भारतीय अर्थव्यवस्था: प्रमुख विशेषताएँ और व्यावसायिक संरचना
परिचय
भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। यह एक मिश्रित अर्थव्यवस्था (Mixed Economy) है, जिसमें सार्वजनिक (Public) और निजी (Private) क्षेत्र दोनों कार्यरत हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्रों पर आधारित है, जिसमें जनसंख्या, प्राकृतिक संसाधन, औद्योगिकीकरण और आर्थिक सुधारों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
इस अध्ययन में हम भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं और इसकी व्यावसायिक संरचना पर चर्चा करेंगे। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा, जिसमें उसके जनसांख्यिकीय विशेषताएँ, प्राकृतिक संसाधन, ग्रामीण और औद्योगिक विकास के पहलुओं का विश्लेषण किया जाएगा।
1. भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ (Salient Features of Indian Economy)
भारतीय अर्थव्यवस्था की कुछ विशिष्ट विशेषताएँ हैं, जो इसे अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं से अलग बनाती हैं। ये विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
(A) मिश्रित अर्थव्यवस्था (Mixed Economy)
भारत एक मिश्रित अर्थव्यवस्था है, जहाँ सरकार और निजी क्षेत्र दोनों आर्थिक गतिविधियों में भाग लेते हैं।
· सार्वजनिक क्षेत्र (Public Sector): रेलवे, रक्षा, ऊर्जा, और संचार जैसे क्षेत्र सरकार के नियंत्रण में हैं।
· निजी क्षेत्र (Private Sector): बैंकिंग, आईटी, विनिर्माण, और खुदरा व्यापार में निजी कंपनियाँ कार्यरत हैं।
(B) विशाल जनसंख्या और जनसांख्यिकीय लाभांश (Large Population and Demographic Dividend)
भारत की जनसंख्या 1.4 अरब से अधिक है, जो इसे दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश बनाती है।
· युवा श्रम शक्ति (Young Workforce): भारत की 65% जनसंख्या 35 वर्ष से कम है, जो इसे एक उत्पादक अर्थव्यवस्था बनाती है।
· चुनौतियाँ (Challenges): अधिक जनसंख्या से बेरोजगारी, संसाधनों पर दबाव और शहरीकरण से जुड़ी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
(C) कृषि पर निर्भरता (Agricultural Dependence)
भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्वपूर्ण स्थान है।
· कृषि में संलग्न श्रम शक्ति: भारत की 40% से अधिक जनसंख्या कृषि पर निर्भर है।
· कृषि का जीडीपी योगदान: कृषि का भारतीय जीडीपी में लगभग 16% योगदान है।
· मुख्य फसलें: चावल, गेहूँ, गन्ना, दलहन, और कपास।
(D) औद्योगीकरण और आर्थिक सुधार (Industrialization and Economic Reforms)
1991 के आर्थिक सुधारों के बाद भारत में औद्योगीकरण को गति मिली।
· मुद्रीकरण (Liberalization): सरकार ने व्यापार और निवेश पर लगे प्रतिबंधों को कम किया।
· निजीकरण (Privatization): सरकारी कंपनियों को निजी क्षेत्र के लिए खोला गया।
· वैश्वीकरण (Globalization): भारत वैश्विक व्यापार और निवेश का केंद्र बना।
(E) सेवा क्षेत्र का वर्चस्व (Dominance of Service Sector)
भारत में सेवा क्षेत्र (Service Sector) अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा हिस्सा बन चुका है।
· सेवा क्षेत्र का जीडीपी में योगदान: सेवा क्षेत्र 50% से अधिक योगदान करता है।
· मुख्य सेवाएँ: सूचना प्रौद्योगिकी (IT), बैंकिंग, टूरिज्म, और शिक्षा।
· आईटी हब: बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे, और नोएडा।
(F) आर्थिक असमानता और क्षेत्रीय असंतुलन (Economic Disparity and Regional Imbalance)
भारत में आर्थिक असमानता बनी हुई है:
