGST के रूप में महाराष्ट्र सरकार को प्राप्त होगा। इस प्रकार, SGST जीएसटी प्रणाली का एक महत्वपूर्ण घटक है, जो राज्य सरकारों को उनकी वित्तीय स्वतंत्रता बनाए रखने में मदद करता है और संघीय कर ढाँचे को संतुलित बनाता है।
प्रश्न 12:- आईजीएसटी (IGST) किसे कहते हैं और इसका उपयोग कब किया जाता है?
उत्तर:- आईजीएसटी (Integrated Goods and Services Tax) वह कर है जिसे केंद्र सरकार अंतर्राज्यीय व्यापार, यानी एक राज्य से दूसरे राज्य में वस्त्रों और सेवाओं की आपूर्ति पर वसूलती है। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि दो राज्यों के बीच व्यापार में कर का सही और पारदर्शी रूप से बँटवारा हो सके। जब किसी वस्त्र या सेवा की आपूर्ति एक राज्य से दूसरे राज्य में होती है, तो उस पर CGST और SGST के स्थान पर IGST लगाया जाता है। उदाहरण के लिए, अगर दिल्ली से उत्तर प्रदेश में माल भेजा जा रहा है और उस पर 18% जीएसटी है, तो पूरा 18% IGST के रूप में केंद्र सरकार द्वारा वसूला जाएगा, जो बाद में दोनों राज्यों में बाँट दिया जाएगा। इस प्रकार, IGST जीएसटी प्रणाली में अंतर्राज्यीय व्यापार के लिए एकीकृत और संतुलित कर प्रणाली बनाए रखने में सहायक होता है।
प्रश्न 13:- यूटीजीएसटी (UTGST) का क्या अर्थ है और यह किन क्षेत्रों में लागू होता है?
उत्तर:- यूटीजीएसटी (Union Territory Goods and Services Tax) वह कर है जो केंद्र शासित प्रदेशों में वस्त्रों और सेवाओं की आपूर्ति पर लागू होता है। यह SGST का विकल्प है और केवल उन क्षेत्रों में लगाया जाता है जो राज्य के अंतर्गत नहीं आते, जैसे कि चंडीगढ़, लक्षद्वीप, दमन और दीव आदि। चूँकि केंद्र शासित प्रदेशों में राज्य सरकार नहीं होती, इसलिए वहाँ SGST के स्थान पर UTGST लागू होता है। UTGST का संग्रहण केंद्र सरकार करती है और यह केंद्र शासित प्रदेशों की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायक होता है। उदाहरण के लिए, यदि चंडीगढ़ में किसी वस्त्र पर 18% GST लगाया गया है, तो इसमें 9% UTGST के रूप में वसूला जाएगा। इस प्रकार, UTGST का मुख्य उद्देश्य केंद्र शासित प्रदेशों में राजस्व का संग्रहण करना है और इसे संघीय कर प्रणाली में संतुलित करना है।
प्रश्न 14:- जीएसटी अधिनियम में कर योग्य व्यक्ति (Taxable Person) की परिभाषा क्या है?
उत्तर:- जीएसटी अधिनियम में कर योग्य व्यक्ति (Taxable Person) वह व्यक्ति, संस्था, फर्म या कंपनी होती है जो भारत में किसी भी प्रकार का व्यवसाय, व्यापार या सेवा प्रदान करता है और जिसका वार्षिक कारोबार जीएसटी की निर्धारित सीमा से अधिक है। यह कर योग्य व्यक्ति जीएसटी अधिनियम के तहत पंजीकृत होना आवश्यक होता है और उसे कर अदायगी का दायित्व होता है। कर योग्य व्यक्ति की परिभाषा से यह स्पष्ट होता है कि कौन जीएसटी के दायरे में आता है और किसे जीएसटी के नियमों का पालन करना अनिवार्य है। जीएसटी के अंतर्गत आने के लिए निर्धारित सीमा विभिन्न राज्यों और व्यवसायों के लिए भिन्न हो सकती है। उदाहरण के लिए, एक व्यापारी जिसका कारोबार 40 लाख रुपये से अधिक है, उसे जीएसटी में पंजीकरण करवाना होगा। इस प्रकार, कर योग्य व्यक्ति की परिभाषा जीएसटी प्रणाली में कराधान प्रक्रिया को स्पष्ट और संरचित बनाने में मदद करती है।
प्रश्न 15:- जीएसटी अधिनियम में आपूर्ति (Supply) का क्या अर्थ है और यह कराधान में क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर:- जीएसटी अधिनियम में आपूर्ति (Supply) का अर्थ है वस्त्रों और सेवाओं का बिक्री, विनिमय, लाइसेंस, किराये पर देना, या किसी भी प्रकार का स्थानांतरण, जिसमें किसी वस्त्र या सेवा का मूल्य निर्धारित किया जा सकता है। आपूर्ति ही वह कर योग्य घटना है, जिसके आधार पर जीएसटी लगाया जाता है। जीएसटी प्रणाली में आपूर्ति का विशेष महत्त्व है, क्योंकि इसके बिना कर लगाने का आधार नहीं बनता। जैसे ही किसी वस्त्र या सेवा की आपूर्ति होती है, कर अदायगी का दायित्व उत्पन्न हो जाता है। यह परिभाषा जीएसटी प्रणाली में यह सुनिश्चित करती है कि कर वसूलने का सही समय और लेन-देन का आधार निर्धारित हो सके। उदाहरण के लिए, यदि एक व्यापारी किसी वस्त्र को किराये पर देता है, तो वह आपूर्ति मानी जाएगी और उस पर जीएसटी लागू होगा। इस प्रकार, आपूर्ति जीएसटी में कराधान प्रक्रिया की नींव होती है और कर के दायित्व को सुनिश्चित करती है।
अति लघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1:- अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax) क्या होता है?
