Curriculum
Course: History of Modern World (1453 A.D. - 181...
Login

Curriculum

History of Modern World (1453 A.D. - 1815 A.D.) - आधुनिक विश्व का इतिहास (1453 ई. - 1815 ई.) – Adv

Summary and MCQs

0/24
Text lesson

Unit 1: Hindi Summary – History of Modern World (1453 A.D. – 1815 A.D.)

पुनर्जागरण: इसके कारण, विशेषताएँ और प्रभाव

परिचय

पुनर्जागरण (Renaissance) यूरोप के इतिहास में एक महत्वपूर्ण युग था, जिसने मध्ययुगीन समाज से आधुनिक युग की ओर संक्रमण को प्रेरित किया। यह आंदोलन 14वीं शताब्दी में इटली में प्रारंभ हुआ और 17वीं शताब्दी तक पूरे यूरोप में फैल गया। पुनर्जागरण शब्द का अर्थ “पुनर्जन्म” है, और यह यूरोप में कला, संस्कृति, विज्ञान, राजनीति और समाज के पुनरुद्धार को दर्शाता है। इस युग में मानवतावाद (Humanism) का उदय हुआ, जिसने व्यक्ति की क्षमताओं और तर्कसंगत सोच को महत्त्व दिया।

1. पुनर्जागरण के कारण

पुनर्जागरण की उत्पत्ति कई ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक कारणों से हुई।

(1) मध्ययुगीन समाज और धार्मिक प्रभाव

मध्ययुगीन यूरोप एक धार्मिक कट्टरता और कठोर सामंती व्यवस्था के अधीन था। रोमन कैथोलिक चर्च का समाज पर गहरा प्रभाव था, जिससे तर्क और वैज्ञानिक सोच का दमन होता था। लेकिन धीरे-धीरे समाज में परिवर्तन की मांग उठने लगी।

(2) व्यापार और नगरों का विकास

चौदहवीं और पंद्रहवीं शताब्दी में व्यापार के विस्तार ने शहरीकरण को बढ़ावा दिया। विशेष रूप से, इटली के फ्लोरेंस, वेनिस और जेनोआ जैसे नगर वाणिज्यिक और सांस्कृतिक केंद्र बन गए।

(3) मुस्लिम स्पेन और पूर्वी ज्ञान का प्रभाव

मुस्लिम स्पेन और बीजान्टिन साम्राज्य में संरक्षित यूनानी और रोमन ग्रंथों ने पुनर्जागरण के बौद्धिक आंदोलन को प्रेरित किया। जब 1453 ई. में तुर्कों ने कॉन्स्टेंटिनोपल पर कब्जा कर लिया, तो ग्रीक विद्वान पश्चिमी यूरोप की ओर भाग गए और अपने साथ प्राचीन ज्ञान भी लाए।

(4) मुद्रण कला का विकास

गुटेनबर्ग द्वारा 15वीं शताब्दी में छापाखाना (Printing Press) के आविष्कार ने ज्ञान के प्रसार को आसान बना दिया। इससे प्राचीन ग्रंथों और नए विचारों का तेजी से प्रसार हुआ।

(5) मानवतावादी दृष्टिकोण का विकास

पुनर्जागरण के दौरान मानवतावादी चिंतन पनपा, जिसमें व्यक्ति की क्षमता और बौद्धिक स्वतंत्रता को महत्त्व दिया गया। दांते, पेट्रार्क और बोकाचियो जैसे साहित्यकारों ने इस विचारधारा को बढ़ावा दिया।

(6) राजनीतिक परिवर्तनों की भूमिका

राष्ट्र-राज्य (Nation-State) की अवधारणा धीरे-धीरे विकसित हो रही थी। सामंती व्यवस्था के पतन के साथ-साथ शक्तिशाली राज्यों का उदय हुआ, जिसने पुनर्जागरण के विचारों को अपनाने के लिए एक अनुकूल वातावरण प्रदान किया।

2. पुनर्जागरण की विशेषताएँ

(1) मानवतावाद (Humanism)

पुनर्जागरण का सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत मानवतावाद था, जिसने व्यक्ति की तर्कशक्ति, स्वतंत्र सोच, और मानवीय संभावनाओं पर जोर दिया।

