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Biochemistry and Physiology - जैव रसायन एवं शरीर क्रिया विज्ञान – Adv

Summary and MCQs

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Unit 1: Hindi Summary – Biochemistry and Physiology

परिचय

बायोमोलेक्यूल्स (Biomolecules) जीव विज्ञान में मूलभूत संरचनात्मक और कार्यात्मक इकाइयाँ होती हैं, जो जीवों के शरीर में विभिन्न जैविक प्रक्रियाओं में योगदान देती हैं। इनमें मुख्य रूप से कार्बोहाइड्रेट, लिपिड, प्रोटीन और न्यूक्लिक एसिड शामिल होते हैं। इस अध्ययन का उद्देश्य बायोमोलेक्यूल्स की संरचना, उनके कार्य और जैविक महत्त्व को समझना है।

इस लेख में, हम कार्बोहाइड्रेट, लिपिड और प्रोटीन की संरचना और उनके कार्यों की विस्तार से चर्चा करेंगे। साथ ही, यह भी जानेंगे कि कैसे छोटे अणु मिलकर बड़े जैविक अणुओं का निर्माण करते हैं और शरीर में ऊर्जा उत्पादन और जैविक विनियमन (biological regulation) में कैसे सहायक होते हैं।

1. कार्बोहाइड्रेट की संरचना और जैविक महत्त्व

1.1 कार्बोहाइड्रेट का परिचय

कार्बोहाइड्रेट मुख्य रूप से कार्बन (C), हाइड्रोजन (H) और ऑक्सीजन (O) से मिलकर बने होते हैं, और इनका सामान्य सूत्र (CHO)n होता है। ये शरीर की प्रमुख ऊर्जा स्रोत होते हैं और कोशिकीय प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

1.2 कार्बोहाइड्रेट के प्रकार

(i) मोनोसैकराइड्स (Monosaccharides)

मोनोसैकराइड्स सबसे सरल प्रकार के कार्बोहाइड्रेट होते हैं और इन्हें सरल शर्करा (simple sugars) भी कहा जाता है। इनका उपयोग कोशिकाओं में त्वरित ऊर्जा प्रदान करने के लिए किया जाता है।
उदाहरण:

·       ग्लूकोज (Glucose) – कोशिकीय श्वसन (cellular respiration) में ऊर्जा उत्पादन का प्रमुख स्रोत।

·       फ्रक्टोज़ (Fructose) – फल और शहद में पाया जाने वाला प्राकृतिक शर्करा।

·       गैलेक्टोज़ (Galactose) – दूध में मौजूद शर्करा, जो लैक्टोज़ (Lactose) का भाग होती है।

(ii) डिसैकराइड्स (Disaccharides)

ये दो मोनोसैकराइड्स के जुड़ने से बनते हैं।
उदाहरण:

·       सुक्रोज़ (Sucrose) = ग्लूकोज + फ्रक्टोज़ (टेबल शुगर)

·       लैक्टोज़ (Lactose) = ग्लूकोज + गैलेक्टोज़ (दुग्ध शर्करा)

·       माल्टोज़ (Maltose) = ग्लूकोज + ग्लूकोज (माल्टेड अनाज में पाया जाता है)

(iii) पॉलीसैकराइड्स (Polysaccharides)

ये कई मोनोसैकराइड्स के जुड़ने से बनते हैं और जटिल संरचनाओं के रूप में मौजूद रहते हैं।
उदाहरण:

·       स्टार्च (Starch) – पौधों में ऊर्जा भंडारण।

·       ग्लाइकोजन (Glycogen) – पशु ऊतकों में ऊर्जा भंडारण।

·       सेलूलोज़ (Cellulose) – पौधों की कोशिका भित्ति का मुख्य घटक।

1.3 कार्बोहाइड्रेट का जैविक महत्त्व

·       कोशिकाओं में त्वरित ऊर्जा प्रदान करते हैं।

·       स्ट्रक्चरल कंपोनेंट के रूप में कार्य करते हैं, जैसे कि सेलूलोज़ और काइटिन।

·       ग्लाइकोकॉनजुगेट्स के रूप में जैविक सिग्नलिंग में सहायता करते हैं।


2. लिपिड की संरचना और जैविक महत्त्व

2.1 लिपिड का परिचय

लिपिड जल-अघुलनशील (hydrophobic) जैविक अणु होते हैं जो कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से बने होते हैं। ये कोशिका झिल्ली के प्रमुख घटक होते हैं और ऊर्जा भंडारण का कार्य भी करते हैं।

