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Organic Synthesis-B - कार्बनिक संश्लेषण - ख – Adv

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Unit 1: Hindi Summary – Organic Synthesis-B

जैविक संश्लेषण में रेजेंट्स पर विस्तृत सारांश

परिचय

जैविक संश्लेषण रसायन विज्ञान की वह शाखा है, जो कार्बन-कार्बन बंधों के निर्माण, कार्यात्मक समूहों के रूपांतरण और संरचनात्मक संशोधन के माध्यम से जैविक यौगिकों के निर्माण से संबंधित है। जैविक संश्लेषण में प्रयुक्त रेजेंट्स वे रसायन होते हैं जो किसी अन्य यौगिक में परिवर्तन लाने के लिए प्रतिक्रियाओं को उत्तेजित करते हैं। ये रेजेंट्स जैविक यौगिकों को संश्लेषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जैसे कि दवाइयां, एग्रोकेमिकल्स, और औद्योगिक रसायन। इन रेजेंट्स का सही उपयोग करने से कार्यात्मक समूहों को बदलने और नए यौगिकों का निर्माण करने की क्षमता प्राप्त होती है।

इस लेख में हम विभिन्न ऑक्सीकरण और न्यूनीकरण रेजेंट्स पर चर्चा करेंगे, जो जैविक संश्लेषण में उपयोग किए जाते हैं। इन रेजेंट्स का उपयोग प्रमुख रूप से औद्योगिक रूप से महत्वपूर्ण यौगिकों के संश्लेषण में किया जाता है, जिनका उपयोग दवाओं, रसायनों, और जैविक अनुप्रयोगों में किया जाता है। इसके अलावा, हम प्राकृतिक उत्पादों और हेटेरोसाइक्लिक यौगिकों के संश्लेषण में इन रेजेंट्स के महत्व को भी समझेंगे।

1. ऑक्सीकरण रेजेंट्स (Oxidation Reagents)

ऑक्सीकरण प्रतिक्रियाओं में रासायनिक यौगिकों में ऑक्सीजन परमाणु का जोड़ या हाइड्रोजन परमाणुओं की निकासी होती है। जैविक यौगिकों के संश्लेषण में उपयोग किए जाने वाले कुछ प्रमुख ऑक्सीकरण रेजेंट्स निम्नलिखित हैं:

a. DDQ (2,3-डाइक्लोरो-5,6-डाईसाइआनो-1,4-बेंजोकिनोन)

DDQ एक शक्तिशाली ऑक्सीकरण एजेंट है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से एरोमैटिक यौगिकों के ऑक्सीकरण में किया जाता है। यह विशेष रूप से मेथाइल और एल्किल समूहों के ऑक्सीकरण के लिए उपयोगी होता है। इसे मीथिलेटेड एरोमैटिक यौगिकों की डेमिथाइलेशन और कुछ हेतेरोएटम- containing यौगिकों के ऑक्सीकरण के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

b. CAN (सीरियम अमोनियम नाइट्रेट)

सीरियम अमोनियम नाइट्रेट एक बहुपरकारी ऑक्सीकरण एजेंट है, जो मुख्य रूप से एल्कोहल को एलेहाइड या कीटोन्स में परिवर्तित करने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह एल्यालिक एल्कोहल के ऑक्सीकरण में भी प्रभावी होता है और प्राथमिक एल्कोहल को एलेहाइड में परिवर्तित करता है, बिना किसी अन्य ऑक्सीकरण के।

c. SeO2 (सिलेनियम डाइऑक्साइड)

सिलेनियम डाइऑक्साइड एक और उपयोगी रेजेंट है, जो विशेष रूप से एल्लीलिक और बेन्जिलिक एल्कोहल के ऑक्सीकरण में मदद करता है। यह कुछ मामलों में द्वितीयक एल्कोहल को कीटोन में ऑक्सीकरण करने में सक्षम है।

d. mCPBA (मेटा-क्लोरोपरोक्सीबेंजोइक एसिड)

mCPBA एक सामान्य रूप से उपयोग किया जाने वाला रेजेंट है, जो एलों की ऑक्सीकरण के लिए आदर्श होता है, जिससे एपोक्साइड्स बनते हैं। यह अन्य परिवर्तन भी करता है जैसे कि सल्फॉक्साइड्स को सल्फोन्स में परिवर्तित करना और अमाइनों को उनके एन-ऑक्साइड्स में ऑक्सीकरण करना।

e. Jones Oxidation (क्रोमिक एसिड)

