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Archegoniates & Plant Architecture - आर्किगोनेट्स एवं पादप संरचना – Adv

Summary and MCQs

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Unit 1: Hindi Summary – Archegoniates and Plant Architecture

आर्चेगोनिएट एवं ब्रायोफाइट्स: संरचना, वर्गीकरण और आर्थिक महत्व

परिचय: आर्चेगोनिएट एवं ब्रायोफाइट्स

आर्चेगोनिएट पौधों का एक प्रमुख समूह है जिसमें उन पौधों को शामिल किया जाता है जिनमें युग्मकोद्भिद (गैमेटोफाइट) चरण में विशेष स्त्री जनन अंग आर्चेगोनियम पाया जाता है। इस समूह में ब्रायोफाइट्स, टेरिडोफाइट्स और जिम्नोस्पर्म्स आते हैं। ब्रायोफाइट्स सबसे आदिम आर्चेगोनिएट पौधे माने जाते हैं, जो जल से थल पर स्थानांतरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करते हैं।

ब्रायोफाइट्स की विशेषताएँ

ब्रायोफाइट्स पौधों की एक आदिम श्रेणी हैं जो उच्चतर पौधों और शैवालों के बीच की संक्रमणीय स्थिति को दर्शाते हैं। इनकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

1.      भूमिगत संरचनाओं का अभाव: इनमें वास्तविक जड़, तना और पत्तियाँ नहीं होतीं, बल्कि ये थैलस या असंगठित संरचना के रूप में पाए जाते हैं।

2.    जनन की विशेषता: ये पौधे दोहरी जीवन-चक्र (Alternation of Generations) को प्रदर्शित करते हैं, जिसमें प्रमुख चरण गैमेटोफाइट होता है और स्पोरोफाइट अल्पजीवी व युग्मकोद्भिद पर निर्भर रहता है।

3.    प्रजनन प्रणाली: इनमें लैंगिक जनन के दौरान नर युग्मक (एंथेरोज़ोइड) जल पर आश्रित होता है, जिससे जल इनके जीवनचक्र में एक अनिवार्य भूमिका निभाता है।

4.    जल से थल पर अनुकूलन: यद्यपि ये पौधे मुख्यतः आर्द्र स्थानों में उगते हैं, इनमें कुछ विशेष संरचनाएँ (राइज़ॉइड्स, कटिनयुक्त कोशिका भित्ति आदि) पाई जाती हैं जो इन्हें स्थलीय परिस्थितियों में जीवित रहने में सहायता करती हैं।

थैलस संगठन में विविधता

ब्रायोफाइट्स में थैलस संरचना की विविधता देखी जाती है। कुछ प्रमुख रूप निम्नलिखित हैं:

·         थैलोइड – जैसे Riccia और Marchantia, जिनमें सपाट, बिना विभाजन वाला थैलस पाया जाता है।

·         फीलोइड-प्रेरित संरचना – जैसे Funaria, जिसमें पत्तीनुमा संरचना पाई जाती है।

·         अधिष्ठानिक युक्त थैलस – जैसे Anthoceros, जिसमें थैलस में विशेष कोष्ठीय गुफाएँ पाई जाती हैं।

ब्रायोफाइट्स का वर्गीकरण

ब्रायोफाइट्स को तीन प्रमुख श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है:

1. हेपेटिकॉप्सिडा (यकृत काई – Hepaticopsida)

उदाहरण: Riccia, Marchantia

विशेषताएँ: इनका थैलस सामान्यतः सपाट एवं लोब युक्त होता है।

2. एन्थोसरोप्सिडा (एन्थोसेरोस – Anthocerotopsida)

उदाहरण: Anthoceros

विशेषताएँ: इनमें थैलस के अंदर गुफाएँ पाई जाती हैं, और स्पोरोफाइट लंबा तथा ग्रीन होता है।

3. ब्रायॉप्सिडा (मॉस – Bryopsida)

उदाहरण: Sphagnum, Funaria

विशेषताएँ: इनमें पत्ती युक्त संरचनाएँ विकसित होती हैं और जीवनचक्र में विभिन्न अवस्थाएँ स्पष्ट रूप से देखी जाती हैं।

