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Social Problems and Issues of Development in India - भारत में सामाजिक समस्याएँ एवं विकास के मुद्दे – Adv

Summary and MCQs

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Unit 1: Hindi Summary – Social Problems and Issues of Development in India

परिचय

भारत जैसे विविध सामाजिक-सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य वाले देश में विकास और सामाजिक समस्याएँ आपस में गहराई से जुड़ी हुई हैं। भारतीय समाज में आर्थिक असमानता, भ्रष्टाचार, अपराध, तथा किशोर अपराध जैसी कई चुनौतियाँ विद्यमान हैं। समाजशास्त्र के दृष्टिकोण से, ये समस्याएँ सामाजिक संरचना और संस्थागत असंतुलन का परिणाम हैं। यह पाठ्यक्रम विशेष रूप से विद्यार्थियों को सामाजिक विचलन (Deviance) के मूलभूत सिद्धांतों से परिचित कराता है और अपराध, किशोर अपराध, तथा श्वेत कॉलर अपराध की प्रकृति एवं प्रभावों की व्याख्या करता है।

इस अध्ययन का उद्देश्य भारतीय समाज में व्याप्त समस्याओं की पहचान करना और उनके मूल कारणों का विश्लेषण करना है। यह समझना आवश्यक है कि इन समस्याओं का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है और समाजशास्त्र के विभिन्न दृष्टिकोणों से इनका समाधान कैसे संभव हो सकता है।

1. सामाजिक विचलन (Deviance): अवधारणा, अर्थ और परिभाषा

1.1 सामाजिक विचलन का परिचय

सामाजिक विचलन (Deviance) वह प्रक्रिया है जिसमें कोई व्यक्ति या समूह समाज में स्वीकृत मानदंडों (Norms) का उल्लंघन करता है। यह समाज के सदस्यों की मान्यताओं और सांस्कृतिक मूल्यों से भिन्न व्यवहार को दर्शाता है। सामाजिक विचलन केवल नकारात्मक नहीं होता, बल्कि यह सामाजिक परिवर्तन का एक प्रमुख कारक भी हो सकता है।

उदाहरण के लिए, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी द्वारा अहिंसा और असहयोग आंदोलन को अपनाना तत्कालीन औपनिवेशिक सरकार के लिए एक प्रकार का विचलन था, लेकिन यह समाज में सकारात्मक बदलाव का कारण बना। दूसरी ओर, भ्रष्टाचार और हिंसात्मक अपराध नकारात्मक विचलन के उदाहरण हैं।

1.2 सामाजिक विचलन की परिभाषाएँ

1.        रॉबर्ट किंग मर्टन (Robert K. Merton) – उनके अनुसार, “सामाजिक विचलन वह व्यवहार है जो समाज में प्रचलित सांस्कृतिक लक्ष्यों या उन्हें प्राप्त करने के वैध साधनों से भिन्न होता है।”

2.      एमिल दुर्खीम (Émile Durkheim) – उन्होंने इसे “समाज में स्थापित मानकों से हटकर किया गया कार्य” कहा है।

3.      हॉवर्ड बेकर (Howard Becker) – उनके अनुसार, “कोई भी कार्य केवल तभी विचलन कहलाता है जब समाज उसे ऐसा मानता है।”

1.3 सामाजिक विचलन के प्रकार

सामाजिक विचलन दो प्रकार के होते हैं:

1.        सकारात्मक विचलन (Positive Deviance) – यह वह विचलन है जो सामाजिक सुधार या नवाचार लाने में सहायक होता है। उदाहरण के लिए, महात्मा गांधी के सत्याग्रह और बाबा आम्टे का कुष्ठ रोगियों के लिए कार्य करना।

2.      नकारात्मक विचलन (Negative Deviance) – यह वह विचलन है जो समाज के लिए हानिकारक होता है, जैसे भ्रष्टाचार, अपराध, और हिंसात्मक गतिविधियाँ।

2. अपराध (Crime): अवधारणा और परिभाषा

2.1 अपराध का अर्थ

अपराध (Crime) वह व्यवहार या कार्य है जो समाज द्वारा स्थापित कानूनी मानदंडों के विरुद्ध होता है। अपराध सामाजिक व्यवस्था के लिए हानिकारक होते हैं और इसके लिए दंड का प्रावधान किया जाता है।

2.2 अपराध की परिभाषाएँ

1.        डॉन वाल्टर्स (Don Walters) – “अपराध वह कृत्य है जो समाज के लिखित कानूनों का उल्लंघन करता है और जिसके लिए दंड निर्धारित किया गया है।”