· विकसित राज्य: महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, और कर्नाटक।
· कम विकसित राज्य: बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश।
· समस्या: कुछ राज्यों में औद्योगिक विकास तेज़ है, जबकि अन्य राज्यों में बुनियादी ढाँचा कमजोर है।
(G) मुख्य आर्थिक चुनौतियाँ (Major Economic Challenges)
· गरीबी: लगभग 16% आबादी गरीबी रेखा से नीचे रहती है।
· बेरोजगारी: नौकरियों की कमी से युवा श्रमिक प्रभावित होते हैं।
· मुद्रास्फीति: महँगाई बढ़ने से जीवन स्तर पर असर पड़ता है।
2. भारतीय अर्थव्यवस्था की व्यावसायिक संरचना (Occupational Structure of Indian Economy)
व्यावसायिक संरचना का तात्पर्य अर्थव्यवस्था में विभिन्न क्षेत्रों में श्रमिकों के वितरण से है। भारतीय अर्थव्यवस्था को तीन प्रमुख क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है:
(A) प्राथमिक क्षेत्र (Primary Sector)
· संलग्न श्रम शक्ति: लगभग 40% लोग प्राथमिक क्षेत्र में कार्यरत हैं।
· महत्वपूर्ण गतिविधियाँ: कृषि, वानिकी, मत्स्य पालन, और खनन।
· चुनौतियाँ: मानसून पर निर्भरता, निम्न उत्पादकता, और सीमित यंत्रीकरण।
(B) द्वितीयक क्षेत्र (Secondary Sector)
· संलग्न श्रम शक्ति: लगभग 25% लोग औद्योगिक क्षेत्र में कार्यरत हैं।
· महत्वपूर्ण उद्योग: कपड़ा, इस्पात, वाहन, रसायन, और इलेक्ट्रॉनिक्स।
· विकास योजनाएँ: ‘मेक इन इंडिया’ और औद्योगिक गलियारों का निर्माण।
(C) तृतीयक क्षेत्र (Tertiary Sector)
· संलग्न श्रम शक्ति: लगभग 35% लोग सेवा क्षेत्र में कार्यरत हैं।
· महत्वपूर्ण सेवाएँ: बैंकिंग, शिक्षा, परिवहन, और आईटी।
· तेज़ी से बढ़ता क्षेत्र: डिजिटल भारत और ऑनलाइन सेवाओं के बढ़ते प्रभाव के कारण सेवा क्षेत्र का विस्तार हो रहा है।
3. उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था (Economy of Uttar Pradesh)
उत्तर प्रदेश (UP) भारत का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है और इसकी अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि, उद्योग, और सेवा क्षेत्र पर आधारित है।
(A) जनसांख्यिकीय विशेषताएँ (Demographic Features)
· जनसंख्या: 24 करोड़ से अधिक।
· शहरीकरण: प्रमुख शहर – लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, नोएडा।
(B) प्राकृतिक संसाधन (Natural Resources)
· कृषि: गेहूँ, गन्ना, चावल, और दलहन के उत्पादन में अग्रणी।
· खनिज: चूना पत्थर, कोयला, और सिलिका।
· जल संसाधन: गंगा, यमुना और अन्य नदियाँ।
(C) ग्रामीण विकास (Rural Development)
· महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) से रोजगार बढ़ा।
· किसान योजनाएँ जैसे पीएम-किसान योजना।
(D) औद्योगिक विकास (Industrial Development)
· मुख्य उद्योग: चमड़ा, वस्त्र, आईटी, और पर्यटन।
· आईटी और स्टार्टअप: नोएडा और ग्रेटर नोएडा में आईटी हब।
· पर्यटन: ताज महल, वाराणसी, अयोध्या के कारण पर्यटन का योगदान अधिक।
निष्कर्ष
भारतीय अर्थव्यवस्था एक बहुआयामी अर्थव्यवस्था है, जो कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्रों पर आधारित है। उत्तर प्रदेश, अपनी विशाल जनसंख्या, कृषि संसाधनों और औद्योगीकरण के कारण भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
महत्वपूर्ण निष्कर्ष:
· भारत मिश्रित अर्थव्यवस्था है।
· कृषि 40% लोगों को रोजगार देती है लेकिन सेवा क्षेत्र GDP में सबसे अधिक योगदान देता है।
· उत्तर प्रदेश में कृषि, उद्योग और आईटी क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है।
· रोजगार के नए अवसर बढ़ाने के लिए औद्योगिकीकरण और ग्रामीण विकास आवश्यक हैं।