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Thermal Physics & Semiconductor Devices - ऊष्मा भौतिकी एवं अर्धचालक युक्तियाँ – Adv

Summary and MCQs

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Unit 1: Hindi Summary – Thermal Physics & Semiconductor Devices

थर्मोडायनेमिक्स वह शाखा है जो ऊर्जा के रूपों और उनके परिवर्तन का अध्ययन करती है। यह सिद्धांत गैसों, इंजन, हीट सर्किट और अन्य भौतिक प्रणालियों के व्यवहार को समझने में मदद करता है। बी.एससी. छात्रों के लिए, विशेष रूप से  थर्मल फिजिक्स और सेमीकंडक्टर डिवाइसेस  में रुचि रखने वालों के लिए, थर्मोडायनेमिक्स के बुनियादी नियमों को समझना आवश्यक है। इस सारांश में हम Zeroth Law और  First Law के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और उनसे संबंधित महत्वपूर्ण अवधारणाओं जैसे  स्टेट फंक्शन्स, काम किया गया , एनथलपी , और   इंजन की कार्यकुशलता को समझेंगे।

थर्मोडायनेमिक्स के राज्य गुण और शब्दावली        

थर्मोडायनेमिक्स में कुछ महत्वपूर्ण  राज्य गुण (State Functions) होते हैं, जो प्रणाली की स्थिति का वर्णन करते हैं। राज्य गुण केवल उस प्रणाली की वर्तमान स्थिति पर निर्भर करते हैं और यह इस पर निर्भर नहीं करते कि प्रणाली इस स्थिति तक कैसे पहुंची। कुछ सामान्य राज्य गुणों में शामिल हैं:

·         तापमान (Temperature, T) : यह प्रणाली के अणुओं की औसत काइनेटिक ऊर्जा का माप है।

·         दबाव (Pressure, P): यह वह बल है जो गैस के अणु दीवारों पर डालते हैं।

·         आयतन (Volume, V) : यह प्रणाली द्वारा कब्जा किया गया स्थान है।

·         आंतरिक ऊर्जा (Internal Energy, U): यह प्रणाली में संचित कुल ऊर्जा है, जिसमें काइनेटिक और पोटेंशियल ऊर्जा दोनों शामिल हैं।

इसके अलावा, कुछ पथ गुण  (Path Functions) होते हैं, जैसे गर्मी (Heat, Q) और काम (Work, W), जो प्रक्रिया के विशिष्ट मार्ग पर निर्भर करते हैं।

Zeroth Law of Thermodynamics (0वां नियम)        

Zeroth Law थर्मोडायनेमिक्स का एक बुनियादी सिद्धांत है जो तापमान के माप को परिभाषित करने में मदद करता है। यह कहता है:

“यदि दो प्रणालियाँ एक तीसरी प्रणाली के साथ तापीय संतुलन में हैं, तो वे एक दूसरे के साथ भी तापीय संतुलन में होंगी।”

इसका मतलब है कि अगर दो अलग-अलग प्रणालियाँ एक तीसरी प्रणाली के साथ तापीय संतुलन में हैं, तो इन दोनों का तापमान समान होगा। इस सिद्धांत से ही हम तापमान को मापने के लिए थर्मामीटर का उपयोग कर सकते हैं। यह सिद्धांत तापीय संतुलन की अवधारणा को समझाता है, जो यह बताता है कि यदि दो वस्तुएं एक दूसरे के साथ तापीय संतुलन में हैं, तो उनके बीच कोई भी ऊष्मा का आदान-प्रदान नहीं होगा।

Zeroth Law का भौतिक महत्व        

Zeroth Law तापमान की परिभाषा के लिए महत्वपूर्ण है और यह सुनिश्चित करता है कि तापमान को मापने का एक सामान्य और सुसंगत तरीका है। यह तापमान मापने के मानक, जैसे कि  केल्विन, सेल्सियस और  फारेनहाइट को परिभाषित करने का आधार बनाता है।

First Law of Thermodynamics (1वां नियम)        