2.      एडविन सदरलैंड (Edwin Sutherland) – “अपराध वह सामाजिक रूप से निषिद्ध कार्य है, जिसका उल्लंघन करने पर दंडात्मक कार्रवाई की जाती है।”

2.3 अपराध के प्रकार

1.        व्यक्तिगत अपराध (Personal Crime) – हत्या, बलात्कार, अपहरण आदि।

2.      आर्थिक अपराध (Economic Crime) – चोरी, घोटाले, रिश्वतखोरी आदि।

3.      संगठित अपराध (Organized Crime) – माफिया, आतंकवाद, ड्रग तस्करी आदि।

4.      राजनीतिक अपराध (Political Crime) – देशद्रोह, चुनावी धांधली, सांप्रदायिक हिंसा आदि।

2.4 भारत में अपराध की स्थिति

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, भारत में अपराध की दर बढ़ती जा रही है। विशेष रूप से महिलाओं के प्रति अपराध, साइबर अपराध और संगठित अपराधों में वृद्धि देखी गई है।

3. किशोर अपराध (Juvenile Delinquency)

3.1 किशोर अपराध का अर्थ

किशोर अपराध उन अवैध गतिविधियों को कहते हैं जो 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों द्वारा की जाती हैं। यह समाज के लिए एक गंभीर समस्या है क्योंकि यह भविष्य की पीढ़ी को प्रभावित करता है।

3.2 किशोर अपराध के कारण

1.        आर्थिक कारक – गरीबी और बेरोजगारी।

2.      पारिवारिक समस्याएँ – माता-पिता का तलाक, घरेलू हिंसा।

3.      शैक्षिक असफलता – स्कूल से बाहर होना या खराब प्रदर्शन।

4.      मीडिया और इंटरनेट का प्रभाव – हिंसात्मक वीडियो गेम्स और नकारात्मक प्रभाव डालने वाली फिल्में।

3.3 भारत में किशोर अपराध और विधि

भारत में किशोर अपराधों से निपटने के लिए किशोर न्याय अधिनियम, 2015 लागू किया गया है, जो यह सुनिश्चित करता है कि 16-18 वर्ष के गंभीर अपराधी व्यस्क अदालतों में मुकदमे का सामना करें।

4. श्वेत कॉलर अपराध (White Collar Crime)

4.1 श्वेत कॉलर अपराध का परिचय

श्वेत कॉलर अपराध (White Collar Crime) वह अपराध है जो उच्च पदस्थ व्यक्तियों द्वारा गैर-हिंसात्मक तरीके से किया जाता है, जैसे कि धोखाधड़ी, घोटाले, और भ्रष्टाचार।

4.2 परिभाषाएँ

एडविन सदरलैंड (Edwin Sutherland) – “श्वेत कॉलर अपराध वे अपराध हैं जो प्रतिष्ठित और सम्मानित व्यक्तियों द्वारा अपने व्यवसायिक या पेशेवर कार्यों में किए जाते हैं।”

4.3 प्रमुख प्रकार

1.        आर्थिक धोखाधड़ी (Financial Fraud) – बैंक घोटाले, शेयर बाजार में हेरफेर।

2.      भ्रष्टाचार (Corruption) – रिश्वतखोरी, सरकारी ठेकों में हेरफेर।

3.      साइबर अपराध (Cyber Crime) – ऑनलाइन धोखाधड़ी, हैकिंग।

4.4 भारत में श्वेत कॉलर अपराध

भारत में कई उच्च-प्रोफाइल घोटाले हुए हैं, जैसे 2G स्पेक्ट्रम घोटाला, कोयला घोटाला, और सत्यम कंप्यूटर घोटाला। इन घोटालों से पता चलता है कि श्वेत कॉलर अपराध समाज में गहरे तक फैले हुए हैं।

निष्कर्ष

समाजशास्त्र के दृष्टिकोण से विचलन, अपराध, किशोर अपराध, और श्वेत कॉलर अपराध सामाजिक संरचना की जटिलताओं को दर्शाते हैं। यह विषय न केवल अपराधों के मूल कारणों को समझने में सहायक है, बल्कि समाज में सामाजिक न्याय और सुधार की संभावनाओं को भी उजागर करता है। भारतीय समाज में इन समस्याओं को रोकने के लिए शिक्षा, जागरूकता, और कठोर कानूनी प्रावधान आवश्यक हैं।

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