Jones ऑक्सीकरण एक शक्तिशाली ऑक्सीकरण प्रतिक्रिया है, जो मुख्य रूप से प्राथमिक एल्कोहल को कार्बोक्सिलिक एसिड और द्वितीयक एल्कोहल को कीटोन में बदलने के लिए उपयोगी है। इसे क्रोमिक एसिड (CrO3) के साथ उपयोग किया जाता है, जो एक बेहद प्रतिक्रियाशील रेजेंट है।

f. PCC (पाइरीडीनियम क्लोरोक्रोमेट)

PCC एक हल्का ऑक्सीकरण एजेंट है, जिसका उपयोग प्राथमिक एल्कोहल को एलेहाइड और द्वितीयक एल्कोहल को कीटोन में परिवर्तित करने के लिए किया जाता है। यह क्रोमिक एसिड के मुकाबले अधिक चयनात्मक है और इसे कामकाजी परिस्थितियों में प्रयोग करना आसान होता है।

g. PDC (पाइरीडीनियम डाइक्रोमेट)

PDC भी PCC की तरह एक ऑक्सीकरण एजेंट है, जो एल्कोहल को एलेहाइड या कीटोन में परिवर्तित करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह एक शक्तिशाली ऑक्सीकरण एजेंट है और अधिक नियंत्रित परिस्थितियों में कार्य करता है।

h. PFC (पेरफ्लोरिनेटेड क्रोमियम रेजेंट्स)

पेरफ्लोरिनेटेड क्रोमियम रेजेंट्स पर्यावरण के अनुकूल विकल्प के रूप में सामने आए हैं। ये रेजेंट्स पारंपरिक क्रोमियम आधारित रेजेंट्स के मुकाबले अधिक नियंत्रित ऑक्सीकरण प्रतिक्रियाएं उत्पन्न करते हैं और कम हानिकारक होते हैं।

i. Collin’s Reagent

Collin’s रेजेंट पाइरीडीनियम क्लोरोक्रोमेट और एक सह-घोलक का संयोजन होता है। इसका उपयोग प्राथमिक और द्वितीयक एल्कोहल के चयनात्मक ऑक्सीकरण के लिए किया जाता है, जो ओवरऑक्सीकरण से बचाता है।

j. Ruthenium Tetraoxide (RuO4)

रूथेनियम टेट्राक्साइड एक शक्तिशाली ऑक्सीकरण रेजेंट है, जो विशेष रूप से एलों के ऑक्सीकरण के लिए उपयोग किया जाता है। यह कार्बोनाइल यौगिकों जैसे कि एलेहाइड्स और कीटोन के निर्माण के लिए उपयुक्त है।

2. न्यूनीकरण रेजेंट्स (Reduction Reagents)

न्यूनीकरण प्रतिक्रियाओं में रासायनिक यौगिकों में हाइड्रोजन परमाणुओं की जोड़ और ऑक्सीजन परमाणुओं की हटाई जाती है। यह प्रतिक्रियाएं विभिन्न प्रकार के यौगिकों के संश्लेषण में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। निम्नलिखित न्यूनीकरण रेजेंट्स जैविक संश्लेषण में उपयोग किए जाते हैं:

a. NaBH4 (सोडियम बोरोहाइड्राइड)

सोडियम बोरोहाइड्राइड एक हल्का न्यूनीकरण एजेंट है, जो मुख्य रूप से एलेहाइड्स और कीटोन को शराब में परिवर्तित करने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह सामान्यत: एस्टर्स, कार्बोक्सिलिक एसिड और अमाइड्स को न्यूनीकरण नहीं करता है।

b. LiAlH4 (लिथियम एल्यूमिनियम हाइड्राइड)