First Law थर्मोडायनेमिक्स का ऊर्जा संरक्षण का सिद्धांत है। यह कहता है:

“ऊर्जा न तो उत्पन्न की जा सकती है और न ही नष्ट की जा सकती है, यह केवल एक रूप से दूसरे रूप में बदल सकती है।”

गणितीय रूप में इसे इस प्रकार व्यक्त किया जाता है:

\[\Delta U = Q – W\]

जहां:

– \( \Delta U \) प्रणाली की आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन है।

– \( Q \) वह गर्मी है जो प्रणाली में जोड़ी जाती है।

– \( W \) वह काम है जो प्रणाली अपने परिवेश पर करती है।

First Law  ऊर्जा के विभिन्न रूपों के बीच के संबंध को समझने में मदद करता है, जैसे कि गर्मी और काम। यह सिद्धांत यह स्पष्ट करता है कि कोई भी ऊष्मा या काम का आदान-प्रदान प्रणाली की आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन का कारण बनता है।

आंतरिक ऊर्जा, गर्मी और काम        

·         आंतरिक ऊर्जा (Internal Energy, U) : यह प्रणाली में संचित कुल ऊर्जा है, जिसमें काइनेटिक और पोटेंशियल ऊर्जा दोनों शामिल होती हैं।

·         गर्मी (Heat, Q): यह वह ऊर्जा है जो तापमान के अंतर के कारण एक प्रणाली से दूसरी प्रणाली में स्थानांतरित होती है।

·         काम (Work, W): यह वह ऊर्जा है जो किसी बल के द्वारा स्थानांतरित होती है, जैसे गैस के पिस्टन के विस्तार के दौरान किया गया काम।

थर्मोडायनेमिक प्रक्रियाओं में किया गया काम        

थर्मोडायनेमिक प्रक्रियाओं में किया गया काम उस प्रक्रिया के प्रकार पर निर्भर करता है। सामान्यत: काम का सूत्र है:

\[W = \int P \, dV\]

जहां \(P\) दबाव और \(V\) आयतन है। विभिन्न थर्मोडायनेमिक प्रक्रियाओं में काम का रूप बदलता है:

1. इसोथर्मल प्रक्रिया (Constant Temperature) : इस प्रक्रिया में तापमान समान रहता है, और आंतरिक ऊर्जा में कोई बदलाव नहीं होता है। आदर्श गैस के लिए काम का सूत्र होता है:

\[W = nRT \ln \frac{V_f}{V_i}\]

जहां \(V_f\) और \(V_i\) अंतिम और प्रारंभिक आयतन हैं।

2. एडियाबेटिक प्रक्रिया (No Heat Exchange) : इस प्रक्रिया में कोई गर्मी आदान-प्रदान नहीं होती। आदर्श गैस के लिए दबाव और आयतन का संबंध होता है:

\[P V^\gamma = \text{constant}\]

3. इसोकोरिक प्रक्रिया (Constant Volume): इस प्रक्रिया में आयतन समान रहता है, और कोई काम नहीं किया जाता (\( W = 0 \))।

4. इसोबारिक प्रक्रिया (Constant Pressure): इस प्रक्रिया में दबाव समान रहता है, और काम होता है:

\[W = P (V_f – V_i)\]

एनथलपी और \(C_P\) तथा \(C_V\) के बीच संबंध         

एनथलपी (Enthalpy, H) एक राज्य गुण है जो आंतरिक ऊर्जा और दबाव-आयतन काम को जोड़ता है। यह इस प्रकार परिभाषित होता है:

\[H = U + PV\]

जहां:

– \(U\) आंतरिक ऊर्जा है,

– \(P\) दबाव है,

– \(V\) आयतन है।

एनथलपी विशेष रूप से उन प्रक्रियाओं के लिए उपयोगी होता है जो स्थिर दबाव पर होती हैं, क्योंकि यह प्रणाली में जोड़ी गई गर्मी को दर्शाता है।

स्पेसिफिक हीट (विशिष्ट ऊष्मा) को \(C_P\) (सामान्य दबाव पर) और  \(C_V\)  (सामान्य आयतन पर) के रूप में व्यक्त किया जाता है। उनके बीच का संबंध है:

\[C_P – C_V = R\]