उत्तर:- अप्रत्यक्ष कर वह कर है जो वस्त्रों और सेवाओं पर लगाया जाता है और इसे उपभोक्ता द्वारा वस्त्र की कीमत में शामिल कर चुकाया जाता है। यह कर पहले विक्रेता द्वारा सरकार को दिया जाता है, लेकिन इसका अंतिम भार उपभोक्ता पर पड़ता है।
प्रश्न 2:- अप्रत्यक्ष कर के दो मुख्य लक्षण बताइए।
उत्तर:- अप्रत्यक्ष कर के दो मुख्य लक्षण हैं: 1) इसका भार अंततः उपभोक्ता द्वारा वहन किया जाता है, और 2) इसे वस्त्रों और सेवाओं के मूल्य में जोड़कर वसूला जाता है, जिससे यह विक्रेता के माध्यम से सरकार तक पहुँचता है।
प्रश्न 3:- प्रत्यक्ष कर (Direct Tax) और अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax) में क्या अंतर है?
उत्तर:- प्रत्यक्ष कर व्यक्ति की आय या संपत्ति पर सीधे लगाया जाता है, जैसे आयकर, जबकि अप्रत्यक्ष कर वस्त्रों और सेवाओं पर लागू होता है, जैसे जीएसटी। प्रत्यक्ष कर का भार करदाता पर होता है, जबकि अप्रत्यक्ष कर का भार उपभोक्ता पर स्थानांतरित हो जाता है।
प्रश्न 4:- जीएसटी से पहले भारत में कौन-कौन से अप्रत्यक्ष कर लागू थे?
उत्तर:- जीएसटी से पहले भारत में विभिन्न प्रकार के अप्रत्यक्ष कर लागू थे, जैसे उत्पाद शुल्क (Excise Duty), सेवा कर (Service Tax), मूल्य संवर्धित कर (VAT), केंद्रीय बिक्री कर (CST), और प्रवेश कर (Entry Tax) जो अलग-अलग स्तरों पर केंद्र और राज्य सरकार द्वारा वसूले जाते थे।
प्रश्न 5:- उत्पाद शुल्क (Excise Duty) किस प्रकार का कर था?
उत्तर:- उत्पाद शुल्क एक केंद्रीय कर था, जो देश में निर्मित वस्त्रों पर लगाया जाता था। इसे विनिर्माण स्तर पर लागू किया जाता था और इसका भुगतान निर्माता द्वारा किया जाता था, जो फिर वस्त्र की कीमत में जोड़कर इसे उपभोक्ता से वसूलता था।
प्रश्न 6:- जीएसटी से पहले अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में मुख्य कमी क्या थी?