(2) वैज्ञानिक दृष्टिकोण और यथार्थवाद

पुनर्जागरण के दौरान वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास हुआ। गैलीलियो, कोपरनिकस, और केपलर जैसे वैज्ञानिकों ने खगोलीय खोजें कीं, जिससे यूरोप में बौद्धिक क्रांति आई।

(3) कला और वास्तुकला में नवाचार

चित्रकला, मूर्तिकला और वास्तुकला के क्षेत्र में महान परिवर्तन हुए। लियोनार्डो दा विंची, माइकलएंजेलो, और राफेल जैसे कलाकारों ने यथार्थवादी कला को बढ़ावा दिया।

(4) धर्म में सुधार की प्रवृत्ति

रोमन कैथोलिक चर्च की कठोर नीतियों के प्रति विरोध बढ़ा, जिससे मार्टिन लूथर के नेतृत्व में सुधार आंदोलन (Reformation) का जन्म हुआ।

(5) साहित्य और भाषा का उत्थान

लैटिन भाषा की प्रधानता घटने लगी और स्थानीय भाषाओं में लेखन को बढ़ावा मिला। शेक्सपियर, चॉसर और माकियावेली जैसे लेखकों ने साहित्य में योगदान दिया।

(6) राजनीतिक विचारों में परिवर्तन

राजशाही के स्थान पर राष्ट्र-राज्यों की स्थापना हुई, और राजनीति में यथार्थवाद का विकास हुआ। निकोलो माकियावेली ने अपनी पुस्तक द प्रिंस में शक्ति और राजनीति के व्यावहारिक पक्ष पर जोर दिया।

3. पुनर्जागरण का प्रभाव

(1) यूरोप में वैज्ञानिक क्रांति का उदय

पुनर्जागरण ने विज्ञान और तर्कसंगत सोच को बढ़ावा दिया, जिससे 16वीं और 17वीं शताब्दी में वैज्ञानिक क्रांति (Scientific Revolution) हुई।

(2) धर्म में सुधार और प्रोटेस्टेंट सुधार आंदोलन

मार्टिन लूथर के नेतृत्व में रोमन चर्च की आलोचना हुई और प्रोटेस्टेंट ईसाई संप्रदाय का जन्म हुआ।

(3) आधुनिक राष्ट्र-राज्य की स्थापना

पुनर्जागरण के विचारों ने सामंती व्यवस्था को कमजोर किया और आधुनिक राष्ट्र-राज्य (Nation-State) की अवधारणा को बल दिया।

(4) नई विश्व खोजें और उपनिवेशवाद

यूरोपीय देशों ने नई भूमि की खोज शुरू की, जिससे वैश्विक स्तर पर उपनिवेशवाद का विस्तार हुआ। कोलंबस, वास्को डी गामा और मैगलन जैसे अन्वेषकों ने नई दुनिया की खोज की।

(5) महिलाओं की स्थिति में सुधार की पहल

यद्यपि पुनर्जागरण का प्रभाव मुख्य रूप से पुरुषों पर अधिक पड़ा, लेकिन महिलाओं की शिक्षा और सामाजिक स्थिति में भी कुछ हद तक सुधार हुआ।

(6) आर्थिक परिवर्तन और पूंजीवाद की शुरुआत

व्यापार और शहरीकरण के बढ़ने से पूंजीवाद (Capitalism) की नींव पड़ी, जिसने यूरोप की आर्थिक व्यवस्था को बदल दिया।

निष्कर्ष

पुनर्जागरण यूरोप के इतिहास में एक क्रांतिकारी युग था, जिसने कला, विज्ञान, राजनीति और समाज को नया स्वरूप दिया। इस युग ने न केवल यूरोप बल्कि संपूर्ण विश्व पर गहरा प्रभाव डाला। आधुनिक युग की नींव पुनर्जागरण के विचारों पर ही आधारित है, और यह आंदोलन धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक और वैज्ञानिक प्रगति का प्रमुख प्रेरक बना।

इसका प्रभाव न केवल तत्कालीन यूरोप तक सीमित रहा, बल्कि आगे चलकर औद्योगिक क्रांति, वैज्ञानिक आविष्कारों, और लोकतांत्रिक सरकारों के विकास में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। पुनर्जागरण ने मध्ययुगीन जड़ता को समाप्त कर एक नई बौद्धिक और सांस्कृतिक चेतना को जन्म दिया, जिसने आधुनिक विश्व के स्वरूप को निर्धारित किया।

Scroll to Top