2.2 लिपिड के प्रकार

(i) संतृप्त और असंतृप्त फैटी एसिड (Saturated and Unsaturated Fatty Acids)

·       संतृप्त फैटी एसिड (Saturated Fatty Acids): इनमें डबल बॉन्ड नहीं होता और ये ठोस अवस्था में होते हैं (जैसे मक्खन, नारियल तेल)।

·       असंतृप्त फैटी एसिड (Unsaturated Fatty Acids): इनमें डबल बॉन्ड होता है और ये तरल अवस्था में होते हैं (जैसे जैतून तेल, मछली का तेल)।

(ii) ट्राइएसिलग्लिसरॉल (Triacylglycerols – TAGs)

ये ग्लिसरॉल के साथ तीन फैटी एसिड के जुड़ने से बनते हैं और शरीर में प्रमुख ऊर्जा भंडारण अणु होते हैं।

(iii) फॉस्फोलिपिड्स (Phospholipids)

·       कोशिका झिल्ली का मुख्य घटक होते हैं।

·       जल-अध्रुवीय (hydrophilic) सिर और जल-अवर्जक (hydrophobic) पूंछ होने के कारण द्विस्तरीय झिल्ली (bilayer) बनाते हैं।

(iv) ग्लाइकोलिपिड्स (Glycolipids)

·       ये शर्करा अणुओं से जुड़े होते हैं और कोशिका संचार (cell signaling) में मदद करते हैं।

(v) स्टेरॉयड्स (Steroids)

·       कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) – झिल्ली स्थिरता को बनाए रखता है।

·       हार्मोन (Hormones) – जैसे एस्ट्रोजन, टेस्टोस्टेरोन आदि।

2.3 लिपिड का जैविक महत्त्व

·       ऊर्जा भंडारण और ऊष्मा नियमन

·       कोशिका झिल्ली निर्माण में सहायक।

·       हार्मोन और विटामिन (जैसे विटामिन D) के संश्लेषण में भाग लेते हैं।

. प्रोटीन की संरचना और जैविक महत्त्व

3.1 प्रोटीन का परिचय

प्रोटीन जीवन के लिए आवश्यक बहुक्रियात्मक बायोमोलेक्यूल हैं, जो α-अमीनो एसिड्स से मिलकर बने होते हैं।

3.2 α-अमीनो एसिड्स की संरचना और वर्गीकरण

α-अमीनो एसिड्स में एक केंद्रीय कार्बन, अमीनो (-NH) और कार्बोक्सिल (-COOH) समूह होते हैं।

·       आवश्यक अमीनो एसिड्स (Essential Amino Acids) – शरीर में नहीं बनते, जैसे ल्यूसीन, लाइसिन।

·       गैर-आवश्यक अमीनो एसिड्स (Non-Essential Amino Acids) – शरीर में बन सकते हैं, जैसे ऐलनिन, ग्लूटामिक एसिड।

3.3 प्रोटीन के संगठन के स्तर

1.        प्राथमिक संरचना (Primary Structure) – अमीनो एसिड की श्रृंखला।

2.      द्वितीयक संरचना (Secondary Structure)α-हेलिक्स और β-शीट।

3.      तृतीयक संरचना (Tertiary Structure) – 3D संरचना।

4.      चतुर्थक संरचना (Quaternary Structure) – अनेक प्रोटीन उपइकाइयों का जुड़ना।

3.4 प्रोटीन का जैविक महत्त्व

·       एंजाइम के रूप में कार्य करते हैं।

·       संरचनात्मक प्रोटीन, जैसे कोलेजन और एक्टिन।

·       संकेत अणु (signal molecules) जैसे हार्मोन और एंटीबॉडी।

निष्कर्ष

बायोमोलेक्यूल्स जीव विज्ञान के महत्वपूर्ण घटक हैं जो ऊर्जा उत्पादन, जैविक कार्य और शरीर के नियमन में मदद करते हैं। इनकी संरचना और कार्य की गहरी समझ हमें जैविक तंत्रों को बेहतर समझने में सहायता करती है।

 

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