महत्वपूर्ण ब्रायोफाइट्स की संरचना एवं जनन प्रणाली

1. Riccia (रिक्सिया)

संरचना: यह एक सपाट थैलस युक्त हेपेटिकॉप्सिडा श्रेणी का पौधा है, जो आर्द्र स्थानों में पाया जाता है।

जनन:

अलैंगिक – टुकड़ों में विभाजन के द्वारा।

लैंगिक – आर्चेगोनियम और एंथेरिडियम के द्वारा, जिसमें जल की सहायता से निषेचन होता है।

स्पोरोफाइट: इसमें केवल कैप्सूल होता है, जो अल्पजीवी होता है।

2. Marchantia (मार्शैंशिया)

संरचना: थैलस सपाट एवं डाईकोटॉमस शाखाओं में विभाजित होता है।

जनन:

अलैंगिक – जेम्मा कप के द्वारा।

लैंगिक – पृथक नर एवं मादा युग्मकोद्भिद होते हैं, जिनमें एंथेरिडियोफोर और आर्चेगोनियोफोर पाए जाते हैं।

स्पोरोफाइट: इसमें फुट, सेटा और कैप्सूल होते हैं।

3. Anthoceros (एंथोसेरोस)

संरचना: थैलस सपाट, हरे रंग का एवं लम्बवत् बढ़ता है।

जनन:

अलैंगिक – विखंडन द्वारा।

लैंगिक – उभयलिंगी युग्मकोद्भिद होते हैं।

स्पोरोफाइट: इसमें एक लम्बा कैप्सूल पाया जाता है जो निरंतर बढ़ता रहता है।

4. Sphagnum (स्पैगनम)

संरचना: इसमें तना और पत्तियों जैसी संरचनाएँ विकसित होती हैं।

जनन:

अलैंगिक – खंडन द्वारा।

लैंगिक – युग्मकोद्भिद स्वतंत्र होता है और जनन जल-निर्भर होता है।

स्पोरोफाइट: कैप्सूल गोलाकार होता है जिसमें स्पोर निर्माण होता है।

5. Funaria (फ्यूनारिया)

संरचना: इसमें तना, पत्तियाँ एवं राइज़ॉइड्स विकसित होते हैं।

जनन:

अलैंगिक – विखंडन एवं स्पोर द्वारा।

लैंगिक – नर एवं मादा युग्मकोद्भिद पृथक होते हैं।

स्पोरोफाइट: इसमें फुट, सेटा और कैप्सूल होते हैं जो स्वतंत्र जीवन व्यतीत कर सकते हैं।

ब्रायोफाइट्स का आर्थिक महत्व

ब्रायोफाइट्स न केवल पारिस्थितिकीय बल्कि व्यावसायिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं।

1.      मृदा संरक्षण: ये भूमि अपरदन को रोकने में सहायक होते हैं।

2.    जल संतुलन: Sphagnum जल को अवशोषित कर दलदली क्षेत्रों में जल संतुलन बनाए रखता है।

3.    जैव-संकेतक (Bioindicator): ब्रायोफाइट्स प्रदूषण सूचक होते हैं और पारिस्थितिक परिवर्तनों को मापने में मददगार होते हैं।

4.    औषधीय उपयोग: Marchantia को त्वचा रोगों के इलाज में प्रयोग किया जाता है।

5.    ईंधन उत्पादन: Sphagnum peat को जलाने हेतु उपयोग किया जाता है।

6.    शोधन एवं पैकेजिंग: Sphagnum का उपयोग जीवों के परिवहन हेतु नमी संरक्षण में किया जाता है।

निष्कर्ष

ब्रायोफाइट्स पौधों के विकास में एक महत्वपूर्ण संक्रमणीय अवस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनमें जल से थल पर अनुकूलन की विशेषताएँ स्पष्ट रूप से देखी जाती हैं। ब्रायोफाइट्स का न केवल पारिस्थितिकी में बल्कि आर्थिक उपयोगिता में भी महत्वपूर्ण योगदान है। इनका अध्ययन वनस्पति विज्ञान में पौधों की संरचना, विकास एवं पारिस्थितिकी को समझने के लिए आवश्यक है।

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