उत्तर:- जीएसटी से पहले अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में दोहरे कराधान (Cascading Effect) की समस्या थी, जिसमें एक वस्त्र पर कई स्तरों पर कर लगता था। इसके कारण कराधान प्रणाली जटिल हो जाती थी और उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ पड़ता था।
प्रश्न 7:- वस्तु एवं सेवा कर (GST) का संक्षेप में अर्थ बताइए।
उत्तर:- वस्तु एवं सेवा कर (GST) एक एकीकृत अप्रत्यक्ष कर प्रणाली है, जो पूरे भारत में वस्त्रों और सेवाओं पर समान दर से लागू होती है। इसका उद्देश्य भारत में “एक राष्ट्र, एक कर” की अवधारणा को लागू कर कर प्रणाली को सरल और पारदर्शी बनाना है।
प्रश्न 8:- जीएसटी लागू होने का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तर:- जीएसटी का मुख्य उद्देश्य भारत में कर प्रणाली को सरल और एकीकृत बनाना था। इसके माध्यम से दोहरे कराधान की समाप्ति, व्यापार में सरलता, और केंद्र व राज्य सरकारों के बीच पारदर्शी कराधान सुनिश्चित करना था, जिससे देश में व्यापारिक सुगमता को बढ़ावा मिले।
प्रश्न 9:- जीएसटी का एक प्रमुख लाभ क्या है?
उत्तर:- जीएसटी का एक प्रमुख लाभ यह है कि इससे दोहरे कराधान की समाप्ति हो गई है, जिससे वस्त्रों और सेवाओं की लागत कम हो गई है। उपभोक्ता को सस्ती कीमत पर वस्त्रें मिलती हैं और व्यापारियों के लिए कर प्रणाली का अनुपालन सरल हो गया है।
प्रश्न 10:- जीएसटी के लागू होने से व्यापारियों को कौन सी असुविधा हुई?
उत्तर:- जीएसटी के लागू होने से व्यापारियों को डिजिटलीकरण और ऑनलाइन रिटर्न फाइलिंग की प्रक्रिया में कठिनाई हुई, विशेषकर छोटे व्यापारियों के लिए, जिनके पास तकनीकी ज्ञान या संसाधनों की कमी है। इसके कारण अनुपालन में जटिलता बढ़ गई है।
प्रश्न 11:- जीएसटी की संरचना में कौन-कौन से घटक शामिल हैं?
उत्तर:- जीएसटी की संरचना में चार प्रमुख घटक शामिल हैं: केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (CGST), राज्य वस्तु एवं सेवा कर (SGST), एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (IGST), और केंद्र शासित प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर (UTGST)। ये घटक कर प्रणाली को एकीकृत बनाते हैं और केंद्र तथा राज्य सरकारों को उचित राजस्व प्रदान करते हैं।
प्रश्न 12:- सीजीएसटी (CGST) का पूरा नाम क्या है और इसका अर्थ क्या है?
उत्तर:- सीजीएसटी का पूरा नाम “केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर” (Central Goods and Services Tax) है। यह कर केंद्र सरकार द्वारा वसूला जाता है और राज्य के भीतर वस्त्रों और सेवाओं की आपूर्ति पर लागू होता है। इसका उद्देश्य केंद्र सरकार को राजस्व प्राप्त कराना है।
प्रश्न 13:- एसजीएसटी (SGST) का उद्देश्य क्या है?
उत्तर:- एसजीएसटी (State Goods and Services Tax) का उद्देश्य राज्य सरकार को राज्य के भीतर की गई वस्त्रों और सेवाओं की आपूर्ति पर राजस्व प्राप्त कराना है। इससे राज्य सरकार अपने विकास कार्यों और जनकल्याण योजनाओं को वित्तीय समर्थन दे सकती है।
प्रश्न 14:- आईजीएसटी (IGST) का उपयोग किस स्थिति में किया जाता है?
उत्तर:- आईजीएसटी (Integrated Goods and Services Tax) का उपयोग तब किया जाता है जब वस्त्रों और सेवाओं की आपूर्ति एक राज्य से दूसरे राज्य में होती है। इसे केंद्र सरकार द्वारा वसूला जाता है और बाद में संबंधित राज्यों में बाँट दिया जाता है।
प्रश्न 15:- यूटीजीएसटी (UTGST) किन क्षेत्रों में लागू होता है?
उत्तर:- यूटीजीएसटी (Union Territory Goods and Services Tax) केंद्र शासित प्रदेशों में लागू होता है, जैसे चंडीगढ़, दमन और दीव, लक्षद्वीप आदि। चूँकि इन प्रदेशों में राज्य सरकार नहीं होती, इसलिए SGST के स्थान पर UTGST लागू किया जाता है।
प्रश्न 16:- कर योग्य व्यक्ति (Taxable Person) का अर्थ क्या होता है?
उत्तर:- कर योग्य व्यक्ति वह व्यक्ति, संस्था या फर्म होता है जो जीएसटी अधिनियम के तहत पंजीकृत होता है और वस्त्रों या सेवाओं की आपूर्ति करता है। ऐसे व्यक्ति या संस्था का वार्षिक कारोबार जीएसटी की निर्धारित सीमा से अधिक होता है, जिससे उन्हें कर अदायगी करनी होती है।
प्रश्न 17:- जीएसटी में आपूर्ति (Supply) का क्या महत्व है?