लिथियम एल्यूमिनियम हाइड्राइड एक मजबूत न्यूनीकरण एजेंट है, जो कार्बोक्सिलिक एसिड, एस्टर्स, अमाइड्स और नाइट्राइल्स को न्यूनीकरण करने में सक्षम है। यह अत्यधिक प्रतिक्रियाशील होता है और इसे सूखा वातावरण में प्रयोग करना आवश्यक होता है।

c. Meerwein-Ponndorf-Verley (MPV) Reduction

MPV न्यूनीकरण में एल्यूमीनियम ऑल्कॉक्साइड्स का उपयोग किया जाता है। यह एक हल्का न्यूनीकरण तरीका है, जो एल्डिहाइड्स और कीटोन को अल्कोहल्स में परिवर्तित करता है। यह विशेष रूप से संवेदनशील पदार्थों के लिए उपयोगी होता है।

d. Wilkinson’s Catalyst (RhCl(PPh3)3)

Wilkinson’s Catalyst एक प्रभावी उत्प्रेरक है, जिसका उपयोग एलों को हाइड्रोजनीकरण करने के लिए किया जाता है। यह न्यूनीकरण प्रक्रिया बहुत चयनात्मक होती है और इसके उपयोग से केवल एलों के हाइड्रोजनीकरण की प्रक्रिया होती है।

e. Birch Reduction

Birch न्यूनीकरण एक विशेष प्रक्रिया है, जो एरोमैटिक यौगिकों को सायक्लोहेक्साडीएन्स में बदलता है। इसमें सोडियम या लिथियम का उपयोग किया जाता है और यह तरल अमोनिया के साथ क्रियाशील होता है।

f. DIBAL-H (डायइसोब्यूटाइलएल्यूमिनियम हाइड्राइड)

DIBAL-H एक हल्का न्यूनीकरण एजेंट है, जो विशेष रूप से एस्टर्स को एलेहाइड्स में न्यूनीकरण करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह एल्कोहल में further reduction को रोकने के लिए नियंत्रणीय तरीके से काम करता है।

3. औद्योगिक और औषधि रसायन में महत्व

जैविक संश्लेषण में उपयोग किए जाने वाले रेजेंट्स का उपयोग औद्योगिक रसायन, दवाइयों, एग्रोकेमिकल्स और अन्य विशेष रसायनों के निर्माण में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। विशेष रूप से प्राकृतिक उत्पादों जैसे एल्कलॉइड्स और टरपीनों का संश्लेषण इन रेजेंट्स पर निर्भर करता है।

a. एल्कलॉइड्स और टरपीन

एल्कलॉइड्स जैसे कि मोर्फिन और क्विनिन का उपयोग दर्द निवारण और मलेरिया उपचार के लिए किया जाता है। टरपीन जैसे कि मेंथोल और कैम्पफर का चिकित्सा में महत्व है। इन यौगिकों के रासायनिक संश्लेषण को समझना नए दवाओं के विकास के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता है।

b. प्राकृतिक यौगिकों का औषधीय महत्व

प्राकृतिक उत्पाद लंबे समय से बायोएक्टिव यौगिकों का स्रोत रहे हैं, जो दवा के रूप में उपयोग किए जाते हैं। कई दवाइयाँ जैसे एंटीबायोटिक्स, कैंसर रोधी एजेंट और सूजन रोधी दवाएं प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त हुई हैं। इन यौगिकों का संश्लेषण और संशोधन रोगों के उपचार में सहायक हो सकता है।

निष्कर्ष

जैविक संश्लेषण में रेजेंट्स महत्वपूर्ण उपकरण हैं, जो यौगिकों के संश्लेषण में सहायता करते हैं। ऑक्सीकरण और न्यूनीकरण रेजेंट्स का उपयोग यथासंभव सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इन रेजेंट्स के माध्यम से हम जैविक यौगिकों में कार्यात्मक समूहों के परिवर्तन कर सकते हैं, और इनका प्रयोग प्राकृतिक उत्पादों जैसे एल्कलॉइड्स और टरपीनों के संश्लेषण में किया जाता है, जो औषधीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होते हैं। जैविक संश्लेषण के रेजेंट्स ने औद्योगिक और औषधि रसायन में क्रांति ला दी है, जो नई दवाओं और उपचारों के विकास में सहायक हैं।

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