जहां \(R\) सार्वभौमिक गैस स्थिरांक है। यह संबंध गैसों के व्यवहार को समझने में मदद करता है, खासकर तब जब हम ऊर्जा और गर्मी के आदान-प्रदान पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

कार्नोट इंजन और कार्यकुशलता        

कार्नोट इंजन एक आदर्श गर्मी इंजन है जो  कार्नोट चक्र पर कार्य करता है, जिसमें दो आइसोथर्मल प्रक्रियाएँ और दो एडियाबेटिक प्रक्रियाएँ होती हैं। कार्नोट इंजन की कार्यकुशलता वह अधिकतम कार्यकुशलता है जो कोई भी गर्मी इंजन प्राप्त कर सकता है। इसे इस प्रकार व्यक्त किया जाता है:

\[\eta = 1 – \frac{T_L}{T_H}\]

जहां:

– \(T_L\) शीतलन धारक का तापमान है,

– \(T_H\) ऊष्मा स्रोत का तापमान है।

कार्नोट प्रमेय कहता है कि कोई भी इंजन जो दो तापमानों के बीच कार्य करता है, वह कार्नोट इंजन से अधिक कार्यकुशल नहीं हो सकता है। यह प्रमेय वास्तविक इंजन के कार्यकुशलता की सीमा निर्धारित करता है।

आंतरिक दहन इंजन की कार्यकुशलता (ऑटो और डीजल चक्र)        

आंतरिक दहन इंजन  , जैसे ऑटोमोबाइल इंजन, विभिन्न थर्मोडायनेमिक चक्रों पर काम करते हैं। सबसे सामान्य चक्र  ऑटो चक्र  और  डीजल चक्र   हैं।

1. ऑटो चक्र : यह गैसोलीन इंजन में उपयोग होता है। इसमें दो एडियाबेटिक प्रक्रियाएँ और दो आइसोकोरिक प्रक्रियाएँ होती हैं। इसका कार्यकुशलता सूत्र है:

\[\eta = 1 – \frac{1}{r^{\gamma – 1}}\]

जहां \(r\) संपीड़न अनुपात है और \(\gamma\) आदियाबेटिक इंडेक्स है।

2. डीजल चक्र  : यह डीजल इंजन में उपयोग होता है और इसकी संपीड़न अनुपात उच्च होता है, जिससे इसकी कार्यकुशलता अधिक होती है।

पलटने योग्य और अपलटने योग्य प्रक्रियाओं में अंतर        

1. पलटने योग्य प्रक्रिया: एक आदर्श प्रक्रिया होती है जिसे बिना किसी बदलाव के उलटने पर वापस किया जा सकता है। यह बहुत धीरे-धीरे होती है, जिससे प्रणाली हर चरण में संतुलन में रहती है।

2.अपलटने योग्य प्रक्रिया: वास्तविक जीवन की प्रक्रिया होती है जिसमें ऊर्जा हानि या अन्य परिवर्तनों के कारण प्रणाली अपनी प्रारंभिक स्थिति में वापस नहीं जा सकती।

निष्कर्ष         

Zeroth और First Laws of Thermodynamics थर्मोडायनेमिक्स के आधारभूत सिद्धांत हैं जो ऊर्जा परिवर्तन और प्रणाली के व्यवहार को समझने में मदद करते हैं।आंतरिक ऊर्जा, काम, एनथलपी  , और  इंजन की कार्यकुशलता जैसे सिद्धांत बी.एससी. छात्रों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये सिद्धांत गैसों, इंजन और अन्य भौतिक प्रणालियों के कार्य का गहरा अध्ययन प्रदान करते हैं। इन सिद्धांतों को समझकर, छात्र ऊर्जा के सिद्धांतों को व्यावहारिक दृष्टिकोण से भी समझ सकते हैं और उनका उपयोग विभिन्न अभियंत्रण अनुप्रयोगों में कर सकते हैं।

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