उत्तर:- जीएसटी में आपूर्ति का महत्व इस बात में है कि यह कर लागू करने का आधार बनता है। वस्त्रों या सेवाओं की आपूर्ति होते ही कराधान का दायित्व उत्पन्न होता है, जिससे कर का संग्रहण किया जा सकता है। आपूर्ति के बिना कराधान नहीं हो सकता।
प्रश्न 18:- जीएसटी में कर योग्य घटना (Taxable Event) का क्या मतलब है?
उत्तर:- जीएसटी में कर योग्य घटना का अर्थ वह स्थिति है जिसमें वस्त्रों या सेवाओं की आपूर्ति होती है और उस पर कर का दायित्व उत्पन्न होता है। कर योग्य घटना घटित होते ही कर अदायगी का समय निर्धारित होता है, जो कर संग्रहण की प्रक्रिया में मददगार होता है।
प्रश्न 19:- “स्थान का आपूर्ति” (Place of Supply) क्या होता है?
उत्तर:- स्थान का आपूर्ति वह स्थान होता है जहाँ वस्त्रों या सेवाओं का उपभोग किया जाता है। जीएसटी में इस स्थान का निर्धारण कर की दर और प्रकार तय करने के लिए किया जाता है। यह जानने से यह स्पष्ट होता है कि कर केंद्र या राज्य सरकार के खाते में जाएगा।
प्रश्न 20:- जीएसटी अधिनियम के तहत “समय का आपूर्ति” (Time of Supply) का क्या अर्थ है?
उत्तर:- समय का आपूर्ति उस समय को संदर्भित करता है जब वस्त्रों या सेवाओं की आपूर्ति होती है और कर दायित्व उत्पन्न होता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि कर अदायगी किस समय पर की जाएगी, जिससे कर संग्रहण प्रक्रिया सुचारू और स्पष्ट होती है।
प्रश्न 21:- अप्रत्यक्ष कर की एक विशेषता बताइए।
उत्तर:- अप्रत्यक्ष कर की एक प्रमुख विशेषता यह है कि इसका वास्तविक भार उपभोक्ता पर पड़ता है, भले ही इसे पहले विक्रेता द्वारा सरकार को चुकाया जाता है। इसे वस्त्र या सेवा की कीमत में शामिल करके उपभोक्ता से वसूला जाता है, जैसे वस्तु एवं सेवा कर (GST)।
प्रश्न 22:- प्रत्यक्ष कर का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:- प्रत्यक्ष कर का एक उदाहरण आयकर (Income Tax) है, जो व्यक्ति की वार्षिक आय पर लगाया जाता है। यह कर व्यक्ति द्वारा सीधे सरकार को चुकाया जाता है और इसका भार स्थानांतरित नहीं होता, यानी इसे चुकाने की जिम्मेदारी केवल करदाता की होती है।
प्रश्न 23:- आईजीएसटी (IGST) किस सरकार द्वारा वसूला जाता है?
उत्तर:- आईजीएसटी (Integrated Goods and Services Tax) केंद्र सरकार द्वारा वसूला जाता है और इसे अंतर्राज्यीय आपूर्ति या एक राज्य से दूसरे राज्य में वस्त्रों और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाता है। बाद में, इसका उचित हिस्सा संबंधित राज्यों को बाँट दिया जाता है।
प्रश्न 24:- जीएसटी का अर्थ संक्षेप में क्या है?
उत्तर:- जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) एक एकीकृत अप्रत्यक्ष कर प्रणाली है, जो पूरे भारत में वस्त्रों और सेवाओं पर समान रूप से लागू होती है। इसका उद्देश्य “एक राष्ट्र, एक कर” की अवधारणा को साकार करना है, जिससे कर प्रणाली सरल और पारदर्शी बनी रहे।
प्रश्न 25:- जीएसटी से भारत के कर ढाँचे में किस प्रकार का परिवर्तन हुआ?
उत्तर:- जीएसटी के लागू होने से भारत के कर ढाँचे में एकीकृत और सरल प्रणाली का निर्माण हुआ। पहले की जटिल और बहु-स्तरीय अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को समाप्त कर एक ही कर प्रणाली लागू की गई, जिससे कराधान में पारदर्शिता आई और दोहरे कराधान की समस्या समाप्त हो गई।